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Loksabha Election 2024: सीधी लोकसभा सीट जहाँ सालों से कार्य प्रगति पर है

इस बार सीधी से भाजपा ने डॉ. राजेश मिश्र को चुनाव लड़े है, जिनके मुकाबले में होंगे कांग्रेस के बड़े चेहरे कमलेश्वर पटेल

By Chandrapratap Tiwari
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Loksabha Election 2024: सीधी लोकसभा सीट जहाँ सालों से कार्य प्रगति पर है

Loksabha Election 2024: सीधी मध्यप्रदेश की और विंध्य की बहुत ही महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है। यहां के नेता अर्जुन सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, पंजाब के राज्यपाल, और देश के मानव संसाधन विकास मंत्री भी रह चुके हैं। अमूमन तो सीधी में हमेशा टग-ऑफ-वॉर की स्थिति बनी रहती है। कभी यहां से सोशलिस्ट जीते तो कभी भाजपा और कभी कांग्रेस, इन सब के अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का भी यहां अच्छा वोट शेयर है। फिलहाल सीधी की सीट खाली है। आइये जानते हैं क्या है सीधी का राजनीतिक गणित और क्या है सीधी की जनता के मुद्दे। 

क्या कहती है सीधी की डेमोग्राफी 

सीधी जिले में सीधी और सिंगरौली की सभी विधानसभा सीटें शामिल हैं, और इसके अलावा शहडोल की व्यौहारी विधानसभा भी इसमें आती है। सीधी लोकसभा में कुल 8 विधानसभाएं हैं, इनमें चुरहट को छोड़कर सभी में भाजपा विराजमान है। 

सीधी अनुसूचित जनजाति के मतदाता 32 फीसदी हैं, यहां कोल और पनिका समुदाय काफी संख्या में हैं। इसके अलावा सीधी में 11 फीसदी मतदाता अनुसूचित जाति के हैं। सीधी के 86 प्रतिशत मतदाता ग्रामीण क्षेत्रों से हैं।  

क्या है सीधी का राजनीतिक गणित 

सीधी की राजनीति काफी पेंचीदा है। रीति पाठक यहां से लगातार दो बार लम्बे अंतर से चुनाव जीतीं। एक दलित व्यक्ति के ऊपर पेशाब किये जाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद यहां के भाजपा विधायक और बड़े नेता केदारनाथ शुक्ल को इस्तीफा देना पड़ा। सीधी विधानसभा से सांसद रीति पाठक को चुनाव लड़ाया गया, केदारनाथ शुक्ल उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़े। जहां फग्गन सिंह और गणेश सिंह जैसे बड़े सांसद अपनी विधानसभा नहीं बचा पाए, तब रीति पाठक ने यहां से जीत दर्ज की। सांसदी छोड़ विधायक बनने वाली रीति को मध्यप्रदेश सरकार में कोई मंत्री पद भी नहीं मिला। इससे उनके समर्थकों में नाराजगी हो न हो मायूसी जरूर है।  

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रीति पाठक

भाजपा ने इस बार डॉ. राजेश मिश्र को अपना उम्मीदवार बनाया है। राजेश मिश्र पेशे से चिकित्सक हैं, इनके 2 बेटे है, जिनमे से के अपना स्कूल चलते हैं और दूसरे शासकीय चिकित्सक हैं। राजेश मिश्र सीधी से 2008 में बसपा से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जहां वे तीसरे नंबर पर आए थे। राजेश मिश्र 2009 से भाजपा के सदस्य हैं, इस बार भाजपा ने उन पर भरोसा जताया है। इसके अलावा क्षेत्र के बड़े नेता और भाजपा की ओर से राज्यसभा से सांसद अजय प्रताप सिंह ने भी अभी हाल ही में भाजपा छोड़ कर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की सदस्यता ले ली है। ये फैक्टर भी चुनाव में भाजपा के लिए नकारात्मक हो सकता है। 

कांग्रेस ने सीधी से कमलेश्वर पटेल को उतारा है। कमलेश्वर कांग्रेस के दिग्गज नेता, विधायक और मंत्री रहे इंद्रजीत पटेल के पुत्र है। कमलेश्वर 2 बार सिहावल से विधायक रहे हैं। कमलेश्वर पटेल कमलनाथ सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री भी रह चुके है। हालांकि कमलेश्वर 2023 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। 

कमलेश्वर पटेल का चुनाव आयोग को दिया गया हलफनामा गौर करने लायक है। इसके मुताबिक इनकी कुल सालाना आय 23 लाख 90 हजार रूपये है, जबकि इनकी पत्नी प्रीति पटेल की वार्षिक आय 1 करोड़ 52 लाख 880 रूपये है। इनकी पत्नी की पिछले पांच वर्ष की कुल आय 37,113,493 है। वहीं कमलेश्वर पटेल की पिछले 5 वर्षों की कुल आय 13,597,450 है। इसके अलावा पटेल दंपति के गहने व अन्य संपत्तियों की गिनती अलग है। कमलेश्वर पटेल के 0.22 और पत्नी पप्रीति के पास 0.32 बोर की रिवॉल्वर भी है। 

क्या है सीधी की जनता की नाराजगी और अपेक्षाएं 

सीधी का विकास क्षेत्र के लिए एक बड़ी विडंबना है। जिस जगह से लोक मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री बनते रहे हों वो क्षेत्र अभी भी पिछड़ा का पिछड़ा ही है। सीधी अभी भी आम सुविधाओं से वंचित है। आइये एक-एक कर के देखते हैं।  

आजादी के इतने लंबे अंतराल और क्षेत्र से बड़े नेताओं की लम्बी फेहरिस्त के बाद भी अब तक सीधी में रेल नहीं आई है। पिछले 10 वर्षों से इसका कार्य प्रगति पर ही बताया जा रहा है। रेल न होने से यहां के निवासियों को काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है। 

सीधी लोकसभा क्षेत्र शिक्षा के मामले में भी काफी पिछड़ा है। यहां इंजीनियरिंग और मेडिकल के कॉलेज नहीं है। यहां के युवकों को मजबूर होकर भोपाल, जबलपुर और रीवा का रुख करना पड़ता है। मेडिकल कॉलेज की घोषणा और भूमि पूजन शिवराज सिंह चौहान द्वारा सितंबर 2023 में किया गया था, लेकिन वो कब तक शक्ल लेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है। 

पहले सीधी में एक लॉ कॉलेज हुआ करता था लेकिन उसका भी संचालन 2 वर्ष से बंद है। कुल मिलाकर सीधी में शिक्षा व्यवस्था का सूरत-ऐ-हाल अच्छा नहीं है। 

सीधी में स्वास्थ्य सुविधाएं भी लचर है। सीधी के जिला अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं, और यहां का अधिकांश इलाका ग्रामीण है जिसे स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सीमित परिवहन विकल्पों के साथ दूसरे जिलों की और भागना पड़ता है। 

एक में जब पूर्व सांसद रीति पाठक से मेडिकल कॉलेज के बारे में पूंछा गया तब उन्होंने कहा की सीधी  के आसपास के सभी जिलों(रीवा, शहडोल, सतना) में मेडिकल कॉलेज है, जो की पर्याप्त है। रीति पाठक शायद जिला अस्पताल का जायजा लेना भूल गईं जहां डॉक्टरों की अनुपस्थिति से गरीब मरीज मुश्किलों का सामना करते हैं। 

नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे 2019-21 के मुताबिक सीधी की 72 फीसदी बच्चियां (6 से 59 माह की) और आधे से अधिक महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। इसके आलावा 67 फीसदी महिलाओं का बीएमआई में हिप-वेस्ट रेश्यो हाई रिस्क पर है। ये आंकड़ें सीधी के लोगों के पोषण स्तर की भी पोल खोलते हैं।    

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मोहनिया टनल

इन सब के अलावा सीधी लोकसभा में अवसंरचनात्मक विकास भी नहीं हुए। नेशनल हाइवे 39 में रीवा सीधी मार्ग पर बनी मोहनिया टनल फूट गई थी। इसके अलावा सीधी सिंगरौली हाइवे 2008 से बन रहा है लेकिन अभी तक नहीं बन पाया है। इस खराब रस्ते से बड़े बड़े ट्रक निकलते है, घंटो जाम लगता है। इस रास्ते में इतनी धुल होती है की लोगों का जीना मुहाल हो जाता है। हाइवे को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सदन में कहा था की इसके ऊपर किताब लिखी जा सकती  है, और उन्हें इस का भी है, और आश्वाशन दिया था की दिसंबर तक यह सड़क सही हो जाएगी, लेकिन न उनकी माफ़ी काम आई ना ही आश्वाशन। 

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सीधी-सिंगरौली हाइवे

सिंगरौली प्रदेश का एनर्जी कैपिटल कहा जाता है। यह कोयले की खदानें हैं, और कई पावर प्रोजेक्ट्स भी काम कर रहे हैं। इस इलाके से सरकार को काफी राजस्व भी आता है, लेकिन क्षेत्र की यह इकलोती प्रगति यहां की आबादी को काफी पड़ रही है। सिंगरौली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 82 है, और यहां का PM 2.5 कंसन्ट्रेशन डब्ल्यूएचओ की एयर क्वालिटी गाइड लाइन का 5.3 गुना है। वहीं सीधी का एयर क्वालिटी इंडेक्स भी 71 है जो एक अच्छा संकेत नहीं है। 

कुल मिलाकर सीधी में विकास की हालत चिंता का विषय है। यहां भाजपा की डगर भी कठिन ही है। सीधी में मतदान पहले चरण में, 19 अप्रैल को ही होने हैं, देखने का विषय है कि सीधी के मुद्दे राजनीतिक चर्चा में जगह बना पाते है या नहीं।     

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