लगभग 3 दशकों से महिला आरक्षण बिल (Women's Reservation Bill) की चली आ रही यात्रा पर मोदी सरकार ने अब विराम लगा दिया है। बुधवार को लोकसभा में काफी लंबी चली बहस के बाद महिला आरक्षण बिल पास हो गया। इस बिल के पक्ष में 454, तो वहीं 2 वोट बिल के खिलाफ पड़े। दो तिहाई बहुमत के साथयह बिल पास हो गया। सरकार ने इस बिल को 'नारी शक्ति वंदन' बिल का नाम दिया है।
महिला आरक्षण बिल से महिलाओं को क्या फायदा मिलेगा?
महिला आरक्षण बिल के नाम से ही ज़ाहिर होता है कि इस बिल के पास होने के बाद महिलाओं को किसी तरह का फायदा मिलना सुनिश्चित हो जाएगा। अब सवाल है इस किस तरह का फायदा, यह कहाँ और कैसे मिलेगा? आइये आसान भाषा में आपको समझाते हैं।
देश की नई संसद की कार्यवाही के पहले दिन केंद्रीय क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया और संसद की कार्यवाही के दूसरे दिन यह दो तिहाई बहुमत के साथ पास हो गया। बिल के पक्ष में 454, तो वहीं 2 वोट बिल के ख़िलाफ डाले गए।
इस बिल में देश की संसद और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि बिल के क़ानून बनते ही लोकसभा और विधानसभाओं की एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिज़र्व हो जाएंगी। मौजूदा समय लोकसभा में 543 सीटें हैं। जिसमें से अब 181 सीटें महिलाओं के रिज़र्व रहेंगी।
SC-ST महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं
इस बिल में एससी-एसटी महिलाओं के लिए अलग से किसी आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। एससी-एसटी वर्ग के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में जितनी सीटें आरक्षित हैं, उन सीटों में से ही 33% एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी।
मौजूदा समय की बात करें तो लोकसभा में 84 सीटें एससी और 47 सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। इस बिल के क़ानून बनते ही 84 एससी सीटों में से 28 सीटें एससी महिलाओं के लिए रिज़र्व रहेंगी वहीं, 47 एसटी सीटों में से 16 एसटी महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
इस बिल को राज्यों की मंज़री की ज़रूरत नहीं
जब यह बिल क़ानून की शक्ल ले लेगा तब यह राज्यों में भी लागू हो जाएगा। साथ ही इसे लागू करने में राज्यों की परमिशन ज़रूरत नहीं होगी। मतबल राज्यों की मंज़ूरी के बिना ही यह बिल लागू हो जाएगा। इसके लागू होते ही देश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण मिल जाएगा। एक ज़रूरी बात यह कि राज्यसभा और विधान परिषद में महिलाओं को इस बिल में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
महिला आरक्षण बिल के बाद केंद्र शासित राज्यों में कैसे आरक्षित होंगी सीटें
फिलहाल लद्दाख, पुडुचेरी और चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित राज्य, जहां लोकसभा की केवल एक-एक सीटें हैं, इस बिल के क़ानून बनने के बाद वहाँ कैसे सीटें आरक्षित होंगी इसको लेकर अभी सरकार ने जानकारी नहीं दी है। साथ ही उत्तर-पूर्व के कुछ राज्यों जैसे मणिपुर और त्रिपुरा में दो-दो सीटें हैं, जबकि नागालैंड में लोकसभा की एक ही सीट है।
फिलहाल इस बिल के लागू होने में अभी काफी समय लग सकता है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनगणना के जब परिसीमन होगा, तब ये क़ानून लागू होगा। अगर ऐसा हुआ तो आगामी 2024 के आम चुनाव में महिलाओं के लिए आरक्षण नहीं होगा। यह महिला आरक्षण फिलहाल 15 साल के लिए लागू होगा, जिसेसंसद की मंज़ूरी के बाद बढ़ाया भी जा सकता है।
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