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Loksabha Election 2024: क्या देवास में 'एंटी इनकम्बेंसी' पर भारी पड़ेगा मोदी फैक्टर?

Loksabha Election 2024: देवास एक SC सीट है। जहां एक ओर भाजपा ने महेंद्र सोलंकी पर दोबारा भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने राजेंद्र मालवीय पर दांव खेला है।

By Chandrapratap Tiwari
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Loksabha Election 2024: क्या देवास में 'एंटी इनकम्बेंसी' पर भारी पड़ेगा मोदी फैक्टर?

देवास मध्यप्रदेश की एक खास लोकसभा है, जो किसी भी नेता को अपना एक छत्र राज नहीं चलाने देती है। दरअसल 1967 से यह सीट शाजापुर के अंतर्गत आती थी। 2008 में परिसीमन के बाद देवास एक अलग लोकसभा बनी। आइये जानते हैं इस सीट की कहानी और जनता के मुद्दे। 

यहां से 2009 में भाजपा के बड़े नेता थावरचंद गहलोत को हराकर,  कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा जीते। 2014 में सज्जन सिंह भाजपा के मनोहर ऊंटवाल से हार गए। 2019 में भाजपा ने महेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट दिया और उन्होंने पद्म पुरुस्कार से सम्मानित भजन गायक प्रहलाद सिंह टिपानिया को साढ़े 3 लाख से अधिक मतों से हराया। 

दरअसल महेंद्र सिंह सोलंकी यहां के पहले सांसद है जो देवास के निवासी हैं। इससे पहले के सभी सांसद एयरड्रॉप किये गए थे। सज्जन सिंह इंदौर से, थावरचंद गहलोत नागदा से और मनोहर ऊंटवाल भी देवास से बाहर के थे।  

क्या कहती है देवास की डेमोग्राफी 

देवास लोकसभा अनुसूचित जाती के लिए आरक्षित है। देवास लोकसभा में देवास, शाजापुर, आगर मालवा, और सीहोर की 8 विधानसभाएं शामिल हैं। यह विधानसभाएँ आष्टा, अगर, शाजापुर, शुजालपुर, हाटपिपल्या, कालापीपल, सोनकच्छ, और देवास हैं। इन सभी विधानसभाओं में वर्तमान में भाजपा सत्ता में है। 

देवास की अधिकांश आबादी ग्रामीण है, देवास की 72 फीसद आबादी ग्रामीण है। देवास के 24 फीसदी मतदाता SC, और लगभग 2.7 फीसद ST मतदाता हैं, वहीं देवास में मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 11 प्रतिशत है। 

इस बार कौन है आमने सामने 

भाजपा ने इस बार 2019 के जीते हुए नेता महेंद्र सिंह सोलंकी को रिपीट किया है। महेंद्र सिंह सोलंकी राजनीति में आने से पहले जज थे। पिछले चुनाव में उन्होंने बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की थी। महेंद्र सिंह बलाई समाज से आते हैं, जिसका इस क्षेत्र में अच्छा वोट बैंक है। अब वे एक बार फिर से देवास में चुनौती के लिए तैयार हैं। महेंद्र सिंह को टिकट देने से कार्यकर्ता नाराज भी थे, इन कार्यकर्ताओं ने नेतृत्व को पत्र लिख कर अपनी शिकायत व्यक्त की थी। ये वाकया इस लोकसभा में एंटी इंकम्बेंसी का संकेत भी हो सकता है। 

महेंद्र सिंह सोलंकी के सामने राजेंद्र मालवीय को खड़ा किया है। एक प्रकार से तो राजेंद्र कांग्रेस के नए चेहरे हैं, लेकिन अपने पीछे वो एक पोलिटिकल लेगसी भी कैरी करते हैं। राजेंद्र मध्यप्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राधाकिशन मालवीय के बेटे हैं। राधाकिशन मालवीय इस क्षेत्र के बड़े नेता थे, राज्यसभा के सांसद और  नरसिम्हा राव सरकार में मंत्री भी थे। राजेंद्र भी बलाई समाज से आते हैं, जो की यहां के जातीय समीकरण पर फिट बैठता है। 

क्या हैं देवास की जनता के मुद्दे 

देवास की जनता की शिकायत है कि, देवास बड़े शहरों से लगा हुआ है लेकिन पिछड़ गया है। देवास के उद्योग दिन-ब-दिन अपनी पहचान खोते जा रहे हैं। इंदौर के आस पास के इलाकों में जगह की सीमितता के कारण नए उद्योगों की गुंजाईश नहीं बची है। आए दिन देवास को पीथमपुर और रतलाम के बाद प्रदेश का तीसरा इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एरिया बनाने की बात होती है, लेकिन इसकी दिशा में पर्याप्त कदम उठते नहीं दिखते हैं। अभी हाल ही में हुई उद्योग समिट में मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (MPIDC) ने देवास लोकसभा के क्षेत्रों को चिन्हित किया है, जो यहां उद्योगों के लिए जमीन देंगे।  

देवास में उद्योग क्लस्टर के लिए 20 एकड़ की जमीन चिन्हित भी की गई है। इनमे एक इंजीनियरिंग क्लस्टर होगा और एक मल्टीपरपज होगा। इनके टेंडर की प्रक्रिया भी हो गई है, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ पा रहा है। देवास में औद्योगिक इकाइयां विकसित नहीं हो पाने के कारण यहां के युवा रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर होते हैं।   

देवास में उच्च शिक्षा के लिए बेहतर संस्थान नहीं है। यह भी यहां के लोगों के लिए एक बड़ा विषय है। इस वजह से उन्हें अपने बच्चों को पढ़ने के लिए दूसरे शहर भेजना पड़ता है और अतिरिक्त खर्च का भार झेलना पड़ता है। 

देवास, दिल्ली-इंदौर-मुंबई हाइवे के बीच में जुड़ रहा है। देवास को उज्जैन से जोड़ने के लिए 2906 करोड़ की लागत से 136 किमी लंबा उज्जैन-गरोठ हाइवे तैयार किया जा रहा है, जिसके अगले साल तक पूरा होने का अनुमान है। हालांकि इस निर्माण कार्य से देवास के लोगों को काफी ट्रैफिक जाम झेलना पड़ता है। 

देवास लोकसभा में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं है। यहां के लोगों को बीमार पड़ने पर बाहर भागना पड़ता है। लोकसभा में जो सामुदायिक और प्राथमिक उपचार केंद्र हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है। देवास के बीमा अस्पताल की इमारत का बुरा हाल है और वहां से चिकित्सक नदारद हैं, वहीं बीते माह देवास के गांव शुकल्या क्षिप्रा के उप स्वास्थ्य केंद्र में एएनएम (Auxiliary Nurse and Midwife), आशा कार्यकर्ताओं से मेकअप करवा रहीं हैं। कुल मिलकर क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं न के बराबर हैं, और जो हैं भी उनका बुरा हाल है। 

देवास की जनता के ये मुद्दे काफी गंभीर हैं और नकारे नहीं जा सकते हैं। देवास में मतदान चौथे चरण में, 13 मई को होगा। इस चुनाव में ये देखना रोचक होगा की देवास में एंटी इंकम्बेंसी भारी पड़ती है या मोदी की गारंटी।

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