Powered by

Advertisment
Home हिंदी

जो कर्नाटक ने किया वो पूरा देश करे तो कोयले से बिजली बनाने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी

Renewable Source of Energy: जब हाल ही में कोयले की कमी हुई तो पता चला कि अभी भी देश की 60 फीसदी बिजली कोयले से ही बनती है।

By Pallav Jain
New Update
Wind, solar power surge in G20, but climate targets remain out of reach

24 घंटे बिजली के आदि हो चुके शहरी लोगों को लगने लगा था कि हम अब इतनी बिजली बनाने लगे हैं कि दुनिया को बांट देंगे। सोलर प्लांट, विंड एनर्जी, और हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट की वजह से हमारे यहां अब कभी बिजली का संकट पैदा नहीं होगा। लेकिन जब हाल ही में कोयले की कमी हुई तो पता चला कि अभी भी देश की 60 फीसदी बिजली कोयले से ही बनती है। और सोलर प्लांट के साथ छपने वाली मुख्यमंत्रियों अखबार में तस्वीर की पोल खुल गई।

Advertisment

आज हम बात करेंगे उन राज्यों की जिन्होंने कोयले पर अपनी निर्भरता को बड़ी तेज़ी से कम किया है, अगर बाकि राज्य भी इन्हीं की राह पर चलें तो हम जल्द ही हम अपने कोल पावर प्लांट बंद कर सकते हैं।

अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करने वाले देश के टॉप 3 राज्य

बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में अभी करीब 60 फीसदी बिजली का उत्पादन थर्मल प्लांट यानी कोयले से होता है और केवल 26 फीसदी बिजली रीन्यूएबेल सोर्सेस से आती है। हमारी बिजली उत्पादन की कुल क्षमता 3 लाख 93 हज़ार मेगावॉट के करीब है लेकिन इसमें से केवल 1 लाख 4 हज़ार मेगावॉट बिजली का उत्पादन ही रीन्यूएबल सोर्सेस से होता है। यानी केवल एक चौथाई।

publive-image

लेकिन देश में कुछ राज्य ऐसे हैं जो शानदार काम कर रहे हैं जैसे कर्नाटक, राज्स्थान और तमिलनाडू। जब देश में कोयले का संकट हुआ तो इन्हें ज्यादा असर नहीं हुआ क्योंकि ये राज्य इलेक्ट्रिसिटी के लिए अब सोलर और विंड एनर्जी पर ज्यादा निर्भर हैं।

कर्नाटक में केवल 34 फीसदी बिजली कोयले से बनती है, 51 फीसदी बिजली रीन्यूएबल सोर्सेस जैसे विंड और सोलर से बनाई जाती है, और 9 पर्सेंट बिजली अन्य सोर्सेसे से मिलती है। आप सोच रहे होंगे की शायद कर्नाटक में बहुत बड़े-बड़े सोल पावर प्लांट होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। देश के टॉप 10 सोलर प्लांट में से केवल एक पावागड़ा पार्क कर्नाटक में है, यहां ज्यादातर सोलर एनर्जी घरों की छत पर लगे सोलर पैनल से बनाई जाती है।

राजस्थान में 45 फीसदी बिजली कोयले, 46 फीसदी अक्षय और 9 फीसदी अन्य सोर्स से मिलती है। वहीं तमिलनाडु में 44 फीसदी कोयला, 45 फीसदी अक्षय और 11 फीसदी अन्य सोर्सेस से बिजली बनती है। गुजरात और मध्यप्रदेश भी इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन हरियाणा, पंजाब, झारखंड, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्य इस रेस में काफी पीछे हैं। अगर ये राज्य भी कर्नाटक के मॉडल पर चलें तो हालात सुधर सकते हैं।

कोयले का इस्तेमाल बंद कर ही बनेंगे विश्व गुरु

आपको बता दें कि चीन के बाद भारत ही दुनिया में सबसे ज्यादा कोयले पर निर्भर देश है। पूरी दुनिया के 11 फीसदी कोयले की खपत भारत में होती है। हमें इसे घटाने पर ज़ोर देना होगा। इसके कई फायदे हैं, पहला तो यह कि आने वाले समय में कोयले का संकट बढ़ना ही है, यह वो धरती से मिलने वाला वो मिनरल है जो खत्म होने की कगार पर है। जितना जल्दी हम रीन्यूएबल सोर्स पर शिफ्ट करेंगे उतना हम दुनिया में आगे रहेंगे। दूसरा इससे प्रदूषण होता है जो दुनिया का तापमान बढ़ाने का मुख्य कारण है, भारत जैसा बड़ा देश अगर कम समय में कोयले पर निर्भरता खत्म कर देगा तो यह मानवता के लिए एक बहुत बड़ा तोहफा होगा। और हम वाकई विश्व गुरु कहलाने के काबिल होंगे।

यह भी पढ़ें

Ground Report के साथ फेसबुकट्विटर और वॉट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपनी राय हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।