हिमाचल में कसौली लोगों की फेवरिट टूरिस्ट डेस्टिनेशन मानी जाती है, यहां टूरिस्ट्स बड़ी संख्या में टूरिस्ट्स आते हैं। यहां से लोग खीरगंगा का ट्रेक करने जाते हैं और साथ ही में मनीकरण के गुरुद्वारा भी जाते हैं। हिमाचल के सोलन जिले में पढ़ने वाले कसौली का जंगल धधक उठा है। यहां रविवार सुबह 6:30 बजे के आसपास गांव वालों ने आग देखी और एयर फोर्स अथॉरिटी को इसके बारे में बताया।
आपको यह जानकर अचरज होगा कि कसौली में फायर स्टेशन नहीं है। इसलिए सोलन और परवनू से फायर टेंडर्स बुलाए गए जिन्हें पहुंचने में देड़ घंटा लग गया। यहां 400 से ज्यादा होटल हैं, आग इतनी भयंकर थी कि अगर एयरफोर्स की मदद न ली गई होती तो शायद रेसीडेंशियल एरिया तक पहुंच सकती थी।
आग बुझाने के लिए एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई, फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का पहाड़ियों तक पहुंचना मुमकिन नहीं था। सूखी पाईन नीडल्स में लगी आग की वजह से जंगल खाक हो गए। तेज़ हवा ने भी आग पर काबू करने में मुश्किल पैदा की। तीन फायर फाईटर भी इस ऑपरेशन में झुलस गए उन्हें इलाज के लिए पीजीआई चंडीगड़ भेजा गया। इसमें सनसेट पॉईंट के पास एक फायर टेंडर में भी आग लग गई।
कई घंटों की मश्क्कत के बाद आग पर काबू पाया गया लेकिन अगले दिन सुबह फिर आग की घटनाएं सामने आई। सेना और फायर फाईटर्स ने साहस के साथ आग बुझाने का काम किया।
हिमाचल के जंगलों में गर्मियों के मौसम में आग लगना आम है। इस बार तापमान में वृद्धी की वजह से आग की घटनाएं ज्यादा सामने आ रही हैं। हिमाचल में अप्रैल के महीने में हर दिन औसत 12 आग की घटनाएं दर्ज की गई। लेकिन यह बहुत ही दुख की बात है कि कसौली जैसे हिलस्टेशन में फायर स्टेशन नहीं है। यहां गर्मियों में हज़ारों टूरिस्ट सैर करने आते हैं। लगातार हो रही आग की घटनाओं से उनकी जान को खतरा हो सकता है। सरकार को आग बुझाने के इंतज़ाम करने चाहिए। साथ ही यह भी देखना चाहिए की जो 400 से ज्यादा होटल्स कसौली में हैं वहां आग से निपटने के उचित इंतेज़ाम है या नहीं।
जंगल की आग से सबसे ज्यादा नुकसान वहां रहे वन्य प्राणियों को होता है, साथ ही बायोडावर्सिटी को भी नुकसना पहुंचता है। इतनी बड़ी संख्या में हिमाचल के जंगलों में लग रही आग चिंता का विषय है।
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