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पॉंडीचेरी के ऑरोविल में खूबसूरत समुद्रतटों पर जहां तहां बिखरी पड़ी है गंदगी

ऑरोविल बीच पर टेट्रापॉड्स में आपको प्लास्टिक की बॉटल्स पड़ी हुई मिल जाएंगी, फूड वेंडर्स की मौजदगी की वजह से प्लास्टिक वेस्ट यहां बढ़ रहा है और डस्टबिन न होने की वजह से कचरा यूंही इधर उधर फैला रहता है।

By Rajeev Tyagi
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Auroville pollution and waste management

Read in English | भारत में ऐसे कई समुद्र तट हैं जहां कचरे का अंबार और गंदगी आम होती है। शहरी इलाकों में हालत ज्यादा खराब होते हैं, बड़ी मात्रा में शहरों का कचरा समुद्र में फेंका जाता है जिसे लहरें दोबारा तटों तक ले आती हैं।

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छोटे शहरों के समुद्र तटों के हालात भी कुछ अच्छे नहीं है।

भारत में पॉंडीचेरी अपने खूबसूरत बीचेस के लिए जाना जाता है, यहां गोवा की तरह ज्यादा भीड़ नहीं होती, इसलिए एकांत पसंद लोग पॉंडीचेरी घूमने आते हैं।

यहां की इडन बीच को 'ब्लू फ्लैग' बीच का टैग हासिल है। 'ब्लू फ्लैग' टैग दुनिया की सबसे स्वच्छ और सस्टेनेबल मॉडल पर कार्य करने वाली बीच को दिया जाता है।

इडन बीच को छोड़कर पॉंडीचेरी के दूसरे समुद्र तटों का हाल बेहद खराब है। यहां आपको साफ सफाई का अभाव देखने को मिल जाएगा।

आखिर इन समुद्र तटों पर गंदगी आती कहां से है?

मेरा मानना है कि आमूमन अपराध के मामले में इस्तेमाल होने वाली 'ब्रोकन विंडो थ्योरी' यहां भी लागू होती है। इसके मुताबिक अगर कोई जगह पहले से गंदी है तो लोग उसे और गंदा करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं है। डस्टबिन न हो तो आप कचरा वहां फेंकेंगे जहां पहले से कचरा पड़ा हुआ है।

ऑरोविल बीच पर टेट्रापॉड्स में आपको प्लास्टिक की बॉटल्स पड़ी हुई मिल जाएंगी, फूड वेंडर्स की मौजदगी की वजह से प्लास्टिक वेस्ट यहां बढ़ रहा है और डस्टबिन न होने की वजह से कचरा यूंही इधर उधर फैला रहता है। यह हमारे गैरज़िम्मेदाराना व्यवहार को दर्शाता है।

समुद्रतटों पर कचरा बढ़ने से समुद्री जीव बुरी तरह प्रभावित होते हैं, इससे मरीन इको सिस्टम और लाईफ पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

हमारा यह प्लास्टिक वेस्ट मछली, कुछओं और पक्षियों के पेट तक पहुंच रहा है जिससे उनकी जान खतरे में पड़ रही है।

समुद्री जीवन को दूसरा बड़ा खतरा डीज़ल और मिलावट वाले फ्यूल से चलने वाली बोट्स से हो रहा है। ऑरोविल में मछुआरे इन बोट्स का उपयोग करते हैं।

रीसर्च के मुताबिक बोट्स से कैमिकल का रिसाव पानी में होता है, यह कैमिकल टॉक्सिक होता है, जिससे न सिर्फ समुद्री जीव प्रभावित होते हैं बल्कि मछुआरों के स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर होता है।

लगातार बोटिंग और रीक्रिएशनल एक्टीविटी के कारण पानी की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है।

यहां पर टूरिज़म और मछलीपालन ही आय का मुख्य स्त्रोत है, ऐसे में इस समस्या को नज़अंदाज़ करना ठीक नहीं है।

स्वच्छता को आदत बनाना होगा

ऑरोविल में पर्यावरण पर काम करने वाले संगठन क्लीनलीनेस ड्राईव चलाते रहते हैं, जैसे 'ज़ीरो वेस्ट बीच' और 'एनसीसी' के स्वच्छता अभियान। लेकिन स्वच्छता अभियान से इस समस्या का समाधान नहीं होने वाला, क्योंकि एक दिन सफाई के बाद दोबारा कचरा लौट आएगा। यह वैसा ही है कि कचरे के स्त्रोत को बंद नहीं कर रहे बस उसे साफ किये जा रहे हैं। ज़रुरत है लोगों की आदत में बदलाव की।

इटली से आए एक विदेशी मेहमान ने मुझसे जब यह सवाल किया की 'हिंदुस्तानी लोग इतना कचरा क्यों फैलाते हैं?' तो मेरे लिये ये बेहद ही शर्मिंदगी भरा था, मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।

निष्कर्ष

हाल ही में मैंने एक ट्विटर थ्रेड पढ़ा जिसमें लिखा था कि हमें भारत के महिमामंडन से बचना चाहिए क्योंकि हम अपनी देशभक्ति की भावना के कारण अपनी कमियों को अनदेखा कर रहे हैं। भारत में गंदगी आम है, हमारा देश बदसूरत दिखता है।

मुझे समुद्र तट बेहद पसंद हैं, लेकिन जिस तरह से इन्हें मैनेज और मेंटेन किया जा रहा है उससे मैं संतुष्ट नहीं हूं। इसमें काफी सुधार की ज़रुरत है।

पॉंडीचेरी और दुनिया में मौजूद खूबसूरत समुद्र तटों को साफ रखना बेहद ज़रुरी है, न सिर्फ इसकी खूबसूरती को बनाए रखने के लिए बल्कि मरीन इको सिस्टम को बचाए रखने के लिए भी।

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