वायु प्रदूषण (Air pollution) दिन प्रति दिन हमारे स्वास्थ्य को गंभीर नुक़सान पहुंचा रहा है। बीते 14 नवंबर 2022 केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) द्वारा वायु गुणवत्ता को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई। जिसमें बताया गया कि देश के केवल 26 शहरों में हवा अच्छी रही। जबकि 36 शहरों में वायु गुणवत्ता (Air quality) का स्तर ख़राब रहा। वहीं, 13 शहरों में हवा का स्तर बेहद ख़राब है। वायु प्रदूषण को लेकर हर साल चर्चा का केंद्र बने रहने वाले दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) की हवा को लेकर रिपोर्ट में बताया गया कि यहां की वायु गुणवत्ता 'ख़राब' श्रेणी में है।
Pollution : बेहद ख़राब श्रेणी की हवा वाले शहर
13 बेहद ख़राब श्रेणी की हवा वाले शहरों में प्रदूषण का स्तर (एयर क्वालिटी इंडेक्स) कानपुर (315), फरीदाबाद (316), बेतिया (326), भागलपुर (308), भोपाल (302), छपरा (335), दरभंगा (360), कटिहार (369), पटना (303), समस्तीपुर (337), सिवान (398) और सोनीपत (347) रहा। इसके साथ ही दिल्ली-एनसीआर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 294, फरीदाबाद 316, गाजियाबाद में 270, गुरुग्राम में 230, नोएडा में 250 रहा। (ये आंकड़े 14 नवंबर 2022 के हैं।)
देश के इन शहरों की हवा रही सबसे साफ
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक 14 नवंबर 2022 को देश के जिन शहरों में वायु गुणवत्ता सूचांक 50 या उससे कम मतलब बेहतर रहा वे शहर विजयपुरा 47, शिवसागर 32, आइजोल 25, बागलकोट 39, बेंगलुरु 35, चामराजनगर 43, चेन्नई 43, चिकबलपुर 29, चिक्कामगलुरु 28, डिंडीगुल 42, एर्नाकुलम 46, गडग 43, हसन 15, हावेरी 45, मैहर 49, मैसूर 41, नंदेसरी 50, ऊटी 49, पुदुचेरी 33, रामनगर 34, रामनाथपुरम 18, सलेम 25, सतना 48, शिलांग 41, तिरुवनंतपुरम 37, थूथुकुडी 19 रहे।
वायु गुणवत्ता सूचकांक को कैसे समझें ?
- वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को समझने के लिय सूचांक को समझना बेहद आसान है। जारी की गई रिपोर्ट के सूचांक में अगर हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है।
- वायु गुणवत्ता के ठीकठाक होने की स्थिति में सूचकांक 51 से 100 के बीच होता है। वहीं अगर सूचांक में 201 से 300 की बीच की वायु गुणवत्ता दर्शा रहा है तो मतलब ख़राब स्थिति है।
- यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद ख़राब यानी ज़हरीली हवा की श्रेणी में रखा जाता है।
- फिर अगर सूचांक में 401 से 500 की बीच गुणवत्ता दिखा रहा है तो इसका मतलब। स्थिति गंभीर है। बन जाती है। ऐसी स्थिति में बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो जाती है।
- अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर सस्टेनेबिलिटी में छपे एक शोध में हैरान करने वाली बात का पता चला है। यह रिपोर्ट बताती है कि गर्भवती महिलाओं के वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से गर्भपात का ख़तरा करीब 50 फीसदी तक बढ़ जाता है।
- हाल ही में छपी रिपोर्ट स्टेट ऑफ़ ग्लोबल एयर 2019 के अनुसार अकेले भारत में हर वर्ष 12.4 लाख लोग वायु प्रदूषण शिकार बन जाते हैं ।
देश में तेज़ी से बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण
देश में तेज़ी से बढ़ती आबादी प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। भारत जैसे देश में जहाँ घरेलु उपयोग में इस्तेमाल रसायनों से लेकर अन्य सामग्रियों के कारण हवा की गुणवत्ता दिन प्रति दिन खराब होते जा रही है। प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और जीव- जंतुओं की संख्या में भारी कमी ने वातावरण में असंतुलन पैदा कर दिया है। बढ़ती आबादी, 2. बढ़ते उद्योग 3. संचार के साधन 4. वनों की अंधाधुंध कटाई 5. परमाणु परिक्षण ने देश में प्रदूषण का कारण है।
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