मध्यप्रदेश में नई कैबिनेट का गठन हो चुका है. मगर पुरानी कैबिनेट में वन मंत्री रहे विजय शाह अब भी चर्चा में हैं. दरअसल शाह पर कुछ दिनों पहले वन नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा था. इससे सम्बंधित एक वीडियो भी वायरल हुआ था. इस वीडियों में पूर्व वन मंत्री अपने कुछ साथियों के साथ सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के कोर एरिया में मटन-बाटी बनाते हुए दिखाई देते हैं. आरोप यह भी था कि पूर्व मंत्री द्वारा रिज़र्व के अन्दर व्यक्तिगत वाहन ले जाया गया था. जिसके बाद वाइल्डलाइफ एक्टिविस्ट अजय दुबे द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) को शिकायत की गई थी. मगर अब मीडिया रिपोर्ट्स में यह खबर आई है कि इस मामले की जाँच ऐसे अधिकारी को सौंपी गई है जो पहले से ही आरोपी हैं.
क्या है मामला?
19 दिसंबर को पूर्व मंत्री का यह वीडियो ग्राउंड रिपोर्ट को प्राप्त हुआ था. इस वीडियो में एक चार पहिया वाहन दिखाई दे रहा है. वन विभाग से जुड़े हुए अधिकारी कुर्सी लगाते हुए दिखाई देते हैं. इसके अलावा चूल्हों में मांस (चिकन) और भर्ता बनता हुआ दिखाई दे रहा है. याद रहे कि इंडियन फारेस्ट एक्ट के तहत ऐसा करना अवैध है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक असीम श्रीवास्तव को इसकी शिकायत करते हुए हुए अजय दुबे ने कहा था कि वन मंत्री द्वारा वन नियमों का उल्लंघन किया गया है. उन्होंने इसके अलावा नेशनल टाइगर कंज़र्वेशन अथौरिटी को भी यह शिकायत की थी.
आरोपी अधिकारी को जांच सौंपी
इंडियन एक्सप्रेस को दिए बयान में असीम श्रीवास्तव ने कहा कि वह वीडियो की जांच कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वीडियो असल में कहाँ का है और कब फ़िल्माया गया है. उन्होंने कहा कि वह किसी व्यक्ति (पूर्व वन मंत्री) की नहीं बल्कि परिस्थितियों की जांच कर रहे हैं और देख रहे हैं कि क्या किन्हीं नियमों का उल्लंघन हुआ है.
दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा था कि इस मामले में सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के फ़ील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति भी दोषी हैं. उन्होंने कहा कि बिना किसी भी बड़े स्थानीय अधिकारी के शह के निजी वाहन रिज़र्व में प्रवेश नहीं कर सकते. ऐसे में कृष्णमूर्ति की भूमिका की भी जांच की जानी चाहिए. मगर श्रीवास्तव द्वारा कृष्णमूर्ति से ही मामले की जाँच रिपोर्ट मांगी गई है. इस मामले में आधिकारिक पक्ष जानने के लिए हमने असीम श्रीवास्तव से संपर्क करने की कोशिश की है. उनकी ओर से मिली प्रतिक्रिया के बाद खबर अपडेट कर दी जाएगी.
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