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भारत की नागरिकता मिलने के पहले ही हिंदू वापस पाकिस्तान क्यों लौट गए?

हिंदी | पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से हिजरत कर भारत आए करीब 800 हिंदू शहरियत (नागरिकता) न मिलने के चलते हताश होकर वापस अपने मुल्क पाकिस्तान लौट गए।

By Nehal Rizvi
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Hopes of Pakistani Hindus faded, Modi govt. failed to give citizenship

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से हिजरत कर भारत आए करीब 800 हिंदू शहरियत (नागरिकता) न मिलने के चलते हताश होकर वापस अपने मुल्क पाकिस्तान लौट गए।

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किसी भी इंसान या समुदाए के लिए इस ज़मीन पर सबसे मुश्किल होता है अपने मुल्क से हिजरत करके दूसरे मुल्क में बसने की कोशिश करना। म्यामांर,बर्मा जैसे देश से दूसरे देश में बसने की चाहत में वहां के शहरियों का कैसा हाल हुआ है। ये सारी दनिया ने देखा ही है। द हिंदू की ख़बर के मुताबिक ये ये आँकड़े साल 2021 के बताए गए हैं।

एक ख़बर अचानक से चर्चा का केंद्र बन गई है। अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की ख़बर के मुताबिक़, पाकिस्तान से भारत में बसने की हसरत से आए करीब 800 हिंदू नागरिकता आवेदन के बाद उसमें किसी भी तरह की प्रगति न होने के चलते सैकड़ों प्रवासी हिंदू वापस पाकिस्तान लौट गए।

2018 में नागरिकता आवेदन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया चालू हुई

भारत में लगातार पाकिस्तान के हिंदुओं को लेकर समय-समय पर आवाज़ उठती रही है। कई हिंदू संगठन सरकार से अपील करते आए हैं कि वो पाकिस्तान के हिंदुओं को भारत की नागरिकता देने के लिए आगे आए। चार वर्ष पहले भारतीय गृह मंत्रालय ने साल 2018 में नागरिकता आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया चालू की थी।

भारतीय गृह मंत्रालय ने देश के सात राज्यों में 16 अधिकारियों को ये ज़िम्मेदारी दी थी कि वे पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्धों नागरिकता देने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से आवेदन स्वीकार करें। बीते चार वर्षों से इस प्रक्रिया के आगे बढ़ने का इंतज़ार करते-करते हताश होकर सैकड़ों प्रवासी हिंदू पाकिस्तान वापस लौट गए।

पाकिस्तानी अल्पसंख्यक प्रवासियों के हक़ के लिए लड़ने वाली संस्था सीमांत लोक संगठन (एसएलएस) के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा के द हिंदू को बताया कि, "एक बार भारत से हिंदू प्रवासी वापस पाकिस्तान लौट गए तो पाकिस्तानी एजेंसियां उनका इस्तेमाल भारत को बदनाम के लिए शुरू कर देती हैं।“

25 हज़ार हिंदू शहरियत मिलने के इंतज़ार में हैं

सोढा सिंह ने द हिंदू से बात-चीत में आगे बताया कि केवल राजस्थान में ही 25 हज़ार पाकिस्तानी हिंदू नागरिकता मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। इन 25 हज़ार लोगों में कई तो ऐसे हैं दो बीते दो दशकों से यहीं रुके हुए हैं। लेकिन आज भी उन्हें नागरिकता नहीं मिल सकी।

गृह मंत्रालय ने 22 दिसंबर, 2021 को राज्यसभा में बताया था कि नागरिकता के लिए ऑनलाइन माध्यम से मंत्रालय के पास 10,365 आवेदन लंबित पड़े थे। ये आंकड़े 14 दिसंबर, 2021 तक के थे। इन आंकड़ों में 7,306 आवेदन केवल पड़ोसी देश पाकिस्तान से थे।

सरकार दावे तो बड़े-बड़े कर देती है। मगर उसकी ज़मीनी हक़कीकत कुछ और ही नज़र आती है। हिंदुत्व के मुद्दों पर राजनीति करने वाली सरकार इस पर बिल्कुल मौन है। मीडिया में पाकिस्तान में हिंदुओं पर हो रहे ज़ुल्म पर महीनों डिबेट चलती है। मगर जब बात मौजूदा सरकार के कार्यों पर सवाल पूछने की आती है। तब एक सिरे से ख़ामोश होते दिखाई देते हैं।

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