Bengaluru Rains : देश का IT हब कहा जाने वाला बेंगलुरु शहर (Bengaluru) भारी बारिश के बाद पानी में डूब नज़र आ रहा है। सड़कों पर जगह-जगह जलभराव है। घर, गाड़ियां और गलियां सब जलमग्न हैं। कई इलाकों में लोग नाव और ट्रैक्टर से लोग अपने ऑफिस और स्कूल जाते नज़र आए।
भारी बारिश ने बेंगलुरू शहर (Bengaluru Rains) में जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। लेकिन इस तरह का की बारिश केवल बेंगलुरु (Bengaluru) शहर ही नहीं बल्कि देश के कई शहरों के लिय चिंता का कारण है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के अनुसार, राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru Rains) के कुछ क्षेत्रों में 1 सितंबर से 5 सितंबर के बीच सामान्य से 150 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। उन्होंने ने बताया कि शहर के महादेवपुरा, बोम्मनहल्ली और के. आर. पुरम में 307 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बताया कि, “पिछले 42 साल में हुई यह सबसे अधिक बारिश थी। बेंगलुरु (Bengaluru Rains) के सभी 164 टैंक लबालब भरे हैं।” बहुत से कार्यालयों ने कर्मियों को घर से काम करने की अनुमति दी है। कई निजी स्कूलों ने अवकाश घोषित कर दिया है और कुछ दिनों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित होंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बेंगलुरु में बारिश (Bengaluru Rains) ने पिछले 8 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बेंगलुरु में हुई बारिश की वजह से अब तक IT कंपनियों को 225 करोड़ का नुकसान हो चुका है। ऐसे में अगर और बारिश हुई तो नुकसान का आंकड़ा बढ़ सकता है।
मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक, कोमोरिन क्षेत्र और इससे सटे मालदीव पर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। पश्चिमी मॉनसून ट्रफ अपनी सामान्य स्थिति के साथ चल रही है।इसके अलावा उत्तरी कर्नाटक से कोमोरिन क्षेत्र तक उत्तर दक्षिण ट्रफ रेखा फैली हुई है।
क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र, बेंगलुरु की प्रमुख डॉ गीता अग्निहोत्री ने बताया कि शीयर जोन (shear zone) के कारण बेंगलुरु में भारी बारिश हो रही है। मॉनसून के दौरान जब साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनता है तो बारिश की गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
देश के कई राज्य अधिक बारिश का सामना कर रहे रहे और कई कर चुके हैं। हालही में मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बारिश ने जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था। बारिश
भोपाल में बारिश ने पिछले 6 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। भोपाल में 44 इंच तक बारिश हुई थी। यह अब तक की सामान्य बारिश से 78% अधिक थी। 2017 में 18.32 इंच बारिश हुई थी। इस बार अब तक इससे दोगुना से भी ज्यादा बारिश हो चुकी है। लगातार बारिश का बढ़ना ख़तरे का संकेत हो सकता है। पर्यावरण में बदलाव इसका एक मुख्य कारण माना जा रहा है।
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