शनिवार शाम को बीजेपी द्वारा जारी लिस्ट में भोपाल के दक्षिण-पश्चिम (Bhopal Dakshin Paschim) विधानसभा सीट से भगवान दास सबनानी का टिकट फाइनल कर दिया गया है. वह पूर्व मंत्री और कांग्रेस के मौजूदा विधायक पीसी शर्मा के सामने होंगे. आपको बता दें कि इस लिस्ट से पहले जारी हुई बीजेपी की लिस्ट के बाद भोपाल की इस सीट को छोड़कर सभी सीटों पर बीजेपी ने अपने प्रत्याशी उतार दिए थे. माना जा रहा है कि यह सीट बीजेपी के लिए सबसे कठिन सीटों में से एक है इसलिए इस पर प्रत्याशी घोषित करने में बीजेपी ने समय लिया है.
क्या है (Bhopal Dakshin Paschim) विधानसभा सीट का इतिहास
साल 2008 में बीएसपी के संजीव सक्सेना यहाँ से उमाशंकर गुप्ता के खिलाफ चुनावी मैदान में थे. इस चुनाव में उन्हें गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था. उमाशंकर गुप्ता को इस दौरान 51.03 प्रतिशत वोट (48,707) मिले थे. जबकि सक्सेना को 23.79 प्रतिशत (22,705) वोट ही मिले थे. वहीँ तत्कालीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दीपचंद यादव को 14.13 प्रतिशत वोट ही मिले थे. एक बार फिर साल 2013 में हुए चुनाव में उमाशंकर गुप्ता के सामने संजीव सक्सेना थे मगर इस बार वह कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी थे. इस चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. साल 2018 में (Bhopal Dakshin Paschim) कांग्रेस ने पीसी शर्मा को उमाशंकर गुप्ता के सामने उतारा था और मात्र 6 हज़ार 587 वोटों के अंतर से पीसी शर्मा ने उन्हें हराया था।
व्यापम के आरोपी संजीव सक्सेना
मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाला बेहद चर्चित मुद्दा रहा है. इसने प्रदेश की राजनीति में बेहद सुर्खियाँ भी बटोरी. मगर प्रदेश के अलावा यह मुद्दा इस विधान सभा सीट के लिए भी ख़ास है. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट के एक ऑर्डर के बाद कांग्रेस के संजीव सक्सेना को इस घोटाले में आरोपी बनाया गया था. इसके बाद 12 मई 2014 को उन्होंने कोर्ट के सामने सरेंडर कर दिया था. सक्सेना को व्यापम सहित 5 मामलों में आरोपी बनाया गया था. इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. मगर इस साल सीबीआई की क्लोज़र रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट होने के बाद जुलाई के महीने में सक्सेना को इस मामलें में क्लीन चिट दे दी गई थी.
कांग्रेस में अंतर्विरोध
जुलाई में क्लीन चिट मिलने के बाद ही रिहा हुए सक्सेना भोपाल के दक्षिण पश्चिम विधान सभा (Bhopal Dakshin Paschim) में सक्रीय हो गये थे. उनकी ओर से अपनी दावेदारी के पोस्टर भी क्षेत्र में लगवाए गए थे. हालाँकि इनमें किसी भी पार्टी का ज़िक्र नहीं था. मगर कांग्रेस द्वारा इस सीट पर पीसी शर्मा को टिकट दे दिया गया. ऐसे में कांग्रेस में अंतर्विरोध साफ़ हो गया था. सक्सेना ने जुलाई में एक कार्यक्रम में बिना नाम लिए शर्मा पर निशाना भी साधा था.
सबनानी के ज़रिए सिन्धी वोट साधती बीजेपी
बीजेपी ने इस क्षेत्र से भगवान दास सबनानी को टिकट दिया है. माना जा रहा है कि सबनानी के ज़रिए बीजेपी भोपाल में सिन्धी वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है. बीजेपी की ओर से अब तक कोई भी सिन्धी समुदाय का प्रत्याशी खड़ा नहीं किया गया था. जबकि हुज़ूर विधानसभा में 14 प्रतिशत जनसंख्या के साथ सिन्धी समुदाय प्रभावी भूमिका निभाता है. हालाँकि सबनानी इससे पहले बीजेपी से बागी होकर हुज़ूर से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं और उन्हे हार का सामना करना पड़ा था.
जहाँ एक ओर कांग्रेस अंतर्कलह से जूझ रही है वहीँ दूसरी ओर भाजपा के मौजूदा प्रत्याशी का भी विरोध हो रहा है. यहाँ से 3 बार विधायक रह चुके उमाशंकर गुप्ता को टिकट न मिलने का उनके समर्थक विरोध कर रहे हैं. उन्होंने बीते रविवार को भाजपा के दफ्तर का घेराव भी किया.
(Bhopal Dakshin Paschim) क्या हैं प्रमुख मुद्दे
भोपाल की यह विधानसभा सीट कर्मचारी बाहुल्य सीट मानी जाती है. ऐसे में यहाँ ओल्ड पेंशन स्कीम को पुनः वापस लेकर आना एक बड़ा मुद्दा है. जून के महीने में जबलपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रियंका गाँधी ने ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर भरोसा जताया था. इसके अलावा इस इलाके में एक बड़ा तबका झुग्गियों में भी रहता है. यहाँ आवास और शौचालय प्रमुख मुद्दे हैं. विधानसभा अंतर्गत आने वाले बिट्टन मार्किट में भोपाल की एक बड़ी सब्ज़ी मंडी है. यहाँ पर्याप्त सुविधाओं का न होना भी एक प्रमुख मुद्दा होगा.
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