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कौन थे लचित बारफुकान जिनकी 125 फीट प्रतिमा का अनावरण पीएम मोदी ने किया है?

लचित बारफुकान (Lachit Borphukan) असम के महान सैनिक हैं, जिनकी गाथा आज 400 साल बाद भी असम के बच्चों को गौरव से भर देती है।

By Chandrapratap Tiwari
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lachit borphukan

प्रधानमंत्री मोदी 2 दिन के असम दौरे पर हैं। इस दौरे में प्रधानमंत्री ने जोरहाट में लचित बारफुकान (Lachit Borphukan) की 125 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया। आइये विस्तार से जानते हैं लचित बारफुकान के बारे में। 

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कौन हैं लाचित बारफुकान 

लचित बारफुकान (Lachit Borphukan) असम के महान सैनिक हैं, जिनकी गाथा आज 400 साल बाद भी असम के बच्चों को गौरव से भर देती है। दरअसल लचित बारफुकान असम में स्थित अहोम साम्राज्य के सबसे महत्वपूर्ण सेनापति थे, जिन्होंने मुग़लों और अहोम के बीच हुई सराईघाट की जंग में अहोम सेना का न सिर्फ नेतृत्व किया बल्कि जीत भी दिलाई। 

क्या थी सराईघाट की जंग 

ये बात मार्च 1671 की है जब औरंगजेब की मुग़ल फ़ौज ने अहोम साम्रज्य पर चढ़ाई कर दी थी। गुवाहाटी में ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे सराईघाट में दोनों सेनाओं का आमना सामना हुआ। अहोम साम्राज्य की सेना संख्या में भले ही कम रही हो लेकिन उनके पास एक बेहतर नौसेना भी थी साथ ही उनके सैनिक गुरिल्ला युद्ध जानते थे।

लचित बारफुकान ने काबिल अहोम नौसेना का इस्तेमाल किया, गुरिल्ला युद्ध के जरिये मुगलों की फौज को पटखनी दी और वे गुवाहाटी से वापस भागने पर मजबूर हो गए। इस जंग के बाद अहोम साम्राज्य, मराठों के बाद भारत के उन गिने चुने साम्राज्यों में शुमार हो गया जिन्होंने औरंगजेब की फ़ौज को हराया था। 

क्या है Lachit Borphukan की विरासत 

लचित बारफुकान भारत के महान सेनानी हैं। अहोम नौसेना के विकास में उन्होंने अतुलनीय योगदान दिया था। लचित बारफुकान के शौर्य का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं की NDA (National Defense Academy) में सर्वश्रेष्ठ कैडेट को लचित बारफुकान गोल्ड मैडल दिया जाता है। 

अंततः लचित बारफुकान असम के लिए वही महत्त्व रखते है जो महत्व महाराष्ट्र में तानाजी का है, हरियाणा में सूरजमल का है और गोंडवाना में दुर्गावती का है।

प्रधानमंत्री मोदी ने लचित बारफुकान की 400 वीं जयंती में हुए समारोह में भी हिस्सा लिया था, और अब वे असम के जोरहट में उनकी प्रतिमा का अनावरण कर रहे हैं, जो की वास्तव में असम के लोगों के लिए गौरव का पल होगा। 

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