![NGOs fighting for Bhopal gas victims condemned Supreme court’s decision](https://img-cdn.thepublive.com/fit-in/1280x960/filters:format(webp)/ground-report/media/post_banners/wp-content/uploads/2022/09/bhopal-gas-tragedy.jpg)
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) से जुड़े मौत और पर्मानेंट इंजरी के सही आंकड़े पेश करने को कहा गया था। जिसका मकसद गैस पीड़ितों को त्रासदी के लिए ज़िम्मेदार यूएस कॉर्पोरेशन्स से उचित मुआवज़ा दिलवाना है। लेकिन राज्य सरकार और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अभी तक ये आंकड़े पेश नहीं कर पाई है। 20 सितंबर 2022 को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई हुई तो सोलिसिटर जनरल ने 5 मेंबर बेंच को बताया कि वो अभी तक सरकार के निर्देश का इंतेज़ार कर रहे हैं।
गैस पीड़ितों के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रही संस्था भोपाल ग्रुप ऑफ इंफरमेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने ग्राउंड रिपोर्ट को बताया कि "सरकार सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है, वो गैस पीड़ितों (Bhopal Gas Tragedy) की असली संख्या बताना ही नहीं चाहती, वो चाहती ही नहीं है कि गैस पीड़ितों को इंसाफ मिल सके।"
![Bhopal gas tragedy survivors are on a campaign to collect one lakh signatures](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ground-report/media/post_attachments/wp-content/uploads/2022/09/1-12-1024x683.jpg)
रचना बताती हैं कि "38 साल बाद भी विश्व की भीषणतम इंडस्ट्रीयल त्रासदी के पीड़ितों को ज़िंदगी भर की तकलीफों के लिए मात्र 25 हज़ार रुपए मुआवज़ा मिला है, वो भी एक मुश्त नहीं।"
क्या है मामला?
2010 में केंद्र सरकार ने खुद माना था कि गैस पीड़ितों को बहुत कम मुआवज़ा मिला है, इसके लिए खुद उन्होंने डाउ कैमिकल से अतिरिक्त मुआवज़ा लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसके साथ ही 5 समाजसेवी संस्थाओं को भी इस केस में को-पिटिशनर बनाया गया था। लेकिन जब 11 साल बाद केस सुनवाई पर आया तो सरकार इस मामले में गंभीर नहीं दिखाई दी, जबकी समाजसेवी संस्थाओं के वकील ने पूरी तैयारी के साथ आंकड़े पेश किए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 11 अक्टूबर को होनी है।
रचना ढींगरा कहती हैं कि "राज्य और केंद्र सरकार कोर्ट में यह साबित करने में लगी हैं कि जिन लोगों को 25 हज़ार मुआवज़ा मिला है उन्हें मिथाईल आईसोसायनेट (MiC) गैस के कारण टेंपरेरी इंजरी हुई है, जबकि गैस राहत अस्पताल और वैज्ञानिक शोध के आंकड़े बताते हैं कि एक बार methyl isocyanate (MiC) gas के संपर्क में आए लोगों को जीवनभर समस्या रहती है। (Bhopal Gas Tragedy) गैस त्रासदी की वजह से पर्मानेंट इंजरी वाले पीड़ितों की संख्या 5 लाख 21 हज़ार है, इन लोगों को मुआवज़ा मिलना चाहिए। मौतों का आंकड़ा 5 हज़ार नहीं 25 हज़ार है जो सरकार खुद पहले मान चुकी है। हमारी इस पूरी लड़ाई का मकसद है कि 38 साल बाद गैस पीड़ितों को सही मुआवज़ा मिल सके और उन कंपनियों को सबक मिले की थर्ड वर्लड कंट्री में आकर थोड़ा सा मुआवज़ा देकर उनकी ज़िम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती।"
इंसाफ के लिए 1 लाख हस्ताक्षर का अभियान
![Bhopal gas tragedy survivors are on a campaign to collect one lakh signatures](https://img-cdn.thepublive.com/filters:format(webp)/ground-report/media/post_attachments/wp-content/uploads/2022/09/2-11-1024x683.jpg)
गैस पीड़ितों (Bhopal Gas Tragedy) के लिए इंसाफ की लड़ाई लड़ रही 5 संस्थाएं सिग्नेचर कैंपेन चला रही हैं, जिसके तहत 1 लाख हस्ताक्षर करवाकर प्रधानमंत्री और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजे जाएंगे। ताकि वो अगली सुनवाई जो 11 अक्टूबर को है, तब तक सही आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में जमा करवा सकें। गैस पीड़ितों के लिए काम कर रही संस्थाओं का मानना है कि पीड़ितों की संख्या क्योंकि ज्यादा है, इसलिए इसके लिए ज़िम्मेदार यूनियन कार्बाईड और डाउ कैमिकल से 646 बिलियन रुपए अतिरिक्त मुआवज़ा वसूला जाना चाहिए जबकि केंद्र सरकार ने इसके लिए केवल 96 बिलियन रुपए की ही मांग रखी है जो काफी कम है।
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