9 अप्रैल 2023 को प्रोजेक्ट टाइगर की 50वीं सालगिरह के मौके पर, मैसूर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिग कैट श्रेणी के जानवरों के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संगठन (International Big Cat Alliance) बनाने की औपचारिक घोषणा की थी। अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे मंजूरी देते हुए इसके लिए 150 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया है, और इसका मुख्यालय भी भारत में ही होगा। आइये जानते हैं क्या है IBCA (International Big Cat Alliance) और क्यों है ये खास।
क्या है IBCA (International Big Cat Alliance)
दरअसल IBCA बिग कैट के अंतर्गत आने वाले 7 जानवरों जैसे की बाघ, शेर, चीता, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, जैगुआर और प्यूमा के संरक्षण और संवर्धन के लिए बनाया गया एक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संगठन है। प्यूमा और जैगुआर को छोड़कर इन 7 में से 5 बिल्लियों की प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं।
इस संगठन की सदस्यता के लिए अब तक 16 देश लिखित राजीनामा दे चुके हैं। इसके अलावा दुनिया भर ऐसे 96 देश हैं जहां बिग कैट्स की मौजूदगी है और वे इनके संरक्षण के लिए प्रयासरत हैं, इस संगठन के दरवाजे इन देशों के लिए भी खुले हैं। अन्य पर्यावरण संगठन, शोध संस्थाएं आदि भी इसका हिस्सा बन सकती है।
इस सहयोग संगठन की मिसाल देते हुए भारत के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया की भारत सरकार कंबोडिया की कम होती शेरों की आबादी के समाधान के लिए साल के अंत तक कुछ शेर कंबोडिया भेजेगी।
कैसी है भारत में बिग कैट्स की स्थिति
अगर चीते को छोड़ दिया जाए तो भारत में बाकी के 4 बिग कैट्स बेहतर स्थिति में है। आइये एक एक करके देखते हैं।
बाघ Panthera Tigris
हालिया 2022 की बाघ गणना के आधार पर 2018 से 2022 के बीच भारत में कुल 200 बाघों की वृद्धि हुई है। वर्तमान में भारत में कुल 3,167 हैं, हालांकि बाघों की वृद्धि दर घटकर मात्र 6.7 प्रतिशत ही रह गई जो की 2014 से 2018 के बीच 33 फ़ीसदी थी।
शेर Panthera Leo Persia
2015 में कराये गए शेरों के सेंसस के अनुसार भारत में इनकी संख्या 523 थी। पिछले साल की एक रिपोर्ट के मुताबिक 400 शेर गिर राष्ट्रीय उद्यान में है और 300 शेर गुजरात के अन्य क्षेत्रों में फैले हुए है, यह भारत में शेरों की संख्या में सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है। आपको बता दें की भारत के अलावा शेरों का एक और आवास मात्र अफ्रीका ही है।
हिम तेंदुआ Panthera Uncia
Wildlife Institute of India- WII, NCF (Nature Conservation Foundation), मैसूर और WWF India (World Wildlife Fund) द्वारा मिलकर SPAI (Snow Leopard Population Assessment in India- SPAI) कार्यक्रम चलाया गया। इसके अनुसार भारत में कुल हिम तेंदुए 718 हैं, जिन में से सर्वाधिक लद्दाख में, 477 हैं।
चीता Acinonyx Jubatus
भारत में चीते 1952 से ही विलुप्त थे। भारत सरकार के लंबे प्रयास के बाद सितंबर 2022 में नामीबिया से 20 चीते पुनर्वसन के लिए भारत के कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाये गए थे। दुर्भाग्य से इनमे से 6 चीतों की मृत्यु हो गई थी लेकिन लेकिन भारत सरकार इनके संरक्षण में लगातार प्रयासरत है।
तेंदुआ Panthera pardus
All India Leopard Estimation Survey Report के अनुसार देश के लगभग 20 राज्यों में तेंदुए की संख्या में बढ़ोतरी देखने को मिली है। उत्तरी बंगाल के क्षेत्र में इनकी संख्या 200 फ़ीसदी के बड़े अंतर के साथ बढ़ी है। अगर 2018 के आंकड़ों को देखें तो 2018 में इनकी संख्या 12,852 थी, जो की 2022 में बढ़कर 13,874 हो गई है।
International Big Cat Alliance: क्यों जरूरी है भारत का ये कदम?
भारत के अलावा बाकी अधिकतम देश जहां बिग कैट्स की प्रजातियां पाई जाती है, या तो विकासशील या गरीब देश हैं। इन 7 में अगर प्यूमा को छोड़ दिया जाए जो की IUCN की सूची में लीस्ट कंसर्नड में आता है, बाकी के सभी विश्वस्तर पर लुप्तप्राय या संकटग्रस्त हैं। चूंकि ये सभी जानवर फ़ूड चैन के शिखर पर होते हैं, इसलिए इनके संरक्षण से इनके नीचे के जीवों का भी संरक्षण होगा। ऐसी स्थिति में भारत का अगुआ बन कर आना एक बड़ा कदम है।
भारत की वन समस्याओं के बरक्स IBCA
गौरतलब है की यह इस तरह का पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले 2010 में 13 सरकारों ने रूस के सेंट पिट्सबर्ग सम्मेलन 2022 तक शेरों की संख्या को दोगुना करने का(TX2) का संकल्प लिया गया था, लेकिन अब तक यह लक्ष्य नहीं प्राप्त किया जा सका है।
हाल के फॉरेस्ट सर्वे के मुताबिक भारत के वन क्षेत्र में मामूली बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं पूर्वोत्तर भारत के भी वन क्षेत्र में 0.6 फीसदी की कमी आंकी गई है, ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है की बिना वन क्षेत्र के संरक्षण के क्या वन्य जीवों का संरक्षण संभव है। इसके अलावा भारत जितना बजट IBCA पर खर्च कर रहा है वो लगभग उतना ही है जितना 22 लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में खर्च होता।
हालांकि यह चुनौती बड़ी और वैश्विक है, जो की दुनिया के देशों के आपसी सहयोग की अपेक्षा करती है। अंत में जैसा की एडवर्ड ऐबी ने कहा है की "प्राकृतिक दुनिया को समझना ही पर्याप्त नहीं है, मुद्दा इसे बचाने और सुरक्षित रखने का है।" अभी यह इस प्रोजेक्ट का पहला कदम है, अब यह वक्त के साथ ही पता लगेगा की यह कितना सफल हुआ है।
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