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Budhni Vidhansabha में विक्रम मस्ताल किन मुद्दों पर घेर रहे हैं शिवराज को?

सीहोर जिले के अंतर्गत आने वाली Budhni Vidhansabha हाई प्रोफाईल सीट है क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ते रहे हैं।

By Ground Report Desk
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Budhni Vidhansabha issues

सीहोर जिले के अंतर्गत आने वाली Budhni Vidhansabha हाई प्रोफाईल सीट है क्योंकि यहां से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ते रहे हैं। यह भाजपा को वो अभेद्य गढ़ है जहां से कांग्रेस ने इस बार विक्रम मस्ताल को चुनावी मैदान में उतारा है। लोगों का कहना है कि विक्रम मस्ताल को कांग्रेस ने चुनाव मैदान में केवल इसीलिए उतारा है क्योंकि वो रामायण रीबूट में हनुमान का किरदार निभा चुके हैं और कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड खेलना चाहती थी। लेकिन जब हमने विक्रम मस्ताल से बात की तो यह जाना कि उन्हें इस क्षेत्र के मुद्दों की काफी समझ रखते हैं और वो इन्हीं मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में है।

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Vikram Mastal Full Interview

2023 Budhni Vidhansabha से उम्मीदवार

भाजपा- शिवराज सिंह चौहान (वर्तमान विधायक एवं मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश )
काँग्रेस- विक्रम मस्तल

बुधनी सीट का राजनीतिक इतिहास

श‍िवराज सिंह चौहान इस सीट से लगातार पांच बार जीतकर मध्‍य प्रदेश विधानसभा में पहुंचे हैं। अपने गृह क्षेत्र से मामा के नाम से लोकप्रिय शिवराज इस बार फ‍िर छठी बार यहां चुनावी मैदान में हैं। यह विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के गढ़ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि यह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र है। 64 वर्षी शिवराज सिंह चौहान बुधनी विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक हैं। शिवराज सिंह चौहान कई बार सांसद, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं ।

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 1990 से लेकर वर्ष 2018 तक श‍िवराज ने Budhni Vidhansabha सीट पर जीत का परचम लहराया है। अपने गृह क्षेत्र की इस परंपरागत सीट पर श‍िवराज 1990 के साथ 2006, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव जीत हासिल हासिल कर चुके हैं। 2006 में हुए उपचुनाव में भी यहां भाजपा को ही जीत हासिल हुई थी।

Budhni Vidhansabha में कांग्रेस की स्थिति

काँग्रेस ने 2018 मे काँग्रेस के बड़े नेता एवं केंद्रीय मंत्री रहे अरुण यादव को लड़ाया था, शिवराज ने अरुण यादव को भारी मतों से हरा कर अपनी ख्याति सिद्ध की थी। इस बार के चुनाव में शिवराज के सामने कोई राजनीतिज्ञ नहीं, बल्कि एक टीवी कलाकार विक्रम मस्ताल को कांग्रेस ने टिकट दिया है। यह उनका पहला चुनाव है। दरअसल, मस्ताल टीवी सीरियल में हनुमान की भूमिका अदा कर चुके हैं। विक्रम मस्ता का जन्म इटारसी के पास एक गांव में हुआ था, उन्होंने अपने पढ़ाई बुधनी से ही की और फिर मुंबई एक्टर बनने चले गए। बचपन से बुधनी में रहे विक्रम मस्ताल शर्मा यहां की समस्याओं से बखूबी वाकिफ नज़र आते हैं। वो यहां रोजगार, विकास, किसानों की समस्याओं पर भाजपा को घेर रहे हैं।

जब हमने विक्रम मस्ताल से बुधनी की समस्याओं पर बात की तो उन्होंने हमें बताया कि शिवराज सिंह चौहान बुधनी में दिखावटी विकास कर रहे हैं, जबकि जनता महंगाई और बेरोज़गारी से परेशान है। चुनाव करीब है इसीलिए यहां पर सड़कों पर काम हो रहा है जबकि पिछले पांच सालों में यहां सड़कों की हालत खराब ही रही है। यहां से बहने वाली नर्मदा नदी में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ा है, और मछुआरा और धोबी समाज के लोगों के रोज़गार पर असर पड़ा है। कहने को बुधनी में फैक्टरी लगी हैं लेकिन यहां के स्थानीय लोगों को उसमें नौकरी नहीं मिलती।

विक्रम मस्ताल कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान का ज्यादातर समय भोपाल में बीतत है, इसका खामियाज़ा जनता को भुगतना पड़ रहा है। अगर उन्हें मौका मिलेगा तो वो बुधनी की सारी समस्याओं को हल करेंगे।

जातिगत समीकरण

बुधनी सीट के जातिगत समीकरण पर नजर डालें तो इस सीट पर अन्य पिछड़ा वर्ग वोटर्स का दबदबा है। यहां पर मीणा समाज के वोटर्स सबसे ज्यादा हैं। इनकी संख्या करीब 28 हजार है। किरार समाज की भी संख्या काफी अच्छी है। खुद सीएम शिवराज भी किरार समाज से आते हैं, राजपूत समाज और ब्राह्मण समाज के वोटर्स भी चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं, कलार बिरादरी की भी अच्छी पकड़ है। मुस्लिम समाज के साथ-साथ कीर और यादव वोटर्स की भी चुनाव में खास भूमिका रहती है।

बुधनी में विकास की स्थिति

वाणिज्यिक दृष्टिकोण से बुधनी विधानसभा क्षेत्र में कृषि प्रमुख क्षेत्र है। यहां सोयाबीन, मूंग, और बासमती चावल की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इसके साथ ही, नर्मदा नदी से बालू रेत का व्यापार भी होता है, जो सरकार के राजस्व को बढ़ाता है। इस क्षेत्र में प्रमुख उद्यान और फैक्ट्री शामिल हैं, और यहां पर तीसरी रेलवे लाइन भी डाली जा रही है।

इस विधानसभा में सड़कों की स्थिति ठीक नहीं है, नसरुल्लागंज से बुधनी के बीच 50 किलोमीटर का फासला है, जिसे तय करने में डेढ़ घंटे से अधिक का समय लगता। जब यहां से विधायक प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हो तब सड़कों का सूरतेहाल अच्छा नहीं है।

शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में Budhni Vidhansabha की सूरत बदली ज़रुर है लेकिन जमीन पर कई परेशानियां देखने को मिलती है। यहां का लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर कम आमदनी की वजह से बदहाल स्थिति में जी रहे हैं तो वहीं मांझी और केवट समुदाय के लोगों को तालाब के पट्टे नहीं मिलने से कई समस्याओं को सामना करना पड़ रहा है। बुधनी से सटे पंडाडोह गांव में लोग रोज़गार और महंगाई की समस्या से परेशना नज़र आते हैं। कुछ लोगों को बुधनी में मौजूद फैक्टरी में रोज़गार मिला है लेकिन ज्यादातर लोग यह शिकायत करते हैं कि फैकट्री में बाहरी लोगों को रोज़गार मिल रहा है।

शहर में घूमने पर आपको हर तरफ गंदगी देखने को मिल जाएगी, धान की पराली भी यहां किसान खुलकर जला रहे हैं। सड़कों पर धूल की समस्या बड़ी है। नर्मदा नदी में प्रदूषण आप खुली आंखों से देख सकते हैं। यह कहा जा सकता है कि बुधनी का शहरीकरण ज़रुर हुआ है लेकिन इसके बदले यहां पर्यावरण को बेताहाशा नुकसान पहुंचाया गया है।

बुधनी सीट के बारे में कहा जाता है कि सीएम शिवराज सिंह की यहां पर इस कदर लोकप्रियता है कि चुनाव प्रचार के लिए एक दिन भी आए बगैर ही वह आसानी से जीत जाते हैं। इस विधानसभा मे जीतना शिवराज सिंह के लिए केकवॉक है, बड़े चैलेंज उनके लिए प्रदेश मे पार्टी की सरकार लाना और खुद को उस सरकार के मुखिया के तौर पर स्थापित कर पाना है।

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