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गुजरात दंगों से जुड़े सभी केस सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किए बंद ? जानें

गुजरात दंगों से जुड़े सभी केस सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किए बंद ? कोर्ट जुड़े 9 में से 8 केस को सुप्रीम कोर्ट ने बंद करने का आदेश दिया है।

By Ground report
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साल 2002 में गुजरात (Gujrat) में हुए दंगो से जुड़े 9 में से 8 केस को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बंद करने का आदेश दिया है। गुजरात दंगों से जुड़ी कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय के लंबित थीं। अदालत ने कहा कि इतना समय गुज़रने के बाद इन मामलों पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। CJI जस्टिस यूयू ललित (UU lalit) की अगुआई वाली तीन जजों की बेंच ने मंगलवार को यह आदेश जारी किया। गुजरात के नरोदा गांव एक मामले में अंतिम बहस चल रही है।

गुजरात दंगो के केस कोर्ट ने क्यों बंद किए

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि 2002 गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस में निचली अदालतें फैसला सुना चुकी हैं। अब ऐसे में इन केस का कोई मतलब नहीं बनता। 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। साबरमती ट्रेन की बोगी में सवार 59 लोग जलकर मर गए थे, जान गंवाने वाले सभा कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे।

इस घटना के बाद गुजरात में भयानक दंगे शुरू हो गए। गुजरात के इतिहास का सबसे बुरा दंगा यही रहा। मुस्लिम समुदाए को इसमें बड़ी जान-माल की हानि सहना पड़ी थी। केंद्र सरकार ने इस मामले को लेकर एक कमिशन नियुक्त किया था, जिसका मानना था कि यह महज एक दुर्घटना थी। बाद में इसपर हंगामा हो गया और कमिशन को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।

गुजरात दंगो 31 लोगों को दोषी पाया गया

28 फरवरी, 2002 को 71 दंगाई गिरफ्तार किए गए थे। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ आतंकवाद निरोधक अध्यादेश (पोटा) लगाया गया। फिर 25 मार्च 2002 को सभी आरोपियों पर से पोटा हटा लिया गया।

26 मार्च 2008 को सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा कांड और  गुजरात दंगों से जुड़े 8 मामलों की जांच के लिए विशेष जांच आयोग बनाया। 18 सितंबर 2008 को नानावटी आयोग ने गोधरा कांड की जांच सौंपी। रिपोर्ट में गुजरात दंगे को पूर्व नियोजित षड्यंत्र बताया गया था। फिर 22 फरवरी 2011 को विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 31 लोगों को दोषी पाया, जबकि 63 अन्य को बरी किया।

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