हिमाचल हाईकोर्ट ने काँगड़ा में स्थित राधे कृष्णा गौ अभ्यारण पर लगे अनियमितता के आरोपों की जाँच का निर्देश दिया है. दरअसल इस गौ अभ्यारण्य के खिलाफ कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें बीते सालों में हुई 1200 गाय की मौत का हवाला देते हुए इसे बंद करने और इसका स्थान परिवर्तित करने की बात कही थी. आपको बता दें कि इस अभ्यारण्य की स्थापना साल 2021 में की गई थी.
क्या हैं गौ अभ्यारण?
23 जनवरी 2019 को प्रदेश सरकार ने एक नोटिस जारी करते हुए प्रदेश के हर ज़िले में एक गौ अभ्यारण स्थापित करने के आदेश दिए थे. इस निर्णय को लेते हुए सरकार की ओर से यह कहा गया कि उनकी प्राथमिकता खुले में घुमने वाले पशुओं से सड़कों को मुक्त करवाना है. काँगड़ा में स्थित इस गौ अभ्यारण्य पर सरकार ने 3.5 करोड़ रूपए खर्च किए थे. बीते दो सालों में यहाँ 1310 गायें लाई गईं. मगर इनमें से 12 सौ गायों की मौत हो गई. इसमें इस साल 19 अक्टूबर को एक दिन में हुई 15 गायों की मौत भी शामिल है.
क्या कहता है फैसला?
याचिकाकर्ता द्वारा इस मामले को उठाते हुए गौ अभ्यारण्य से सम्बंधित अमले पर लापरवाही के आरोप लगाये थे. इस मामले में कोर्ट ने सरकार और गौ सेवा कमीशन से जवाब माँगा था. हालाँकि बीती सुनवाई में सरकार की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने इन आरोपों को नकार दिया था. कोर्ट ने इस मामले को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय ज़िला विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) के सचिव को गौ अभ्यारण्य जाकर आरोपों की जांच करने का आदेश दिया है.
गायों के लिए हो रहे सरकारी प्रयास
हिमांचल प्रदेश में अब तक कुल 6 गौ अभ्यारण खोले जा चुके हैं. 19वीं पशुधन जन गणना के अनुसार इस प्रदेश में कुल 48 लाख 44 हज़ार 431 पशु हैं. इनमें से 21 लाख 49 हज़ार 259 गायें हैं. गायों के संरक्षण के लिए प्रदेश में साल 2019 में गौ सेवा आयोग गठित किया गया. इसके अलावा यहाँ शराब की बिक्री पर 1 रूपए गौ सेस के रूप में वसूला जाता है. इससे आयोग को अब तक 7.95 रूपए कमा चुका है.
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