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Loksabha Election 2024: क्या इस बार मंडला से वापसी कर पाएंगे फग्गन सिंह कुलस्ते?

Loksabha Election 2024: मंडला में इस बार भाजपा से केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और कांग्रेस से ओंकार सिंह मरकाम आमने सामने है।

By Chandrapratap Tiwari
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Loksabha Election 2024: क्या इस बार मंडला से वापसी कर पाएंगे फग्गन सिंह कुलस्ते?

Loksabha Election 2024: मंडला मध्यप्रदेश की बहुत ही महत्वपूर्ण लोकसभा सीट है। मंडला एक जनजातीय सीट है। मंडला लोकसभा में, मंडला, सिवनी, नरसिंहपुर, और डिंडोरी की 8 विधानसभाएं आती है। इसमें शाहपुरा, डिंडोरी, बिछिया, निवास, मंडला, केवलारी, लखनादौन, और गोटेगांव शामिल हैं। इन 8 में से 5 पर कांग्रेस के विधायक जीते हैं और भाजपा मात्र 3 विधानसभाओं में ही जगह बना पाई है। आइये जानते हैं इस बार मंडला में कौन है आमने सामने, और क्या हैं जनता के मुद्दे। 

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क्या कहती है मंडला की डेमोग्राफी 

मंडला लोकसभा की अधिकांश आबादी ग्रामीण और जनजातीय परिवेश से है। अगर 2019 के आंकड़ों को देखा जाए तो मंडला में कुल 1,951,267 मतदाता थे जिनमें से, सामान्य मात्र 12.42 प्रतिशत थे वहीं अनुसूचित जाति के 10.36 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स 77.19 फीसद थे।    

इस बार कौन है आमने सामने 

भाजपा ने इस बार भी हर बार की तरह फग्गन सिंह कुलस्ते को अपना उम्मीदवार चुना है। फग्गन सिंह भाजपा के बड़े नेता हैं। फग्गन सिंह 1996 से 2004 तक मंडला से लगातार लोकसभा जीते।  2009 में चुनाव हारे तो फग्गन सिंह को 2012 में राज्यसभा से संसद ले जाया गया। फग्गन सिंह 2014 और 2019 में भी जीते। 2019 में जीत के बाद फग्गन सिंह को ग्रामीण विकास मंत्रालय, और स्टील जैसे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो दिए गए। 

कहानी में मोड़ हाल के विधानसभा चुनावों में आया, जहां मंडला के निवास विधानसभा से फग्गन सिंह को चुनाव लड़ाया गया। प्रदेश में भाजपा तो प्रचंड बहुमत से जीती लेकिन केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह हार गए। अब एक बार फिर से वे लोकसभा के लिए जनता अदालत में खड़े हैं। 

कांग्रेस पार्टी ने फग्गन सिंह कुलस्ते के सामने अपने बहुत ही मजबूत उम्मीदवार ओंकार सिंह मरकाम को खड़ा किया है। ओंकार सिंह वर्तमान में डिंडौरी के विधायक हैं। ओंकार सिंह 2014 लोकसभा चुनाव में एक बार फग्गन सिंह का सामना कर चुकें हैं, लेकिन तब उन्हें हार झेलनी पड़ी थी।

लोकसभा की हार से अलग देखें तो ओमकार सिंह का बतौर विधायक करियर शानदार रहा है। ओंकार सिंह से 2008 से लगातार 4 बार डिंडौरी के विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा ओंकार सिंह कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य भी हैं। 

क्या हैं मंडला की जनता के मुद्दे 

मंडला के लोग अपने सांसद और केंद्रीय मंत्री से खासे नाराज हैं,  जो कि विधानसभा चुनाव के नतीजों में दिखा भी। उनकी शिकायत है कि फग्गन सिंह के नेतृत्व में मंडला का पर्याप्त विकास नहीं हुआ है। 

मंडला के लोगों का कहना है कि उनके जिले में कोई भी उद्योग व रोजगार की उचित व्यवस्था नहीं है। मंडला के युवक या तो बेरोजगार फिरते हैं या काम की तलाश में दूसरे शहरों में पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं। नाम के लिए मंडला एक मनेरी फूड पार्क है जो कि जमीन पर कारगर नहीं हो पाया है। 

मंडला की सड़कों ने भी यहां के लोगों को परेशान कर रखा है। मंडला जबलपुर हाईवे, जो कि मंडला से 63 किमी दूर जबलपुर के बरेला से जोड़ता है, अभी तक निर्माणाधीन है। इस हाइवे काम चलने के कारण घंटो के जाम लगते है। मध्यप्रदेश में कई प्रोजेक्ट के उद्घाटन के लिए आए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री गडकरी ने इस सड़क की खराबी के लिए माफी भी मांगी थी। लेकिन इस सड़क की सूरते हाल अब भी वैसी ही है। 

मंडला में एक और व्यवस्था बहुत ही गंभीर स्थिति में है, और वो है मंडला की शिक्षा व्यवस्था। मंडला में उच्च शिक्षा के लिए पर्याप्त कॉलेज नहीं हैं, जिसके चलते यहां के छात्रों को जबलपुर-इंदौर जैसे शहरों में जाकर अतिरिक्त खर्च झेलना पड़ता है। इससे इतर मंडला में स्कूली शिक्षा का ये आलम है कि पूरे मंडला जिले के किसी भी स्कूल में लाइब्रेरी और साइंस लैब नहीं है। 

क्षेत्र के लोगों की नाराजगी है, कि इतने साल केंद्रीय सरकार में रहने के बाद भी फग्गन सिंह शहर के लिए अच्छे अस्पताल, अच्छे विद्यालय, कॉलेज, और अच्छी सड़कें नहीं उपलब्ध करा पाएं हैं। यहाँ के ज़िला अस्पताल में आईसीयू 2 वर्ष पहले बनकर तैयार हो गया था. मगर यह अब तक शुरू नहीं हुआ है। हाल ही में प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री संपतिया उइके ने इसे जल्द शुरू करवाने की बात कही थी।

तकरीबन 5 महीने पहले के जनादेश में मंडला की जनता ने फग्गन सिंह को नकार दिया था। लेकिन उन्हीं हारे हुए फग्गन सिंह को कुछ ही समय बाद लोकसभा का प्रत्याशी बनाना इस लोकतंत्र में कितना सही है, ये विचार का विषय है। मंडला के 8 में से 5 विधानसभा पर कांग्रेस काबिज है। फग्गन सिंह एक चुनाव हार ही चुके हैं, और ऐसे में उनके प्रति इंकम्बेंसी होना भी स्वाभाविक है। 

मंडला में मतदान पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को ही है। अब इस बार मंडला में ऊंट किस करवट बैठता है ये 4 जून के नतीजों के बाद ही पता चलेगा। 

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