Delhi Water Issues: बीते 6 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हिमांचल सरकार को एक महत्वपूर्ण आदेश दिया. आदेश के अनुसार हिमांचल प्रदेश दिल्ली के लिए 137 क्यूसेक सरप्लस पानी रिलीज़ करेगा. यह पानी दिल्ली के जल संकट को दूर करने के लिए भेजा जाएगा. जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन ने कहा कि पानी पर कोई भी राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने अपने आदेश में आगे कहा,
“मामले की गंभीरता को देखते हुए हम हिमांचल प्रदेश सरकार को 137 क्यूसेक सरप्लस पानी छोड़ने का आदेश देते हैं. साथी ही हरियाणा सरकार पानी के प्रवाह पर ध्यान देगी ताकि हथनीकुण्ड से वज़ीराबाद तक बिना किसी अवरोध के पानी पहुँच सके.”
आदेश के अनुसार यह पानी 7 जून को छोड़ा जाएगा. कोर्ट के इस आदेश पर हिमांचल सरकार ने भी हामी भरी है. वहीँ कोर्ट ने अलग से हरियाणा सरकार को पानी का प्रवाह न रोकने का आदेश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल बीते 2 जून को दिल्ली की जल आपूर्ति मंत्री आतिशी ने यूपी और हरियाणा से पानी की मांग की थी. उन्होंने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) और हरियाणा सीएम नायाब सिंह सैनी को पात्र लिखते हुए एक महीने के लिए दिल्ली में अधिक छोड़ने की मांग की थी. दिल्ली सरकार की मंत्री द्वारा यह कहा गया कि वज़ीराबाद बैराज का जलस्तर कम हो गया है. इससे दिल्ली के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का आउटपुट घट गया है.
आपको बता दें कि यहाँ जिस बैराज की बात तो रही है वह दिल्ली को 131 मिलियन गैलन पानी हर रोज़ सप्लाई करता था. मगर बीते दिनों से इसका जलस्तर 674.50 फ़ीट से घटकर 670.3 फ़ीट ही रह गया. मगर बढ़ती गर्मी और विशेषकर हीटवेव के कारण शहर में पानी की ज़रूरत लगातार बढ़ रही है.
कितने पानी की ज़रूरत, कितना पानी मिल रहा?
दिल्ली की पानी कि ज़रूरत को पूरा करने के लिए इसे 1290 मिलियन गैलन पानी हर रोज़ चाहिए. गौरतलब है कि देश की राजधानी हर रोज़ क़रीब 612 मिलियन गैलन पानी यमुना से लेती है. वहीँ क़रीब 135 मिलियन गैलन पानी की आपूर्ति भूजल से होती है. मगर अभी दिल्ली में 1 हज़ार मिलियन गैलन पानी भी उत्पादित नहीं हो पा रहा था. जिसके बाद यहाँ जल संकट गहरा गया.
वैसे भी दिल्ली आम दिनों में भी अपनी ज़रूरत का पानी खुद उत्पादित नहीं कर पाता है. इसके लिए वह हरियाणा, हिमांचल और यूपी पर निर्भर है. मगर सूखा हो या बाढ़, पानी पर हर बार यहाँ ब्लेम गेम शुरू हो जाता है. इस बार भी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार (AAP Delhi) ने हरियाणा सरकार पर हथनीकुंड बैराज से पर्याप्त न छोड़े जाने का आरोप लगाया. वहीँ हरियाणा की बीजेपी सरकार का कहना है कि उनके द्वारा तय मात्र से अधिक पानी छोड़ा जा रहा है मगर दिल्ली सरकार इसका सही प्रबंधन नहीं कर पा रही है.
गन्दी यमुना और जल संकट
अगर ठीक एक साल पीछे जाएँ तो दिल्ली जुलाई 2023 में बाढ़ (Delhi Floods) का सामना कर रही थी. इस दौरान भी आरोप-प्रत्यारोप जारी थे. मगर दिल्ली की बाढ़ ने यमुना से सम्बंधित दो मुद्दों को ताज़ा कर दिया था. इसमें पहला मुद्दा यमुना के कैचमेंट एरिया पर हुए अतिक्रमण का था. हरियाणा सरकार की जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली में यमुना के बाढ़ क्षेत्र में हुए अतिक्रमण के चलते आईटीओ और रिंग रोड में पानी भरा था. दिल्ली सरकार ने बीती जनवरी में ही एनजीटी से यमुना के बाढ़ के क्षेत्र को चिन्हित करने के लिए 12 हफ्ते का समय माँगा था. इसके लिए एक आदेश करीब 9 साल पहले भी दिया गया था. मगर अब तक यह चिन्हांकन नहीं हो सका है.
नदियों के किनारे होने वाले अतिक्रमण और प्रदूषण को अलग-अलग नहीं देखा जा सकता. यमुना में घरेलू और औद्योगिक प्रदूषण (Yamuna Pollution) जमकर बढ़ा है. एक अनुमान के अनुसार दिल्ली हर दिन इस नदी में 2000 मिलियन लीटर गन्दा पानी हर रोज़ समाहित करती है. इसका एक बड़ा हिस्सा घरेलू सीवेज का होता है. पानी में गन्दगी बढ़ने से अमोनिया का स्टार भी बढ़ता है. इससे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की आउटपुट क्षमता भी घट जाती है. यानि दिल्ली का जलसंकट यमुना के प्रदूषण से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है.
गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत हर बार खबर बनती है. वहीँ 2023 जैसी बाढ़ भी दिल्ली में पानी को लेकर थोड़ा-बहुत चर्चा का विषय बन जाती है. मगर ज़्यादातर शोर राजनीतिक बयानबाज़ियों का ही होता है. बरसात के मौसम में पानी की आपूर्ति सुधर जाती है. फिर जलसंकट का शोर भी थम जाता है. मगर यह समझना ज़रूरी है कि जलसंकट का मतलब गर्मियों में पानी की कमी भर नहीं है. यह कम होते भूमिगत जलस्तर, प्रदूषित नदी और बेकार पड़े तालाबों के बारे में भी है.
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