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दिल्ली की इंपीरियल होटल में 26 अप्रैल को पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जॉईंट प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। दो दशक से पंजाब में पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार नरेश वत्स को पंजाब पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस अटेंड करने से रोक दिया। उन्होंने प्रेस इन्फोर्मेंशन ब्यूरो का अक्रेडिएशन कार्ड भी दिखाया। इसके बावजूद उन्हें रोका गया। जब नरेश वत्स ने विरोध किया तो पंजाब पुलिस के पर्सोनल ने उनके साथ असॉल्ट किया।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने सीधे मुख्यमंत्री केजरीवाल को टैग कर ट्वीट किया है कि 48 घंटे बीत चुके है वरिष्ठ पत्रकार नरेश वत्स की पंजाब पुलिस द्वारा की गई पिटाई को लेकिन आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक @ArvindKejriwal ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश नही दिए। पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई का प्रैस क्लब ऑफ इंडिया इसकी निंदा करता है।
कौन हैं नरेश वत्स?
नरेश वत्स पिछले ढाई दशक से पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने सूचना प्रसारण मंत्रालय और पीआईबी को भी अपनी सेवाएं दी हैं।
वत्स का कहना है कि पुलिसवाले न सिर्फ उन्हें अब्यूज़ किया बल्कि उनके साथ असॉल्ट भी हुआ है। उन्होंने पंजाब सरकार के पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट में कंप्लेंट भी की लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया है।
चंडीगढ़ प्रेस क्लब ने कहा कि यह सीधे तौर पर प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। एक पत्रकार को उसका काम करने से रोकना अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला है। पंजाब पुलिस के अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
इस घटना के बाद विपक्ष भी आप सरकार पर हमलावर है। शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर बादल ने घटना की निंदा करते हुए कहा है कि नरेश वत्स वरिष्ठ पत्रकार हैं। उनकी साथ इस तरह की घटना दुखद है। आम आदमी पार्टी अपनी शक्तियों का इस्तेमाल लोगों की आवाज़ को दबाने के लिए कर रही है।
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