स्मार्ट सिटी किसे कहते हैं? इस सवाल का जवाब खुद सरकार के पास भी नहीं है. जून 2015 में इस मिशन के लिए ‘मिशन स्टेटमेंट और गाइडलाइन’ जारी की गई थी। इस दस्तावेज़ में यह कहा गया ‘स्मार्ट सिटी’ की कोई भी यूनीवर्सल परिभाषा नहीं है. दस्तावेज़ के अनुसार,
“स्मार्ट सिटी की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग है. अतः इसका अर्थ शहर दर शहर बदल जाता है.”
हालाँकि अगले ही पैराग्राफ में स्मार्ट सिटी के रूप में शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास और बेहतरीन सर्विस देने की बात कही गई है। दस्तावेज़ की माने तो स्मार्ट सिटी में पूरे अर्बन ईको-सिस्टम को ऐसे विकसित किया जाएगा कि वह संस्थागत, भौतिक, समाजिक और आर्थिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (Institutional, physical, social and economic infrastructure) के विकास के पैमाने पर खरा उतरता हो।
कितनी स्मार्ट सिटी हैं तैयार?
25 जून 2015 को प्रधानमंत्री द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च किया गया था। इस मिशन का उद्देश्य देश के 100 शहरों को साल 2020 तक ‘स्मार्ट सिटी’ बनाना था। बाद में इसकी डेडलाइन बढ़ा कर जून 2023 की गई। लेकिन अब इनके जून 2024 तक पूरे होने की सम्भावना है। मगर हाल ही में संसद की स्टैंडिंग कमिटी ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा है कि कुल 7,970 प्रोजेक्ट्स में से 400 प्रोजेक्ट्स इस साल के अंत तक भी पूरे नहीं होंगे। गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी मिशन में कुल 98 हज़ार रूपए खर्च होने का अनुमान था जिसमें से 48 हज़ार रूपए केंद्र सरकार निवेश करने वाली थी।
कैसे होना था स्मार्ट सिटी का डेवलपमेंट?
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत मुख्य तौर एरिया बेस्ड डेवलपमेंट को अपनाया गया था। यानि किसी शहर के एक चिनिन्दा हिस्से को ‘स्मार्ट’ तरीके से विकसित किया जाना था। इसे आगे जाकर शहर के बाकी हिस्सों में ‘रेप्लीकेट’ किया जाता। इस मिशन के तहत मुख्य तौर पर 4 तरह के प्रोजेक्ट्स इम्प्लीमेंट किए जाने थे।
- रेट्रोफिटिंग (Retrofitting) - इस तरह के प्रोजेक्ट्स के तहत शहर का 500 एकड़ का एरिया जहाँ पहले से ही निर्माण हो चुका है, को चुना गया था. इसमें पहले से मौजूद स्ट्रक्चर को ज़्यादा प्रभावित किए बिना एडिशनल ‘स्मार्ट’ निर्माण और सुविधाएँ दी जानी थी.
- रीडेवलपमेंट (Redevelopment) - इन प्रोजेक्ट्स के तहत शहर के 50 एकड़ के एक एरिया को पुनः निर्मित करके उसे स्मार्ट बनाया जाना था.
- ग्रीनफ़ील्ड डेवलपमेंट (Greenfield development) - इसके तहत पहले से खाली हिस्से (250 एकड़ से अधिक) में विकास कार्य किया जाना था.
- पैन सिटी डेवलपमेंट - इसके तहत ऐसे प्रोजेक्ट्स शामिल थे जिन्हें पूरे शहर में लागू किया जाना था. मसलन पब्लिक शेयरिंग बाईसिकल (PSB).
मगर सेंटर फॉर फाइनेंशियल अकाउंटबिलिटी के असोसिएट डायरेक्टर गौरव द्विवेदी स्मार्ट सिटी मिशन के रिव्यू डॉक्युमेंट में लिखते हैं कि स्मार्ट सिटी की अवधारणा में एक ऐसा प्रयोग अन्तर्निहित है जहाँ ‘डेवलपमेंट कैपिटल’ को गैरपारंपरिक स्रोतों से लाना और शहरी विकास में प्राइवेट इन्वेस्टमेंट और लाभ कमाने की मंशा शामिल है। ऐसे में परिभाषाओं की इस अस्पष्टता का इस्तेमाल मिशन में कुछ भी गलत होने या फेल होने पे खुद को बचाने में किया जा सकता है।
देश भर के शहरों को पानी के लिहाज़ से ‘स्मार्ट’ बनाने के लिए सरकार ने अलग से अमृत (AMRUT) मिशन जून 2015 में ही लॉन्च किया था। यानि स्मार्ट सिटी मिशन लॉन्च होने के दौरान ही। इसका दूसरा फ़ेज़ (AMRUT 2.0) 1 अक्टूबर 2021 को लॉन्च किया गया। इसमें पहले फेज़ की तुलना में तीन गुना ज़्यादा पैसा खर्च करते हुए कुल 2 लाख 99 हज़ार करोड़ रूपए आवंटित किए गए थे।
सरकार स्मार्ट सिटी के रूप में ऐसे शहरों को विकसित करना चाहती थी जहाँ नागरिकों को ‘कोर इन्फ्रास्ट्रक्चर’ और ‘डिसेंट लाइफ’ मिल सके. हालाँकि स्मार्ट सिटी की तरह ही इन दोनों टर्म की क्या परिभाषा है इसका स्पष्ट उत्तर इन दस्तावेज़ों में नहीं मिलता. लेकिन कुछ दस्तावेज़ों के अनुसार यह शहर कचरा प्रबंधन, ऊर्जा बचत, ट्रांसपोर्ट सिस्टम, पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के लिहाज़ से देश के मौजूदा शहरों से ज़्यादा ‘स्मार्ट’ होंगे. यहाँ के नागरिकों के पास सारी सुविधाएँ भी होंगी और स्वच्छ वातावरण भी।
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