Bharat Ratna 2024: कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामिनाथन, किसान नेता चौधरी चरण सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव को मोदी सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया है। नए वर्ष की शुरूआत में अब तक पांच लोगों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। यह पहला मौका है जब एक साल में दिए गए भारत रत्न इतनी बड़ी संख्या में दिए गए हों। इससे पहले बाजपेयी सरकार ने वर्ष 1999 में 4 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया था।
इससे पहले मोदी सरकार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर, भाजपा की सफलता और राम मंदिर आंदोलन के सूत्रधार लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया लेकिन करीब हफ्ते भर बाद ही पूर्व प्रधानमंत्री और किसान नेता चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव और भारत के नार्मन बोरलॉग माने जाने वाले हरित क्रांति के जनक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मान्नित किया है। आइये इस रिपोर्ट में समझते हैं की क्यों ये सम्मान विशेष हैं और भाजपा इनके जरिये क्या संदेश देना चाहती है...
पहले मंडल फिर कमंडल
यह सवाल लंबे अर्से ही उठते आ रहा है की बीजेपी के वरिष्ठतम नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री आडवाणी को उनके हक़ का सम्मान नहीं मिला है। पहले उन्हें मार्गदर्शक मंडल भेजा गया, उप राष्ट्रपति और राष्ट्रपति पद के लिए भी उन पर विचार नहीं किया। सरकार ने उनके साथियों मसलन नानाजी देशमुख, अटल बिहारी बाजपेयी यहां तक कि कांग्रेस से नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तक को भारत रत्न से सम्मानित किया गया लेकिन आडवाणी रह गए। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में भी आडवाणी की गैर हाजिरी से कई सवाल खड़े हुए लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न देकर इन सब पर पूर्ण विराम लगा दिया है।
भारत की आर्थिक प्रगति के हीरो पी व्ही नरसिम्हा राव
नरसिम्हा राव ने ही भारत की डूबती अर्थव्यवस्था LPG(Liberalization Privatization Globalization) लाकर बचाया था। उन्होंने कांग्रेस की अल्पमत की सरकार को सफलता पूर्वक चलाया। लेकिन उनकी कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से अनबन की ख़बरें आम हो गई थी। उन पर बाबरी मस्जिद विध्वंस में मदद का भी आरोप लगा। उन पर यह आरोप भी था कि उन्होंने राजीव गांधी की हत्या के लिए जांच कमेटी बनाने में भी काफी ढीला पन दिखाया था।
साल 1996 के चुनाव में जब कांग्रेस को प्रत्याशित सफलता नहीं मिली तो उस हार का ठीकरा नरसिम्हाराव के सर फोड़ा गया और उन्हें पार्टी से साइड लाइन कर दिया गया। हद तो तब हुई जब उनके देहांत के बाद उनका पार्थिव शरीर लिए हुए ट्रक कांग्रेस दफ्तर के बाहर खड़ा था लेकिन उनके लिए कांग्रेस दफ्तर के दरवाजे नहीं खोले गए।
भाजपा और खुद प्रधानमंत्री मोदी आए दिन कांग्रेस पर तंज कसते रहते हैं की उन्होंने अपने बड़े नेताओं को उचित सम्मान नहीं दिया। इस संसद के आखिरी भाषण में भी प्रधानमंत्री ने परिवार वाद पर बात करते हुए इस पर निशाना साधा था। यह सच भी है की कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने लम्बे समय तक नरसिम्हा राव से कन्नी काट रखी थी।
इससे पहले साल 2020 में तेलंगाना की KCR सरकार ने नरसिम्हा राव के सम्मान में शताब्दी वर्ष मनाया था और अब केंद्र की मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न दिया है। इससे भाजपा का सन्देश साफ़ है की वो नरसिम्हा राव को दक्षिण भारत के आइकॉन की तरह स्थापित करना चाहती है। इसके अलावा कांग्रेस का बचा खुचा जनाधार जो की दक्षिण भारत में है उसे कमजोर करना चाहती है। यह कांग्रेस के जख्मों पर नमक की तरह है और कांग्रेस के पास इसे स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा है।
किसानों के सबसे बड़े नेता चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह (Chaudhry Charan Singh) का इतिहास स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ा हुआ है। चौधरी जी उत्तर प्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री भी बने थे। चरण सिंह ने मोरार जी देसाई की जनता पार्टी की सरकार में उप प्रधानमत्री और गृह मंत्री की भी भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने जनता पार्टी का दामन छोड़ इंदिरा गांधी की मदद से प्रधानमंत्री भी बने, लेकिन बाद में इंदिरा गांधी ने अपना समर्थन वापस ले लिया था।
मोदी सरकार के कृषि कानूनों और गन्ने के मूल्यों को लेकर भारत के किसान विशेष तौर पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसान जिनमे से अधिकांश जाट हैं इनसे नाराज थे। चौधरी चरण सिंह बड़े किसान और जाट नेता माने जाते रहे हैं। चौधरी चरण से समाजवाद के पैरोकार थे जो की भाजपा की मूल विचारधार से भिन्न है।
चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह RLD (राष्ट्रीय लोक दल) की स्थापना की और बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़े। अभी इस पार्टी की कमान किसान नेता चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी के हांथो में हैं। जयंत चौधरी भी बीजेपी के खिलाफ बने गठबंधनों का हिस्सा रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों से यह सुगबुगाहट थी की जयंत चौधरी NDA में शामिल होंगे और भारत रत्न ने इस पर मुहर भी लगा दी। भाजपा ने इस प्रयास से लगातार एक साथ दो निशाने साधे हैं। एक ओर किसानों और जाटों के एक बड़े नेता को देश का सर्वोच्च सम्मान देकर उन्होंने कृषि कानून से लगे जख्मों पर मरहम लगाया है। वहीं दूसरी ओर जयंत चौधरी को NDA में शामिल कर के जाट बेल्ट के वोटों को अपने पाले में करने के साथ ही विपक्ष को भी कमजोर किया है।
भारत को खाद्य सुरक्षा देने वाले वैज्ञानिक
एम एस स्वामीनाथन भारत में हरित क्रांति के जनक हैं। ये उन्हीं का प्रयास है की आज भारत खाद्यान्न के मामले में अपने पैरों पर खड़ा हो पाया है। स्वामीनाथन तमिलनाडु के रहने वाले है। भाजपा लगातार तमिलनाडु में अपने प्रभाव का विस्तार करने में लगी है। बीजेपी ने पहले पूर्व आईपीएस अन्नामलई को तमिलनाडु बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। सालाना काशी तमिल संगमम शुरू किया, खुद प्रधानमंत्री मोदी ने भी वहां शिरकत की। अब एम एस स्वामीनाथन (MS Swaminathan) को भारत रत्न देकर तमिलनाडु में एक और प्रयास किया है लेकिन इसका परिणाम चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा।
2024 के लोकसभा चुनाव और भारत रत्न
आगामी लोकसभा चुनावों के देखते हुए भाजपा एक एक करके सारे चेक बॉक्स टिक करती जा रही है। पहले बिहार में कर्पूरी ठाकुर को सम्मानित करके EBC वोट को साधा और फिर नितीश कुमार को अपने साथ किया। चरण सिंह को सम्मानित करके किसानों और जाटों का समर्थन लिया। अंत में नरसिम्हा राव को सम्मानित करके दक्षिण भारत को सम्बोधित किया और साथ ही कांग्रेस के बचे हुए जनाधार पर चोट करने का प्रयास किया। अब यह वक्त ही बताएगा की इनमे से कितने तीर लक्ष्य भेदते हैं और कितने खाली जाते हैं।
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