Janseva Mitra Protest | 5 अक्टूबर 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक वर्चुअल संबोधन में कहा था कि सरकार प्रत्येक 50 घर पर एक जनसेवा मित्र बनाना चाहती है. इस तरह से प्रदेश में कुल 3 लाख जनसेवा मित्र बनाने की बात तब के मुख्यमंत्री द्वारा कही गई थी. इससे पहले 30 जुलाई 2023 को अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान (AIGGPA) द्वारा उस दौरान काम कर रहे इन जनसेवा मित्रों का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया था.
मगर नयी सरकार के बनने के बाद अब इन जनसेवा मित्रों का कार्यकाल बीती 31 जनवरी को ख़त्म हो गया है. अपने कार्यकाल को बढ़ाने और स्थाई करने की मांग को लेकर सैकड़ों जन सेवा मित्र भोपाल के जम्बूरी मैदान में इकठ्ठा (Janseva Mitra Protest) हुए.
कौन हैं जन सेवा मित्र?
सरकार की नीतियों को ज़मीन पर बेहतर ढंग से लागू करने में मदद करने वाले अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान की मदद से जनसेवा मित्रों को पंचायत स्तर पर सरकार की योजनाओं को ली जाने के उद्देश्य से लाया गया था. कुल 2 बैच में ऐसे 9 हज़ार के करीब इन्टर्न सरकार ने बनाए थे. इन्हें ज़िला स्तर पर सीएम रिसर्च असोसिएट द्वारा निर्देशित किया जाता था.
परीक्षाओं की तैयारी छोड़कर बने जन सेवा मित्र
24 वर्षीय पुनीत कुर्मी अपने भविष्य को लेकर असमंजस्य में दिखाई देते हैं. क़रीब डेढ़ साल पहले वह भोपाल में ही रहकर सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. फिर एक दिन अखबार में जनसेवा मित्र (सीएम इन्टर्न) की भर्ती का विज्ञापन देखा. वह बीते एक साल से बीना में पंचायत स्तर पर सरकारी योजनाओं को पहुँचा रहे थे. बकौल पुनीत पूरे दिन फ़ील्ड पर काम करने के बाद घर लौटकर पढ़ना न मुमकिन हो जाता था. इस तरह उनकी सरकारी नौकरी की तैयारी भी छूट गई.
Janseva Mitra Protest: हमने सरकार का प्रचार किया है
यहाँ आए हुए (Janseva Mitra Protest) एक सीएम इन्टर्न कहते हैं कि सरकार द्वारा शुरू की गई विभिन्न योजनाओं को घर-घर तक हमने ही पहुँचाया था. वह आगे बताते हैं कि यह कार्य उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान भी किया. इन जन सेवा मित्रों का मानना है कि भाजपा के पुनः सरकार में आने का सबसे ज़्यादा श्रेय उन्हें ही जाता है.
सागर के रहने वाले भारत कुर्मी कहते हैं कि इस वर्ष मध्य प्रदेश में वोटिंग का प्रतिशत बढ़ा है. इसके पीछे इन सेवा मित्रों द्वारा किया गया प्रचार ही था. गौरतलब है कि इस बार मध्यप्रदेश में वोटिंग प्रतिशत 76.22 था जो अब तक के इतिहास में सबसे ज़्यादा है. भरत कहते हैं कि सरकार सुशासन को बढ़ावा देने का दावा करती है मगर इसे सुनिश्चित करने वाले जन सेवा मित्रों को वह नहीं सुन रही है.
महिलाओं की परेशानी
लक्ष्मी पन्त अशोकनगर की रहने वाली हैं. वह एक बच्चे की माँ भी हैं. एक साल पहले उन्होंने यह सोचकर इस योजना के अंतर्गत आवेदन किया था कि पंचायत स्तर पर काम होने के चलते उन्हें घर से ज़्यादा दूर गए काम करने का मौका मिलेगा.
“अपनी बच्ची को लेकर मैं ज़्यादा दूर नहीं जा सकती थी. घर में आर्थिक सहयोग करना ज़रूरी था. मगर अब भविष्य अधर में नज़र आ रहा है.” पन्त ग्राउंड रिपोर्ट से बात करते हुए कहती हैं.
वह मानती हैं कि नौकरी से निकाले जाने का सबसे बुरा असर उनके जैसे ग्रामीण परिवेश से आने वाली औरतों पर पड़ता है. एक अन्य जन सेवा मित्र रानी टेलर के अनुसार,
“लड़कियों के पास सीमित अवसर होते हैं. ऐसे में सरकार यह मौका देकर भी चीन रही है यह अच्छी बात नहीं है.”
भोपाल में प्रदर्शन कर रहे ज़्यादातर जन सेवा मित्र निम्नमध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. ऐसे में इनके लिए 8 हज़ार रूपए आर्थिक लिहाज़ से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं. प्रदेश में सरकारी नौकरी की स्थिति यूँ भी डामाडोल है ऐसे में यह युवा इसे एक सरकारी नौकरी के विकल्प के तौर पर देख रहे हैं. इनका कहना है कि सत्तारूढ़ पार्टी द्वारा इनसे चुनाव प्रचार भी करवाया गया है. ऐसे में चुनाव के बाद इंटर्नशिप का यूँ चले जाने से वह ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
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