SARDAR SAROVAR BACKWATER FLOODS 2023 | नर्मदा के किनारे बसे खरगोन से 41.7 किलोमीटर दूर नावड़ाटोड़ी में रहने वाली सीमा केवट (42) मलबे को ताक रही हैं. 16 सितम्बर की रात से पहले यह उनका घर हुआ करता था. मगर गाँव के बाकी घरों की तरह उनका घर भी अब मलबे में तब्दील हो गया है. सीमा के पति जगदीश केवट नर्मदा नदी से मछली पकड़कर बेंचते हैं. यही उनकी कमाई का एक मात्र ज़रिया है. सीमा बताती हैं कि बीते 20 साल में उन्होंने पैसे जोड़कर घर बनाया था मगर “सब एक रात में ही तबाह हो गया.”
नर्मदा नदी पर बने बाँधों का क्रम
सीमा का गाँव दरअसल 16-17 सितम्बर के दरम्यान आई बाढ़ का शिकार हो गया था. यह बाढ़ इस दौरान हुई भारी बारिश के बाद ओम्कारेश्वर और इंदिरा सागर बाँध से छोड़े गए पानी के सरदार सरोवर में रोक दिए जाने के कारण आई थी. दरअसल सरदार सरोवर बांध को मिलाकर नर्मदा नदी के इस हिस्से पर बने कुल 6 बाँध एक-दूसरे से सामंजस्य बनाकर काम करते हैं. शुरुआत के 5 बाँध (क्रमशः बरगी, तवा, इंदिरा सागर, ओम्कारेश्वर और महेश्वर) सरदार सरोवर के अपस्ट्रीम यानि नर्मदा घाटी के ऊपरी हिस्से में आते हैं. यहाँ से छोड़ा जाने वाला पानी सरदार सरोवर तक जाता है. सरदार सरोवर के गेट खुले होने पर यह पानी नदी के डाउनस्ट्रीम यानि घाटी के निचले हिस्से से होते हुए खंभात की खाड़ी में मिल जाता है. मगर गेट खुले नहीं होने या पर्याप्त पानी नहीं छोड़े जाने पर बाँध का बैकवाटर, बाँध के पिछले भाग जिसका एक बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में आता है, में इकठ्ठा हो जाता है.
पानी नहीं छोड़ने के कारण आई बाढ़
15 सितम्बर को अकेले ओम्कारेश्वर बाँध से लगभग 42 हज़ार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. वहीँ 16 तारीख़ तक इंदिरा सागर और ओम्कारेश्वर डैम से 12.90 लाख क्यूसेक पानी सरदार सरोवर की ओर छोड़ा गया. सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के अनुसार शनिवार 16 सितम्बर तक सरदार सरोवर में पानी का स्तर 137.32 मीटर था. इस दिन बांध के 23 गेट तो खोले गए मगर वह सिर्फ 5.60 मीटर की ऊँचाई तक ही खोले गए. ध्यान रहे कि बाँध के इन गेट्स की कुल ऊँचाई 18.30 मीटर है. ऐसे में बैकवाटर के रूप में पानी मध्य प्रदेश के इस क्षेत्र में ही इकट्टा हो गया था. साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम रिवर एंड पीपल (SANDRP) द्वारा किए एक विश्लेषण के अनुसार 17 सितम्बर को सरदार सरोवर से 18.76 लाख क्यूसेक छोड़े जाने के चलते गुजरात के वो हिस्से जो सरदार सरोवर के डाउनस्ट्रीम में आते हैं, बाढ़ का शिकार हुए थे (SARDAR SAROVAR BACKWATER FLOODS 2023) |. ऐसे में स्पष्ट है कि इस दौरान तक पानी नही छोड़े जाने के चलते ही मध्य प्रदेश के 4 ज़िले (खरगोन, बड़वानी, धार और अलीराजपुर) बाढ़ का शिकार हुए.
600 साल पुराने गाँव का मिट्टी में मिल जाना
धार ज़िले के एक्कलवाड़ा गाँव के देवी सिंह तोमर (62) अपने घर का बचा हुआ सामान निकाल रहे हैं. 16 सितम्बर की बाढ़ में उनका 2 मंज़िला मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया. पानी उतरने के बाद टूटे हुए ढ़ांचे की तरह बचे अपने घर से जब वो सामान निकालते हैं तो हर बार मिट्टी का मलबा गिरता है. वह कहते हैं “यह मकान कब गिर जाएगा पता नहीं.” तोमर बताते हैं कि नगद पैसों के साथ फसल, अनाज, गहने सब कुछ बाढ़ में ख़राब हो गये है. वह इतने निराश हैं कि मलबे के गिरने पर उसके नीचे दब जाने को भी बड़ी बात नहीं मानते हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट की टीम इस गाँव में जब दाखिल हुई तो दूर-दूर तक केवल ढह चुके मकान और बचे हुए मलबे नुमा ढ़ांचे ही दिखाई देते हैं. लोग अपने घर के मलबे से अपना सामान निकालने की कोशिश कर रहे हैं. गाँव के बारे में बताते हुए राधेश्याम मंडलोई कहते हैं कि यह 600 साल पुराना गाँव है. कभी इस गाँव से 11 गाँवों का सञ्चालन हुआ करता था यही कारण है कि इसे एक्कलवाड़ा नाम दिया गया. मगर अब वही गाँव मिट्टी में तब्दील हो गया है.
साल 1946 में पहली बार सरदार सरोवर बाँध प्रोजेक्ट को प्रस्तावित किया गया था. मगर नर्मदा नदी के पानी पानी को लेकर उपजे विवाद के चलते नर्मदा वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल बना. 1969 में बने नर्मदा वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल (NWDT) ने बाँध की ऊँचाई 138.68 मीटर तक तय कर दी. साल 1987 में बनना शुरू हुए सरदार सरोवर बाँध की साल 1995 में ऊँचाई 80.3 मीटर थी. मगर साल 1991 से ही यह बाँध पुनर्वास को लेकर क़ानूनी प्रक्रिया में फंसा रहा. इस दौरान से इस प्रोजेक्ट पर राहत और पुनर्वास (relief and rehabilitation) और पर्यावरण संबधी लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं. इन आरोपों के चलते साल 1995 में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी ऊँचाई और बढ़ाने से रोक लगा दी. साल 2000 में फैसला बाँध के पक्ष में आया. इसके बाद साल 2006 तक अलग-अलग समय पर बाँध की ऊँचाई बढ़ाने की इज़ाजत नर्मदा कंट्रोल अथोरिटी (NCA) द्वारा मिलती गई. नतीजतन साल 2006 में इसकी ऊँचाई 121.92 मीटर हो गई. अभी बाँध की ऊँचाई (FRL) 138.68 मीटर है.
डूब के बाहर के गाँवों का बाढ़ पीड़ित बन जाना
राधेश्याम मंडलोई के घर के पीछे से ही नर्मदा नदी बहती है. वह बताते हैं कि यहाँ कभी बस्ती हुआ करती थी. मगर सरदार सरोवर परियोजना के तहत जब डूब प्रभावित क्षेत्र चिन्हित किए गए थे. अतः उस बस्ती को डूब प्रभावित क्षेत्र मान लिया गया. “बस्ती के अलावा पूरा गाँव डूब से बाहर था”. मंडलोई कहते हैं कि साल 2009 के आस-पास परियोजना से जुड़े अधिकारियों ने उन्हें कहा था कि जल स्तर 138 मीटर से ऊपर नहीं जाएगा. अतः उनका गाँव डूब से बाहर कर दिया गया था.
क्या बैक वाटर लेवल में गड़बड़ी की गई?
मंडलोई दरअसल जिस जल स्तर की बात कर रहे हैं वह सरदार सरोवर का बैकवाटर है. दरअसल 3 मई 2007 को नर्मदा कंट्रोल अथोरिटी (NCA) द्वारा गाँवों के बैकवाटर लेवल का सर्वे वापस से करवाने का निर्णय लिया गया (SARDAR SAROVAR BACKWATER FLOODS 2023) . जून 2008 में एनसीए द्वारा बैकवाटर लेवल के नए आँकड़े जारी किए गए. मगर जल्द ही इस पर सवाल उठने लगे.
फ़ॉरेस्ट सर्वे ऑफ़ इंडिया के तत्कालीन डायरेक्टर डॉ. देवेन्द्र पाण्डेय की अध्यक्षता में बनी एनवायरमेंटल एक्सपर्ट कमिटी ने सर्वे पर गंभीर सवाल उठाये थे. कमिटी के अनुसार बैकवाटर लेवल का आंकलन डैम के अधिकतम जल स्तर (Maximum Water Level) 140.21 की जगह 137.17 तक ही किया गया है. साथ ही सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) के बजाय यह सर्वे एनसीए की सब-कमिटी से करवाने पर भी सवाल उठाए गए थे.
बैकवाटर से सम्बंधित साल 2018 में आरटीआई के तहत प्राप्त एक जवाब में एनसीए द्वारा पुराने (सर्वे के पहले) बैकवाटर लेवल और जून 2008 में जारी किए गए आंकड़ों की जानकारी दी गई. ग्राउंड रिपोर्ट द्वारा इस दस्तावेज़ के अध्ययन से पता चलता है कि लगभग सभी गाँवों में बैकवाटर लेवल पहले की तुलना में कम कर दिया गया था.
SARDAR SAROVAR BACKWATER FLOODS 2023 - सरकारी घाल-मेल की सज़ा भुगतते गाँव
एक्कलवाड़ा में पुराना बैक वाटर लेवल 143.04 था मगर बाद में इसे घटाकर 139.52 कर दिया गया. यही हाल खरगोन के चिचली का था. चिचली गाँव के सुरेन्द्र सिसोदिया (51) बताते हैं कि गाँव के चौक पर 141.60 मीटर का नए बैकवाटर लेवल का पत्थर लगा हुआ था. मगर उस रात पानी उससे कहीं आगे निकल गया. इस गाँव का पुराना बैक वाटर लेवल 145.95 था.
धार के खलबुज़ुर्ग में बैकवाटर का आँकड़ा 144.86 था, मगर गाँव के एक घर पर 16 सितम्बर को आई बाढ़ का निशान (Higest Flood Level) बता रहा है कि पानी 151.17 मीटर तक गया था.
नर्मदा बचाओ आन्दोलन से जुड़े हुए मुकेश भगोरिया बैकवाटर में हुई गड़बड़ी का करते हुए कहते हैं, “हम बार-बार यह कहते आए थे कि आज नहीं लेकिन जब बड़ी बाढ़ आएगी तो पानी पुराने बैक वाटर लेवल तक या उससे ऊपर जाएगा. मगर हमारी बात को अनदेखा करते हुए सरकार ने बैकवाटर लेवल कम कर दिया था.”
इसके पीछे के कारण को बताते हुए वह कहते हैं कि ऐसा अधिक से अधिक परिवारों को डूब से बाहर रखने और उन्हें मुआवज़ा न देने की मंशा से किया गया था. गौरतलब है कि साल 2008 के बाद 15946 घरों को मुआवज़े से बाहर कर दिया गया था. अब इनमें से से ज़्यादातर घर 16 सितम्बर को आई बाढ़ के बाद तबाह हो चुके हैं.
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