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Loksabha Election 2024: क्या वापस विदिशा से सांसद बन पाएँगे शिवराज?

इस बार भाजपा ने विदिशा से शिवराज सिंह चौहान को तो कांग्रेस ने प्रताप भानु शर्मा को उतारा है। दोनों ही यहां से सांसद रह चुके हैं।

By Chandrapratap Tiwari
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Loksabha Election 2024: क्या वापस विदिशा से सांसद बन पाएँगे शिवराज?

विदिशा मध्यप्रदेश की काफी हाई प्रोफाइल सीट है। विदिशा से राघव जी, पत्रकारिता के बड़े आदर्श रामनाथ गोएंका, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुन कर जाते रहे हैं। कांग्रेस यहां से सिर्फ 2 बार ही चुनाव जीत सकी है। आइये जानते हैं इस सीट के बारे में और समझते हैं इस चुनाव में क्या हैं जनता के मुद्दे। 

क्या कहती है विदिशा की डेमोग्राफी 

विदिशा लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभाएं हैं, जिनमे से 7 पर भाजपा और 1 पर कांग्रेस विराजमान है। इन 8 विधानसभाओं में 3 रायसेन (भोजपुर, सांची, सिलवानी) की, 2-2 सीहोर (बुधनी, इछवार) और विदिशा (विदिशा, बसोड़ा) की और 1 देवास (खातेगांव) की विधानसभा है।   

विदिशा के अधिकांश मतदाता ग्रामीण हैं। यहां की 76 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। यहां अनुसूचित जाति की आबादी 16.6 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की आबादी भी 16 फीसद है, वहीं विदिशा में मुस्लिम आबादी लगभग 10 प्रतिशत है।       

कौन-कौन है मुकाबले में 

भाजपा ने क्षेत्र के सबसे कद्दावर नेता को मैदान में उतारा है। शिवराज सिंह के राजनैतिक करियर से सब अवगत हैं। उन्होंने भाजपा के फुट सोल्जर से प्रदेश के मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक का सफर तय किया है। वे प्रदेश के सबसे लंबे कार्यकाल वाले मुख्यमंत्री रहे हैं। विदिशा से 5 बार सांसद रह चुके हैं। शिवराज सिंह अपने क्षेत्र के जन नेता हैं। जहां प्रदेश उन्हें मामा बुलाता है वहीं सीहोर-विदिशा के लोग शिवराज सिंह को स्नेह से पग-पग वाले भैय्या कह कर बुलाते हैं। अब शिवराज सिंह एक बार फिर लोकसभा के मैदान उतर चुके हैं। 

शिवराज सिंह जहां पहली लिस्ट में उम्मीदवार बन गए थे, वहीं कांग्रेस ने इस सीट का उम्मीदवार चुनने में काफी समय लिया और सबसे अंत में उम्मीदवार के नाम की घोषणा की। कांग्रेस ने शिवराज सिंह के सामने प्रताप भानु शर्मा को उतारा है। प्रताप भानु शर्मा कांग्रेस के बहुत ही वरिष्ठ नेता हैं। प्रताप भानु 1980 और 1984 में विदिशा से ही लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। अब एक बार फिर वे विदिशा में मुकाबले में उतरे हैं। 

क्या हैं विदिशा की जनता के मुद्दे 

विदिशा भौगोलिक स्थिति और यहां के राजनीतिक परिदृश्य इसे विशेष बना देते हैं। विदिशा से केंद्रीय मंत्री-प्रधानमंत्री चुन कर जाते रहे हैं। इसके अलावा विदिशा लोकसभा प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटा हुआ है। इन्ही कारणों से विदिशा को विकासात्मक परियोजनाओं का लाभ लगातार मिलता रहा है, फिर चाहे वो कनेक्टिविटी हो या इंफ्रास्ट्रक्टर। मसलन नसरुल्लागंज से बुधनी के बीच 305 करोड़ की लागत से 2 लेन हाईवे अपग्रेड की सौगात केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी थी, जिसके अक्टूबर तक पूरा होने की उम्मीद बताई जा रही है। 

विदिशा को कुदरत ने बहुत ही उर्वरक काली मिट्टी से नवाज़ा है। विदिशा में शरबती गेंहू, उड़द और सोयाबीन की अच्छी उपज होती है, और प्रदेश के राजस्व में भी काफी इजाफा होता है। विदिशा के किनारे से बेतवा नदी बहती है, जो यहां की कृषि के लिए वरदान है। इसके अलावा इस इलाके में दो-दो कृषि कॉलेज भी हैं। 

विदिशा लोकसभा पुरातात्विक महत्व के स्थापत्य से भी समृद्ध है। यहां सांची, भीमबैठका, उदयगिरि जैन तीर्थ और सारू-मारू जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जो की पर्यटकों की आँखों को लुभाते हैं। 

वर्तमान सांसद द्वारा किए गए विकास कार्य के बारे में बात करें तो एमपी-लैड (MPLAD) के पोर्टल में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक वर्तमान सांसद रमाकांत भार्गव ने 17 करोड़ में से मात्र 7 करोड़ ही निकाले हैं। इसमें से भी 60 लाख खर्च होने बाकी हैं। 

विदिशा लोकसभा में हर स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। चाहे वो प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हो या फिर जिला अस्पताल, इस लोकसभा में सब उपलब्ध है। इसके अलावा विदिशा में अटल विहारी वाजपेयी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय भी है। राष्ट्रिय स्वास्थ्य सर्वे (National Family Health Survey 2019-21) के मुताबिक शत प्रतिशत बच्चों का वैक्सिनेशन हुआ है और वो भी सरकारी केंद्र में,  जो कि बहुत ही सकारात्मक संकेत है।  

इन सब के बाद भी इस लोकसभा की महिलाओं में एनीमिया की स्थिति चिंताजनक है। नीति आयोग के एक आंकड़े के मुताबिक यहां की 59 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं, और 45 फीसदी सामान्य महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं, वहीं 5 साल से कम उम्र के बच्चों में आंकड़ा 82 फीसदी पहुंच जाता है, जो की चिंता का विषय है।  

इसके अलावा पर्यावरण के दृष्टिकोण से इस लोकसभा से काफी निगेटिव फीडबैक आए हैं। 25 सितंबर के एक आदेश में NGT ने अपने आदेश में जिला प्रशासन को फटकार लगते हुए कहा कि वे अवैध रेत खनन को नियंत्रित करने में बुरी तरह फेल हुए हैं। इनके मुताबिक गंजबासौदा के नजदीक के गावों में 500 से भी अवैध रेत खनन की गतिविधियां चल रही हैं। 

साल 2020 से 2022 के बीच विदिशा में फॉरेस्ट कवर 25.54 फीसदी घटा है, और सीहोर में यह 2 साल के दरमियान 46 प्रतिशत तक कम हुआ है। ये आंकड़े एक प्रकार का अलार्म हैं, क्योंकि विदिशा में कुल क्षेत्र का 20 और सीहोर में मात्र 10 फीसदी ही फॉरेस्ट कवर है, जिसका एक बड़ा हिस्सा तेजी घट रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा से ही वृक्षारोपण का सन्देश देते आए हैं। ऐसे में उन्ही के क्षेत्र से ऐसे आंकड़े आना अचंभित करता है।    

विदिशा में चुनाव तीसरे चरण में 7 मई को होंगे। इस बार भी विदिशा में हर बार की तरह भाजपा का पलड़ा भारी है। देखने का विषय यह है कि क्या जनता के मुद्दे इस चुनाव में जगह बना पाते हैं, या वे राजनैतिक शोरगुल में कहीं खो कर रह जाते हैं।

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