साल 2018 से नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने की राह तक रही सचिन कुंडलकर की फिल्म Cobalt Blue आखिरकार रिलीज़ हो चुकी है। होमोसेक्शुअल रिलेशन्स पर आधारित यह सेंशुअल ड्रामा सचिन द्वारा लिखे गए नॉवल पर ही आधारित है, जो 2006 में मराठी और 2013 में अंग्रेज़ी में प्रकाशित हुआ।
Cobalt Blue, सेम सेक्स रिलेशन पर बनी फिल्म 'Call Me By Your Name' से कफी हद तक मेल खाती है। 'कॉल मी बाय योर नेम' की तरह ही एक बेहद खूबसूरत कोस्टल टाउन में रची बसी है यह कहानी।
घर के आंगन में सूखते मसाले, खूबसूरत होमस्टे, विहंगम प्रकृति, सिनेमा-साहित्य-पेंटिंग्स से सराबोर शहर , एक कोबाल्ट ब्लू रंग की सायकिल और परिवार के साथ रहने आया पेयिंग गेस्ट केरल की इस कहानी को आगे बढ़ाते हैं।
फिल्म शुरु होती है घर के सबसे बड़े सदस्य दादा जी के देहांत से। उनके मरने की ख़बर से घर का बड़ा बेटा और पिता आहत होते हैं, जबकि दोनों छोटे बच्चे तनय और अनुजा इस बात से खुश होते हैं कि अब दादाजी का कमरा उन्हें मिल जाएगा। इस दुख से आहत दादी थोड़ी देर बाद अपने प्राण त्याग देती है, दादी के मरने पर दोनों बच्चें दुखी होते हैं। अनुजा कहती है कि दादाजी अज्जी को बहुत मारते थे, फिर भी वो उनके साथ ही कैसे मर सकती है? इसपर फिल्म का सबसे चर्चित डायलॉग आता है कि “ लव इज़ अ हैबिट, हैबिट एन्डस, यू डाय”
तनय, अनुजा और पेयिंग गेस्ट के बीच प्रेम के धागों में गुथी फिल्म कई कड़े सवालों के जवाब खोजती है। और आपको उन सवालों के जवाब खोजने के काम में लगाए रखती है।
प्यार क्या है? क्या किसी के साथ बिताया गया लंबा समय ही प्रेम होता है, या बिताए गए कुछ लम्हें भी प्रेम माने जाएं? क्या किसी को उम्र भर के लिए पा लेना ही प्रेम के सफल होने की निशानी है, या किसी को न पाकर भी खुद को पा लेना सफल प्रेम है? प्रेम इंसान को कमज़ोर बनाता है या मज़बूत? इन्हीं सवालों को कुरेदती है Cobalt Blue, जिसमें इश्क का रंग लाल नहीं नीला है।
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