मुरैना/अर्पित शर्मा। Lok Sabha Election 2024 Morena Seat: इस समय देश मे चुनाव का माहौल चल रहा है तो इसी माहौल मे नेताओं का दल- बदल का दौर भी तेजी पर है, इसी दौर मे कांग्रेस पार्टी को फिर एक बार बड़ा झटका लगा है। मध्य प्रदेश की मुरैना लोकसभा सीट (Morena Lok Sabha Seat) पर, जहां जिले से 3 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामप्रकाश राजोरिया (Congress Leader Ram Prakash Rajoriya) ने भी कांग्रेस का दामन छोड़ बहुजन समाज पार्टी का दामन थाम लिया है। हालांकि राजोरिया के लिये ये कोई नई बात नही है वो पूर्व मे भाजपा के पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह (BJP Leader Rustam Singh) के सामने बीएसपी से विधानसभा चुनाव लड़ चुके है उस वक़्त वे 55040 मतों को प्राप्त कर चुनाव हारे तो वही' दूसरी बार 2018 मे उन्होंने आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा तो उस चुनाव मे उनका वोट प्रतिशत बहुत नीचे स्तर तक गिर गया और वे फिर चुनाव हारे।
उसके बाद उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव मे भाजपा के नेता नरेंद्र सिंह तोमर (BJP Leader Narendra Singh Tomar) के कहने पर भाजपा को जॉइन कर लिया मगर कुछ ही समय मे उनका भाजपा से भी मोह भंग हो गया और 2020 के उपचुनाव के समय वह फिर एक बार बसपा से चुनाव लड़े और बहुत ही कम अंतर से पराजित हुए और उसके बाद उन्होंने नगरीय निकाय चुनावो मे कमलनाथ के नेतृत्व मे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करली मगर उनके कहे अनुसार की पार्टी मे उनको अनदेखा किया जा रहा था या यू कहें कि पार्टी मे उनकी कोई पूछ ना होने की वजह से एवं इतने समय मे कोई जिम्मेदारी ना देने की वजह से आज उन्होंने मुरैना लोकसभा प्रत्याशी रमेश गर्ग (Morena Political Leader Ramesh Garg Morena) से हाथ मिलाया और उन्हीं के साथ वापस बीएसपी मे शामिल हो गये हैं।
इस समय जिस ओर पूरे देश मे बीजेपी की लहर चल रही है वहीं मुरैना लोकसभा मे दोनो पार्टियों के बीच रमेश गर्ग बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, चूंकि रमेश गर्ग वैश्य समाज से आते हैं और इस लोकसभा मे वैश्य वर्ग का वोट लगभग सवा लाख के उपर है और जिस तरह से काफी लंबे समय से दोनो पार्टियों के द्वारा वैश्य वर्ग को विधानसभा और लोकसभा मे अनदेखा किया जा रहा था तो उसी को देख कर इस बार कहीं ना कहीं संपूर्ण वैश्य वर्ग अपने समाज के प्रत्याशी रमेश गर्ग का समर्थन कर रहा है।
बीएसपी मे शामिल होने के बाद नेता राजोरिया से बातचीत के अंश:
प्रश्न. आखिर क्या कारण रहा की आपने कांग्रेस की सदस्यता छोड़ बीएसपी का दामन थाम लिया ?
उत्तर. मेरा व्यापारी वर्ग ने हमेशा साथ दिया या यू कहें की मुझे मिट्टी मे से उठाकर माधव बनाया, आज मैंने देखा की जब रमेश गर्ग के साथ जो कंधे से कंधा मिलाकर पूर्व विधायक बलवीर डंडोतिया चल रहे थे जिन्होंने उन्होंने अश्वासन मे लिया वो रमेश के साथ हैं तो वहीं अचानक उनको धोखा देकर बीजेपी मे चले गये तो इन हालातों मे व्यापारी वर्ग मेरे पास आया और कहा की ऐसे समय में मुझे रमेश का साथ देना चाहिये तो मैं उनको ना नहीं कह पाया और वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ना भाजपा से लड़ रही ना किसी ओर से. वो बस आपस मे ही लड़े जा रही है इसीलिये उसके सारे लोग भाजपा में जा रहे है इसीलिये मैं तो बस रमेश का साथ देने के लिये वापस आया हूँ और बहुजन समाज पार्टी मेरी मूल पार्टी है मैं आज जो कुछ भी हूँ इसी की वजह से हूँ और रमेश ने हमेशा मेरा साथ दिया मुझे जमीन से उठाकर आसमान तक पहुंचाया तो बस यही कारण है की मैं आज उनके साथ हूँ।
प्रश्न. लोकसभा चुनाव में अब काफी कम समय रह गया है 7 मई को मतदान है तो ऐसे मे अब आपकी रणनीति क्या रहेगी ?
उत्तर. मायावती जी की सभा है और लोकसभा मे दोनो पार्टियों के प्रत्याशियों की टक्कर रमेश से ही है सामान्य वर्ग से लेकर हर जाती वर्ग एवं बड़े व्यापारी से लेकर रिक्शेवाले तक का समर्थन रमेश को है और रमेश के जीतने से बहुत बड़ा परिवर्तन इस लोकसभा क्षेत्र में आयेगा और विकास का कार्य दुगनी गति से होगा और जीत रमेश गर्ग की ही होगी।
प्रश्न. अभी हाल ही में पूर्व विधायक बलवीर डंडोतिय ने बीच में रमेश का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया है और कहा है की मै 50℅ ब्राह्मण वोट भाजपा के प्रत्याशी शिवमंगल सिंह को दिलवाउंगा?
उत्तर. ये तो अच्छी बात है आप ये सवाल उनसे करिये और वोट मिल जाये तो उनको धन्यवाद करिये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुरैना में हो चुकी है सभा
चुनाव में सभाओं का दौर चलता ही है और स्टार प्रचारकों का आना जाना लगा ही रहता है, जहां कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अपने प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू के लिये जनसभा कर चुके हैं तो वहीं बीजेपी भी किसी से पीछे नहीं रही बीजेपी ने भी अपनी सभा की और सभा में प्रदेश अध्यक्ष एवं खजुराहो लोकसभा प्रत्याशी वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री एवं गुना लोकसभा प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के साथ-साथ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उपस्थित रहे।
वहीं अब बीएसपी भी अपना दम दिखाने मे पीछे नहीं हट रही। बीएसपी ने भी 28 अप्रैल को अपनी जनसभा रखी,जिसमे बसपा सुप्रीमो मायावती भी उपस्थित रही। सभा मे करीब 8 हजार लोगो का हुजूम उमड़ कर आया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुरैना में कहा, 'हमारी पार्टी कांग्रेस, बीजेपी या अन्य किसी विरोधी पार्टी के साथ मिलकर नहीं, अकेले ही गरीबों, मजदूरों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्ग, मुस्लिम और अन्य के बलबूते ये चुनाव लड़ रही है।' आगे अपनी बात कहते हुये चुनावी सभा में कहा की, 'कांग्रेस, बीजेपी और इनके सभी सहयोगी दलों के बारे में कहना चाहूंगी कि आजादी के बाद केंद्र और देश के अधिकांश राज्यों में भी ज्यादातर सत्ता कांग्रेस के हाथ में केंद्रित रही है। दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग विरोधी गलत नीति और कार्यप्रणाली की वजह से कांग्रेस को केंद्र और काफी राज्यों की सत्ता से भी बाहर होना पड़ा है। यही स्थिति इनकी सहयोगी पार्टी की भी रही। इस कारण ही फिर बीएसपी को बनाने की जरूरत पड़ी।'
मुरैना में प्रचार करने आए मोदी का नहीं चला जादू
एक ओर प्रधानमंत्री मोदी जहां अपने कदम रखते हैं तो विपक्ष को धूल चटा देते हैं या यूं कहें की आज भाजपा पूर्ण बहुमत मे आई है तो उसका कारण कहीं ना कहीं सिर्फ मोदी को ही माना जाता है मगर वहीं मुरैना मे कहा जाता है की प्रधानमंत्री मोदी के आने से यहां के प्रत्याशी पर ग्रहण सा लग जाता है, कहा जाता है की 2008 के चुनाव मे मोदी यहां आये तो उस वक़्त के विधानसभा प्रत्याशी रुस्तम सिंह चुनाव हार गये तो दूसरी बार मोदी फिर 2023 के विधानसभा चुनाव मे सभा करने आये और यहाँ कांग्रेस से भाजपा मे आये बीजेपी प्रत्याशी रघुराज कंसाना चुनाव हार गये. वहीं एक बार फिर मोदी लोकसभा में प्रचार कर के चले गये, तो देखना अब ये है की क्या इस बार ये दाग मोदी के ऊपर से हटता है या इस बार भी कुछ अलग परिणाम आयेगा।
मुरैना में भाजपा नेता प्रधानमंत्री मोदी की जनसभा मे नहीं जुटा पाई भीड़
मुरैना मे चंबल संभाग के तीनों प्रत्याशी भिंड से संध्या राय, ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाह और मुरैना से शिवमंगल सिंह तोमर के लिये जनसभा करने मोदी आये मगर तीनों लोकसभा के प्रत्याशियों एवं एक गुना लोकसभा के प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिलाकर भी सभा के लिये 1 लाख लोगो की भीड़ नही जुटा पाये, पीछे की कुर्सियां खाली रही। वहीं सभा के बाद जब लोकल चैनलों के माध्यम से लोगो की प्रतिक्रिया ली तो लोगो का कहना था की हमें भोजन, पानी, साड़ी और कुछ पैसे दिलवाने का वादा करके लेकर आये। मगर हमे यहां आकर ऐसा कुछ नहीं मिला बल्कि गर्मी के मौसम मे पानी की व्यवस्था भी नही थी।
एक मात्र जगह जहां ना लहर काम आती है और न ही कोई यात्रा
जहां एक ओर पूरे देश मे मोदी लहर चल रही है तो कहीं राहुल की भारत जोड़ो यात्रा मगर वही मध्यप्रदेश का चंबल संभाग आज भी वो जगह है जहां ये सारी बातें कहीं भी काम नहीं आती यहां आज भी जातीगत चुनाव होते हैं और यहां की जनता आज भी अपना प्रतिनिधि व्यक्तिगत और जातिगत समीकरणों के आधार पर चुनती है। यही नहीं जहां बसपा अपने ही गढ़ यूपी मे डूबती नाव को बचाने की कोशिश कर रही है तो वहीं आज भी चंबल संभाग में वो किसी भी पार्टी के नतीजे बदलने की ताकत रखती है यहां तक की जिस समय बसपा यूपी मे बिल्कुल विलुप्त होने की कगार पर थी उस वक़्त भी चंबल संभाग से उसके प्रत्याशी जीत कर आये थे। विशेष रूप से यहां 2 जातियां ब्राह्मण और ठाकुरों की लड़ाई रहती है और यही जातिगत कारण है की इन लोकसभा सीटों का रुख हमेशा ही विपरीत दिशा मे बहता है। मुरैना लोकसभा मे सवर्ण वोटर निर्णायक भूमिका मे रहते है।
क्या है जातीय समीकरण
मुरैना लोकसभा की बात करें तो संसदीय क्षेत्र मे करीब पौने तीन लाख के लगभग दलित मतदाता, करीब दो लाख के लगभग ब्राह्मण मतदाता, करीब दो लाख के लगभग क्षत्रिय मतदाता, करीब सवा लाख के लगभग वैश्य मतदाता हैं, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या यहां करीब 80 से 90 हजार के आस पास ही सीमित है। मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र में सबसे ज्यादा लगभग 3.50 लाख अनुसूचित जाति (जाटव), 2.50 लाख क्षत्रिय, 2.50 लाख ब्राह्मण, 1.25 लाख वैश्य, 1.20 लाख गुर्जर, 1.10 लाख रावत, 1 लाख धाकड़, 1.30 लाख मुस्लिम, 1.40 लाख कुशवाह, 50 हजार आदिवासी वोटर हैं।
मुरैना लोकसभा चुनाव में कौन-कौन हैं प्रत्याशी?
मुरैना लोकसभा मे जहां भाजपा ने अपने पूर्व विधायक एवं भाजपा के बड़े नेता विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी शिवमंगल सिंह तोमर को मैदान मे उतारा है तो वही कांग्रेस ने भी जातिगत समीकरण को ध्यान मे रखकर सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू को मैदान मे उतारा है, बता दें सिकरवार पहले भाजपा के ही सदस्य थे उनके पिता भाजपा से ही विधायक रह चुके हैं और वो खुद भी भाजपा से मुरैना की सुमावली विधानसभा से भाजपा के विधायक रह चुके हैं। वहीं कुछ समय से भाजपा में की गयी उनकी अनदेखी के कारण उनके बड़े भाई सतीश सिरवार ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया और वर्तमान में वो ग्वालियर से विधायक हैं। उनकी पत्नी ग्वालियर नगर निगम से महापौर हैं तो कहीं ना कहीं भाजपा का मुकाबला अपने ही पुराने कार्यकर्ताओं से हैं। वहीं बसपा से उम्मीदवार अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबसे बड़े व्यापारी हैं जिन्होंने मुरैना जैसे छोटे शहर का नाम इंडोनेशिया से लेकर मलेशिया तक पहुंचाया और 11 वीं क्लास फेल होने के वावजूद उन्होंने के.एस. ऑयल लिमिटेड जैसी इंडस्ट्री खड़ीं कर मुरैना के विकास मे अहम योगदान देने वाले रमेश गर्ग है जिनका इतिहास सिर्फ व्यापार रहा है वो पहली बार चुनावी मैदान में हैं। कहा जाता है की उनका वैश्य वर्ग पर बड़ा होल्ड है जिसकी वजह से वो, अभी तक बैकफुट पर रह कर किसी ना किसी प्रत्याशी का समर्थन करते आ रहे थे या शहर मे उनको किंग मेकर की उपाधि से नवाजा जाता रहा है लेकिन वही किंग मेकर आज खुद मैदान में लड़ने उतरे हैं।
अब ज्यादा समय चुनाव प्रचार मे नहीं रहा है, 7 मई को यहां मतदान होना है। प्रत्याशियों ने अपना प्रचार तेज कर दिया है, अब देखना है की मुरैना की जनता इस बार किसे अपना प्रत्याशी चुनती है। लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम 4 जून को आना है। अब देखना होगा कि मुरैना की जनता किसे अपना सिरमौर बनाती है।
डिस्क्लेमर: यह लेखक के निजी विचार हैं। लेखक अर्पित शर्मा पत्रकार एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व विद्यार्थी हैं।
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