Corruption Perception Index 2023: हाल ही में Transparency International नाम की संस्था ने अपनी सालाना रिपोर्ट Corruption Perception Index 2023 जारी की है। इस रिपोर्ट में भारत का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं है। पिछले वर्ष भारत 180 देशों में 85वें स्थान पर था। वहीं इस साल भारत खिसककर 93वें पायदान पर पहुँच गया है। आइये जानते हैं क्या है इस रिपोर्ट के मायने...
भ्रष्टाचार से जुड़ी प्रतिवर्ष दो रिपोर्ट:
Transparency International एक गैर सरकारी संस्था है जो की भ्रष्टाचार के विरूद्ध कार्य करती है। यह मुख्यतः 2 रिपोर्ट प्रकाशित करती है, Corruption Perception Index और Global Corruption Barometer. यह सार्वजनिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के आधार पर राष्ट्रों को रैंक करती है। इसकी स्कोरिंग बहुत ही साधारण है, इसका स्कोर 0 से 100 तक होता है। यहां 0 से तात्पर्य पूरी तरह से भ्रष्ट और 100 से पूरी तरह से भ्रष्टाचार मुक्त राज्य है। इसके मानदंडों में रिश्वत का चलन, सार्वजनिक धन में हेरफेर, सिविल सोसाइटी की जानकारियों तक पहुंच और भ्रष्ट व्यक्तियों पर त्वरित कानूनी कार्रवाई इत्यादि शामिल है। हालाँकि यह निजी क्षेत्र में भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स फ्रॉड जैसे मानदंडों को नहीं शामिल करती है।
सूची में शीर्ष पर 90 अंकों के साथ डेनमार्क
हर बार की तरह इस सूची में शीर्ष पर 90 अंकों के साथ डेनमार्क, उसके बाद 87 अंकों के साथ फ़िनलैंड और तीसरे स्थान पर 85 अंकों के साथ न्यू ज़ीलैंड है, कुल मिलाकर शीर्ष में स्कैंडिनेवियन देशों का ही बोलबाला है। वहीं भारत जो की पिछले वर्ष 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर था, इस साल 39 अंकों के साथ 93 पायदान पर फिसलकर मालदीव, लुसूतो और कजाकिस्तान के साथ कंधा मिलाकर खड़ा है। यह साफ़ तौर पर दर्शाता है की भारत में भ्रष्टाचार की गंभीर समस्या है। हालाँकि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है फिर भी हमारे पड़ोसी चीन 76वें और भूटान 26वें स्थान पर है।
देश भर में भ्रष्टाचार के मामले 10 फीसदी बढ़ें
वहीं अगर भारत के राज्यों में देखा जाये तो NCRB के अनुसार महाराष्ट्र और राजस्थान लगातार 3 साल से देश के सबसे भ्रष्ट राज्य हैं। साल 2022-23 में महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत 749 मामले लिखे गए, वहीं अकेले मुंबई में साइबर क्राइम में 64 फीसदी वृद्धि हुई है। वहीं पूरे देश में भ्रष्टाचार के मामलों में साल भर में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के 650 मामले लंबित लेकिन गिरफ्तारी एक भी नहीं
Prevention of Corruption Act, 1988 के तहत मध्यप्रदेश में साल भर में 294 मामले दर्ज किये गए हैं, और अब तक मध्यप्रदेश में अब तक ऐसे 650 मामले लंबित है । वहीं P.C.Act - 2022 के तहत मध्यप्रदेश में विभागीय कार्रवाही में 210 अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई है लेकिन इनमे से एक भी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। इसके अतिरिक्त Global Corruption Barometer के अनुसार 89 फ़ीसदी लोग यह मानते हैं कि सरकारी भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है। वहीं इस सर्वे में शामिल हुए 39 प्रतिशत लोगों ने पिछले एक साल में कम से कम एक बार रिश्वत जरूर दी है।
सरकार को और कठोर कदम उठाने की जरूरत
यह किसी से छुपा हुआ नहीं है की भारत में भ्रष्टाचार बड़े से लेकर छोटे स्तर तक व्याप्त है, कई नेताओं और अधिकारियों पर सालों से मुक़दमे भी चल रहें है। आए दिन हम अखबार में लोकायुक्त के छापों, बाबू के रंगे हाथों पकड़े जाने की खबर पढ़ते है लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि भ्रष्टाचार की जड़ें और मजबूत होती जा रहीं है। अब यह सोचने का विषय है की सरकार के प्रयास विफल हो रहे हैं या सरकार जान बूझ कर सही दिशा में प्रयास नहीं कर रही है।
बहरहाल लोकतंत्र में मुखिया जनता होती है और इसी रिपोर्ट के मुताबिक एशिया के 62 फीसदी लोगों को यह यकीन है की आम लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ इस लड़ाई में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
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