/ground-report/media/media_files/2025/03/23/VBF5Zc4ieIAQqqKpjgEQ.png)
परियोजना के तहत प्रेशर्ड तरीके से पानी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे किसान स्प्रिंकलर और ड्रिप से सिंचाई कर पाएंगे। Photograph: जनसंपर्क विभाग मध्य प्रदेश
उज्जैन (ujjain) के तराना पहुंचकर गुरुवार, 20 मार्च को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने नर्मदा-क्षिप्रा बहुउद्देशीय माइक्रो उद्वहन सिंचाई परियोजना (lift irrigation) का लोकार्पण किया। इस योजना से उज्जैन और शाजापुर जिले के कुल 100 गांवों तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचाया जाएगा। इस परियोजना की लागत 2489.65 करोड़ रुपए है।
लिफ्ट इरिगेशन परियोजना की सरकारी स्वीकृति पिछले साल 5 जुलाई को मिल चुकी थी। इस योजना से निमाड़ क्षेत्र से नर्मदा नदी के पानी को लिफ्ट इरिगेशन तकनीक से मालवा क्षेत्र तक लाया जाएगा। इससे उज्जैन और शाजापुर (shajapur) जिलों की 30 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए 10 क्यूमेक्स (एक घन मीटर पानी का एक सेकंड में प्रवाह) और पेयजल एवं औद्योगिक इस्तेमाल के लिए 5 क्यूमेक्स पानी लिया जा सकेगा। अनुमाना है कि इस परियोजना से लगभग 90 हजार किसान को सिंचाई में फायदा होगा।
क्या है लिफ्ट इरिगेशन की तकनीक?
इस तकनीक में पानी को पंप या मशीनों की मदद से ऊंचे हिस्सों में लाया जाता है। जिससे की पानी ऊंचे- नीचे वाले खेतों में पहुंच जाता है। जबकि नहरों में गुरुत्वाकर्षण बल की मदद से पानी का प्रवाह नीचे वाले हिस्सों में किया जाता है। इसका सरल उदाहरण कुंए में मशीन लगाकर पानी को ऊंचे खेतों में पहुंचाना है। या फिर तालाबों -नदी के पानी को भी तकनीक की मदद से ऊंचे इलाका में पहुंचाया जाता है।
नर्मदा-शिप्रा की इस लिफ्ट इरिगेशन योजना के लिए खंडवा जिले के बड़ेल के पास ओंकारेश्वर जलाशय से 3 मीटर व्यास वाले पाइप से 15 घनमीटर प्रति सेकंड की दर से 435 मीटर की ऊंचाई तक पानी को ले जाया जाएगा। इसकी मुख्य पाइपलाइन की कुल लंबाई लगभग 200 किलोमीटर है। जिसके साथ 6 पंपिंग स्टेशनों में कुल 50 मोटर सेट्स भी लगाए गए हैं। इस परियोजना को चलाने में 89 मेगावाट बिजली की भी जरूरत है।
लिफ्ट इरिगेशन के इस प्रोजेक्ट में पानी के वितरण के लिए प्रति 20 हेक्टेयर पर कुल 1539 ओएमएस बॉक्स भी बनाए गए हैं। इसकी पाइपलाइन में प्रेशर से पानी उपलब्ध कराया जाएगा जिससे किसान स्प्रिंकलर और ड्रिप से सिंचाई कर पाएंगे। इससे कम पानी में अधिक भूमि की सिंचाई की जा सकेगी।
इस परियोजना में उज्जैन जिले की तराना तहसील के 77 गांवो और घट्टिया के 6 गांवों को पानी मिलेगा। जबकि शाजापुर जिले की शाजापुर तहसील के 17 गांवों को पानी मुहैया हो पाएगा।
भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट को आर्थिक सहयोग करें।
यह भी पढ़ें
“हमें पानी ला दो.”: पिकोला पिंद्रे जिनकी ज़िन्दगी सूखे में गुजरी
कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्र 'हरित समाधान' या गाढ़ी कमाई का ज़रिया?
पातालकोट: भारिया जनजाति के पारंपरिक घरों की जगह ले रहे हैं जनमन आवास
अनियमित मौसम की मार झेलते मध्य प्रदेश के संतरे के किसान
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी।