हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन गठबंधन GAVI ( Global Alliance for Vaccines and Immunisation) को वैश्विक वैक्सीन शिखर सम्मेलन में डेढ़ करोड़ डॉलर की सहायता राशि देने का ऐलान किया। Global Vaccine Alliance (GAVI) का यह सम्मेलन ऑनलाईन आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में 50 से अधिक देशों के बिजनेस लीडर्स, एजेंसी, सिविल सोसाइटी और सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस समिट की मेजबानी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने की।
दुनिया कोरोना महामारी से त्रस्त हो चुकी है। लाखों लोग अब तक कोरोनावायरस की वजह से जान गवां चुके हैं। दुनिया कई बार भयंकर महामारियों की चपेट में आ चुकी है। लेकिन कोरोनावायरस ने जिस तरह दुनिया को अपनी चपेट में लिया है वह अकल्पनीय आपदा की तरह है। सभी जल्द से जल्द कोरोनावायरस से लड़ने के लिए एक कारगर वैक्सीन बनने का इंतज़ार कर रहे हैं। इसी मकसद को सहयोग और बल देने की दिशा में गावी जैसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन काम करता है। यह संगठन सुनिश्चित करता है कि दुनिया के हर व्यक्ति तक वैक्सीन की पहुंच हो चाहे वह गरीब हो या अमीर। GAVI दुनिया के तमाम देशों की मदद से वैक्सीन को दुनिया के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने में मदद करता है। इसका उद्देश्य गरीब, अमीर के अंतर को पाट कर हर व्यक्ति को बीमारियों से लड़ने के लिए सक्षम बनाना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में क्या कहा?
अंतरराष्ट्रीय वैक्सीन गठबंधन (गावी ) को हमारा समर्थन केवल वित्तीय नहीं है, हमारा उद्देश्य मानवता की सेवा है। आज के चुनौतीपूर्ण समय में भारत विश्व के साथ एकजुटता से खड़ा है। भारत की सभ्यता दुनिया को एक परिवार के रूप में देखना सिखाती है। भारत ने इस महामारी के दौरान इसी सीख का अनुसरण करते हुए अपनी जरूरतों को पूरा करते हुए 120 देशों को जरूरी दवा उपलब्ध कराई है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
कोरोना की वैक्सीन को हर व्यक्ति तक उचित दाम में पहुंचाएगा GAVI
इस समिट का मुख्य मकसद अंतरराष्ट्रीय टीका गठबंधन (गावी) के लिए 7.4 अरब डॉलर एकत्रित करना है। आने वाली पीढ़ियों को टीके के जरिए सुरक्षित करना है। भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए घोषणा किया कि वो अगले पांच साल में 15 मिलियन डॉलर की मदद करेगें। GAVI कोरोनावायरस से लड़ने में अहम किरदार निभाएगा। जब कोरोना की कोई वैक्सीन बनेगी तो गावी हर व्यक्ति तक कम से कम दाम में वैक्सीन उपलब्द कराने का काम करेगा।
ALSO READ: What is the difference between Vaccine and Antibody?
ALSO READ: पुणे की लैब में Coronavirus Vaccine पर काम शुरू, जानिए क्या होती है वैक्सिन?
गावी की स्थापना साल 2000 में हुई थी। तब से GAVI दुनिया के करीब 50 फीसदी बच्चों तक ज़रुरी टीके उपलब्ध करवा चुका है। इसका मकसद टीका बनाने वाली कंपनियों को सभी ज़रुरी मदद उपलब्ध करवाना होता है। ताकि आर्थिक और ट्रांस्पोर्टेशन जैसी चुनौतियों के कारण टीकाकरण का कार्य बाधित न हो। वर्ष 1990 तक टीकाकरण का कार्यक्रम दुनियाभर में असफल रहा। दुनिया के करीब 3 करोड़ बच्चों तक तमाम समस्याओं के कारण जानलेवा बीमारियों से बचाने वाले टीके नहीं पहुंच पाते थे। विकासशील और गरीब देशों में तो टीकाकरण हो ही नहीं पाता था। महंगी वैक्सीन तक उनकी पहुंच नहीं थी। GAVI जैसा संगठन बनने के बाद इस चुनौती पर दुनिया ने जीत हासिल की।
कैसे हुई GAVI की स्थापना?
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स ने इस समस्या को देखा। उन्होंने बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और संस्थापक सदस्यों की मदद से इस संस्था GAVI को खड़ा किया। उन्होंने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को वैक्सीन के लिए कम दाम रखने के लिए प्रेरित किया। इस संस्था ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को छोटे और गरीब देशों में ऐसा बाज़ार उपलब्ध कराने का भरोसा दिया। जहां लंबे समय तक उनकी बनाई वैक्सीन की आपूर्ति होती रहे और वे कम से कम दाम में भी घाटे का सामना न करें। वर्ष 2000 में यह शानदार आईडिया वैश्विक वैक्सीन गठबंध GAVI ने रुप में दुनिया के सामने आया।
जब मेलिंडा और मैने एक दशक पहले यह काम शुरु किया तो हमारी यही सोच थी कि 'हर जान कीमती है ' इसलिए हमनें वैक्सीन बनाने में निवेश करने का फैसला किया। क्योंकि वैक्सीन हर उस बच्चे को बचाती है जिसे वैक्सीन दी गई है ,चाहे फिर वह अमीर हो या गरीब। अगर कम शब्दों में कहूं तो वैक्सीन काम करती है।
-बिल गेट्स, को चेयरपर्सन, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन
आज GAVI दुनिया के 50 फीसदी बच्चों तक घातक बीमारियों के टीके पहुंचाने में मदद कर रहा है। यह संगठन गरीब और छोटे देशों तक सस्ते दामों में सभी जरुरी टीके पहुंचाने की शक्ति रखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बच्चों को 11 तरह के टीके लगाने की सलाह देता है। जो बच्चों में कई तरह की बीमारियों से लड़ने के लिए प्रतिरोधात्मक क्षमता विकसित करती है। GAVI यह टीके गरीब और विकासशील देशों में मात्र 28 डॉलर की कीमत में उपलब्ध करवाता है जिसकी असल कीमत 1,100 डॉलर आंकी जाती है।
GAVI का असर
आज जब दुनिया कोरोना जैसी महामारी का सामना कर रही है तो जो सबसे ज़रुरी चीज़ है वह है वैक्सीन। जब कोरोना के लिए वैक्सीन बनकर तैयार हो जाएगी तो उसका निर्माण, ट्रांस्पोर्टेशन और उपलब्धता चुनौती होगी। कम से कम समय और कम से कम दाम में वैक्सीन दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुंचाने में गावी जैसा संगठन ईश्वरीय वरदान साबित होगा और कोरोना से चल रहे युद्ध में घायल हुई मानव जाति के लिए हनुमान साबित होगा जो वैक्सीन रुपी संजीवनी बूटी हमें उपलब्ध करवाएगा।
Ground Report के साथ फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सएप के माध्यम से जुड़ सकते हैं और अपनी राय हमें [email protected] पर मेल कर सकते हैं।