बीते दिनों मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ओकारेश्वर के 600 मेगावाट के फ्लोटिंग सोलर प्लांट के विकास पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. दरअसल 2 स्थानीय समूहों द्वारा सरकार के इस प्रोजेक्ट के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. माँ सातमाता सैलानी मतस्यउद्योग समिति और मान कजलरानी विस्थापित आदिवासी मछुआरा सहकारी समिति द्वारा संयुक्त रूप से लगाई गई याचिका के अनुसार इस प्रोजेक्ट से स्थानीय मछुआरों की आजीविका पर असर पड़ेगा.
क्या है मामला?
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के अनुसार पानी के ऊपर सोलर प्लेट बिछाए जाने से स्थानीय मछुआरों के लिए मछली के शिकार के रास्ते बंद हो जाएँगे. इससे उनकी आजीविका प्रभावित होगी. इसी सवाल का जवाब माँगते हुए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और इस प्रोजेक्ट की ज़िम्मेदार रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड को नोटिस भेजा है. कोर्ट ने कहा है कि सोलर प्लांट का कार्य कोर्ट के अगले फैसले के अनुसार ही किया जा सकेगा. कोर्ट ने फिलहाल के लिए इस पर रोक लगा दी है.
मछुआरों की आजीविका पर असर
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अलोक अग्रवाल के अनुसार यहाँ के मछुआरों की आजीविका का एक मात्र साधन मतस्याखेट है ऐसे में उनकी आजीविका के वैकल्पिक साधनों का इंतज़ाम किए बिना सरकार को इस प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए. गौरतलब है कि प्रोजेक्ट की पर्यावरण एवं सामाजिक प्रभाव रिपोर्ट (ESIA Report) के अनुसार इस प्रोजेक्ट से 312 मछुआरों की आजीविका पर संकट आएगा. प्रोजेक्ट के लाइवलीहुड रीस्टोरेशन प्लान (LRP) के अनुसार इन मछुआरों के लिए कुल 5 करोड़ 19 लाख 55 हज़ार 200 रूपए की राशि (ESIA Report, पेज 436) का प्रावधान किया गया है.
भारत का अक्षय ऊर्जा उत्पादन
मध्यप्रदेश का यह प्रोजेक्ट दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट है. 600 मेगावाट का यह प्रोजेक्ट देश के 2022 तक 100 गीगावाट सोलर एनर्जी उत्पादन के टारगेट का हिस्सा था. भारत द्वारा साल 2022 तक कुल 175 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था. इसमें से सोलर के अलावा 60 गीगावाट विंड पॉवर, 10 गीगावाट बायो पॉवर और 5 गीगावाट छोटे हाइड्रोपॉवर से उत्पादित करना था. हालाँकि भारत इस टार्गेट को मिस कर चुका है.
मध्यप्रदेश का अक्षय ऊर्जा उत्पादन
वहीँ अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो यहाँ उपरोक्त टार्गेट के अंतर्गत 5 हज़ार 675 मेगावाट सोलर, 6 हज़ार 200 मेगावाट विंड और अन्य साधनों से ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य था. मगर अब तक मध्य प्रदेश में 2 हज़ार 237 मेगावाट सोलर और 2 हज़ार 520 मेगावाट का उत्पादन ही हो पा रहा है.
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