Green Hydrogen Hub: भारत सरकार के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने हरित हाइड्रोजन हब स्थापित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किये हैं। ये भारत द्वारा, स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक बड़ा कदम है। ये हब राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का हिस्सा हैं, जिसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा देना है। हाइड्रोजन, ऊर्जा का ऐसा स्रोत है जिससे पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता है।
MNRE, चुनिंदा एजेंसियों के साथ, इन हब्स का प्रभारी होगा। ये हाइड्रोजन को सुरक्षित रूप से संभालने के लिए भंडारण और परिवहन सुविधाओं, पाइपलाइनों, ईंधन भरने वाले स्टेशनों और प्रौद्योगिकियों जैसे आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करेंगे।
सरकार की योजना ऐसे क्षेत्र तैयार करने की है जो बड़ी मात्रा में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन कर सकें। सरकार जाहिर तौर पर स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना चाहती है और साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि यह एक निर्धारित बजट के भीतर हो।
क्या होंगे इससे लाभ?
इससे हरित हाइड्रोजन किफायती दरों पर उपलब्ध होगी, संबंधित परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो पाएगा। यह भारत में और भारत के बहार निर्यात के लिए हरित हाइड्रोजन के उपयोग को प्रोत्साहन देगा। इससे हरित हाइड्रोजन आधारित व्यवसायों के समग्र मूल्य में भी सुधार होगा।
क्या है हरित हाइड्रोजन हब?
हाइड्रोजन हब (Green Hydrogen Hub) से आशय एक ऐसे स्थान से है जहां सभी जरूरी सुविधाओं की उपलब्धता के साथ हाइड्रोजन बनाया और उपयोग किया जाता है। एक्सपोर्ट ऑपरेशंस को आसान बनाने के लिए ये हब्स अंतर्देशीय या बंदरगाहों के नजदीक स्थापित किये जा सकते हैं। ये अपने आस पास की कई रिफाइनरियों और औद्योगिक इकाइयों के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं, जो कि हाइड्रोजन पर चल सकती हों।
क्या है इस परियोजना की कसौटी?
प्रत्येक हब को हर साल कम से कम 100,000 मीट्रिक टन हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम होना चाहिए। सरकार भी ऐसे हब को प्राथमिकता देती है जो और भी अधिक उत्पादन कर सकें। वे हाइड्रोजन से संबंधित गतिविधियों के लिए मौजूदा बुनियादी ढांचे का भी उपयोग करना चाहते हैं।
पीएम गति शक्ति पहल के तहत, सरकार सभी बुनियादी ढांचे, परियोजनाओं और संसाधनों का एक खाका तैयार करेगी। MNRE देश के अन्य स्थानों को भी हरित हाइड्रोजन हब के रूप में नामित कर सकता है, इससे वे सरकार से वित्तीय सहायता न मिलने पर भी इस योजना का कुछ लाभ उठा सकेंगे।
इस मिशन का लक्ष्य साल 2026 तक कम से कम दो हरित हाइड्रोजन हब तैयार करना है। सरकार ने इस योजना के लिए 2 अरब रुपये निर्धारित किये हैं, जिसका उपयोग वित्तीय वर्ष 2025-2026 तक किया जाना है।
क्या होगी प्रक्रिया
मंत्रालय द्वारा चुनी गई एजेंसी को इस परियोजना के लिए प्रपोजल देना होगा। सार्वजनिक और निजी कंपनी, राज्य निगम जैसे विभिन्न संगठन इसके लिए प्रपोजल भेज सकते हैं। प्रभारी एजेंसी को परियोजनाओं को पूरा करने और बेचने का ज्ञान होना आवश्यक है। प्रभारी एजेंसी के लिए कसौटी है की उसे परियोजना के क्रियान्वयन और विपणन संबंधी ज्ञान होना चाहिए।
प्रस्तावों का मूल्यांकन मुख्य रूप से इस बात पर किया जाएगा कि उनकी कितनी हाइड्रोजन उत्पादन करने की योजना है। इसके साथ ही वे उपयोग की जाने वाली तकनीक, उत्पादन के बाद हाइड्रोजन का उपयोग कैसे किया जाएगा और इसमें शामिल संगठनों की वित्तीय प्रतिबद्धता भी एक मापदंड होगा।
सरकार इन हब के निर्माण के लिए फंडिंग में भी मदद करेगी, प्रत्येक हब के मुख्य बुनियादी ढांचे के लिए सरकार 1 अरब रुपये तक प्रदान करेगी। यह पैसा तीन भागों में दिया जाएगा: 20% जब परियोजना के स्वीकृत होने के बाद, 70% जब परियोजना कुछ निश्चित प्रगति कर लेगी तब, और अंतिम 10% जब यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा तब । इन परियोजनाओं के 31 मार्च, 2026 तक पूरा होने की अपेक्षा है।
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