नर्मदा बचाओ आन्दोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 'महात्मा गाँधी मिशन विद्यापीठ' ने डीलिट की डिग्री से सम्मानित किया है। उन्हें यह सम्मान पर्यावरण संरक्षण और वंचित तबके के अधिकारों के लिए बीते 45 सालों से किए जा रहे प्रयासों के लिए दिया गया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर बीते 1 दिसंबर को 70 साल की हो गईं। इस मौके पर विद्यापीठ के बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स द्वारा उन्हें डॉक्टर की पदवी प्रदान की गई।
इस मौके पर सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी जी की प्रेरणा के साथ चल रहे विद्यापीठ की यह डिग्री, व्यक्तिगत नहीं है। उन्होंने कहा कि यह आन्दोलन के कार्यकर्ताओं, किसान-मजदूरों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं के मिलकर किये कार्य का पुरस्कार है।
इस दौरान उन्होंने देश में फैली गैर बराबरी पर भी चिंता जताई। उन्होंने वहां मौजूद छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी विद्यार्थियों को जाति-धर्म के बंटवारे को नकारकर समाजवादी बनना चाहिए, सत्तावादी नहीं। युवाओं को करिअर के साथ समाज में शोषित वर्ग के कल्याण के बारे में भी प्रयास करने चाहिए।
इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल भी मौजूद रहे। उन्होंने ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा
‘तुम्हारे कार्य का मूल्यांकन तुम्हारे द्वारा स्वीकारे आव्हानों से ही होगा। जो मुख्यधारा के प्रवाह के विरुद्ध भी चलने की हिम्मत रखेगा, वही परिवर्तन ला पाएगा।’
इस दौरान लगभग 1280 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। कुलगुरु अंकुशराव कदम, उपकुलगुरु विलास सपकाल और गांधीवादी विचारक कमलकिशोर कदम के द्वारा मेधा पाटकर को मानपत्र भी प्रदान किया गया।
भारत में स्वतंत्र पर्यावरण पत्रकारिता को जारी रखने के लिए ग्राउंड रिपोर्ट का आर्थिक सहयोग करें।
पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी
यह भी पढ़ें
कूड़े की यात्रा: घरों के फर्श से लैंडफिल के अर्श तक
सीहोर की इंदिरानगर बस्ती, जहां कचरे के धुंए के बीच बीत रही है लोगों कि ज़िंदगी