भारत ने अपने एथेनॉल ब्लेंडिंग (Ethanol Biofuel India) प्रोग्राम के तहत बीते 9 सालों में भारी बचत की है. ऑइल मिनिस्टर हरदीप सिंह पूरी के अनुसार साल 2014 से 2023 के बीच भारत ने 78 हज़ार 118 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा की बचत की है. इसके अलावा इस प्रोग्राम के चलते भारत ने 426 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया है. इसके अलावा भारत ने इसके ज़रिए 142 लाख मीट्रिक टन क्रूड ऑइल की भी बचत की है.
Ethanol Biofuel India:एथेनोल ब्लेंडिंग क्या है?
एथिल अल्कोहल या एथेनॉल एक बायो फ्यूल (Bio Fuel) है. यह शक्कर बनाने के क्रम में गन्ने से और इसके अलावा फ़ूडग्रेन को फर्मेंट करके निकलता है. इस बायो फ्यूल को गैसोलीन या पेट्रोल में मिलाया जाता है. भारत ने फॉसिल फ्यूल की खपत को कम करने के लिए एथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल प्रोग्राम (Ethanol Biofuel India) लॉन्च किया था. भारत में अभी सभी फ्यूल स्टेशन में जो पेट्रोल दिया जाता है उसमें 10 प्रतिशत एथेनॉल मिला होता है. हालाँकि भारत इसे 20 प्रतिशत तक पहुंचाना चाहता है. इसके लिए टेस्ट के रूप में कुछ चुनिन्दा फ्यूल स्टेशन में 20 प्रतिशत एथेनॉल युक्त पेट्रोल की बिक्री शुरू की गई है. हरदीप सिंह पुरी के अनुसार देश में इस तरह के कुल 9 हज़ार 300 रीटेल आउटलेट स्थापित हो चुके हैं.
बायो गैस की ब्लेंडिंग
भारत पेट्रोल की ब्लेंडिंग के अलावा बायोगैस की ब्लेंडिंग को भी बढ़ावा दे रही है. कंप्रेस्ड बायोगैस ब्लेंडिंग ऑब्लिगेशन (CBO) के तहत सीएनजी और एलपीजी में बायो गैस ब्लेंडिंग को बढ़ावा देगी. इसके लिए सरकार साल 2028-29 तक 37 हज़ार 500 करोड़ रूपए का निवेश करेगी. इस निवेश के तहत सरकार 750 सीबीजी प्रोजेक्ट की स्थापना करेगी. सरकार द्वारा जारी जानकारी के अनुसार साल 2024-25 तक सीबीओ वैकल्पिक होगा वहीँ इसके बाद यह अनिवार्य कर दिया जाएगा.
ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस
हाल ही में भारत में हुए जी-20 सम्मलेन के दौरान ग्लोबल बायोफ्यूल अलाइंस का भी गठन किया गया. इसमें भारत सही अन्य देश आपस में सस्टेनेबल बायोफ्यूल को बढ़ावा देने पर काम करेंगे. भारत के अलावा ब्राज़ील और अमेरिका इसके संस्थापक सदस्य हैं. यह तीन देश वैश्विक स्टार पर 85 प्रतिशत बायोफ्यूल का उत्पादन करते हैं एवं 81 खपत भी करते हैं. भारत (Ethanol Biofuel India) उसके उपयोग को अब और आगे बढ़ाने की सोच रहा है. भारत के अनुसार यह न सिर्फ जीवाश्म इधन पर उसकी निर्भरता को कम करेगा बल्कि साल 2070 तक इसके नेटज़ीरो के लक्ष्य तक पहुँचने में भी मददगार रहेगा.
भारत में एथेनॉल से हुए इस फायदे का श्रेय यहाँ इसके उत्पादन के बढ़ने को भी जाता है. भारत में बीते साल से चीनी मीलों को एथेनॉल बनाने के लिए ज़रुरी तकनीक स्थापित करवाने के लिए लोन प्रदान किया जा रहा है. साल 2023 तक भारत में एथेनॉल प्रोडक्शन की क्षमता 1244 करोड़ लीटर तक पहुँच गई.
यह भी पढ़ें
- Solar For Tribals: भारत के आदिवासी क्षेत्रों में लगेंगे सोलर पैनल, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
- Bhopal BRTS Explained: शिवराज की 360 करोड़ की योजना पर CM मोहन का ‘बुलडोजर’!
- क्या बंद हो जाएगा हिमाचल का राधे कृष्णा गौ-अभ्यारण?
- इंदौर में स्ट्रीट लाईट के खम्भों में पैदा होगी बिजली
ज़रुरी खबरें पाने के लिए Ground Report Hindi के Whatsapp समूह से जुड़िये। आप हमें अपनी राय [email protected] पर मेल कर सकते हैं।