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स्मार्ट सिटी के विकास में पर्यावरण को ध्यान में रखने की बात लगातार कही गई थी. मगर क्लाइमेट के लिहाज़ से एक स्मार्ट सिटी कैसी होगी? इस सवाल का जवाब देने के लिए साल 2019 में आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा क्लाइमेट स्मार्ट सिटी असेसमेंट फ्रेमवर्क लॉन्च किया गया. इसमें क्लाइमेट के लिहाज़ से स्मार्ट कहलाने के लिए शहरों को 5 पैमानों पर मापा गया.
क्लाईमेट स्मार्ट सिटी की पहचान
- नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन और उपयोग
- हरित भवनों का निर्माण
- शहरी नियोजन, जैव विविधता और हरित आवरण
- गतिशीलता और स्वच्छ वायु
- जल संसाधन प्रबंधन
- कचरे का प्रबंधन
सितम्बर से लेकर दिसंबर 2020 तक 100 स्मार्ट सिटीज़ सहित कुल 126 शहरों का असेसमेंट किया गया. इस असेसमेंट में राज्यों की राजधानी की कटेगरी में भोपाल को 5 में से 2 स्टार दिए गए. झीलों का शहर कहे जाने वाले भोपाल में वाटर मैनेजमेंट का हाल यह था कि इसे 600 में से 145 नंबर ही मिले.
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ग्रीन बिल्डिंग बनाने में असफल
वहीं ग्रीन बिल्डिंग के मामले में भी भोपाल सहित मध्यप्रदेश की बाकी शहर भी काफी पीछे हैं. राज्य के वन विभाग के लिए बना ‘वन भवन’ प्रदेश की पहली ग्रीन बिल्डिंग होना था. मगर 15 साल का समय लेने के बाद भी यह भवन ग्रीन बिल्डिंग न होकर केवल सामान्य बिल्डिंग के रूप में ही बन पाया.
इसके अलावा बढ़ते हुए वायु प्रदूषण को मापने, इलेक्ट्रिक व्हीकल को चार्जिंग की सुविधा देने और वाईफाई जैसे कई वादों के साथ भोपाल में 400 स्मार्ट पोल्स लगाए जाने थे. मगर इनमें से केवल 100 में ही एनवायरनमेंट सेंसर लगाया गया. सरकारी दस्तावेज़ के अनुसार ऐसा डाटा रिपीटीशन के बचने के लिए किया गया. लेकिन स्मार्ट पोल के केसस्टडी डॉक्युमेंट में भी केवल 2 जगहों के स्मार्ट पोल्स का डाटा ही दिखाई देता है.
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तमाम दस्तावेज़ों और मौजूदा हालात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि स्मार्ट सिटी के काम न सिर्फ़ अधूरे हैं बल्कि वह जिन पैमानों में खरे उतरने थे वह भी संभव नहीं हो पाया है. ऐसे में पूरे हुए प्रोजेक्ट्स भी अपने उद्देश्यों में सफल दिखाई नहीं देते हैं. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मिशन की प्लानिंग में ही कमी थी जिसे समय रहते ध्यान नहीं दिया गया. एक विशेषज्ञ पहचान न उजागर करने की शर्त पर कहते हैं,
“स्मार्ट सिटी मिशन में कोई इंटिग्रेटेड प्लान नहीं था. इसकी शुरुआत में ही यह बात बार-बार कही गई थी मगर किसी ने भी इस ओर ध्यान न देते हुए केवल पैसा बहाया है.”
यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि सरकार के अनुसार यह शहर आने वाले समय में बाकी शहरों के लिए विकास के आदर्श बनने वाले थे.
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