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Obesity family heath survey 5: शहर की तुलना में गांव की महिलाएं ज्यादा फिट हैं

हेल्थ के लिए हमेशा कॉन्शियस रहने वाली धनी महिलाओं में मोटापे (Obesity family heath survey 5) की समस्य़ा सबसे अधिक पाई गई है।

By Pallav Jain
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Obesity family heath survey 5

फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) में इस बार एक दिलचस्प ट्रेंड निकलकर सामने आया है। हेल्थ के लिए हमेशा कॉन्शियस रहने वाली धनी महिलाओं में मोटापे (Obesity family heath survey 5) की समस्य़ा सबसे अधिक पाई गई है। वहीं कम दौलत वाली महिलाएं ज्यादा फिट पाई गई हैं।

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नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS-5) के दौरान इस बार कद- बजन के साथ कमर कूल्हे का अुपात भी मापा गया है। सर्वे के दौरान मोटापे और दौलत में भी एक दिलचस्प ट्रेंड दिखा है। देश के धनवान वर्ग में महज़ 10 फीसदी और कम दौलत वाले परिवारों में 28 फीसदी महिलाएं फिट पाई गई हैं। (Obesity family heath survey 5)

राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो महिलाओं में मोटापे की समस्या 21 फीसदी से बढ़कर 24 फीसदी पर पहुंच चुकी है तो वहीं पुरुषों में 19 फीसदी से 23 फीसदी पर मोटापा पहुंच चुका है। यह बदलाव पुछले 5 सालों के दौरान हुआ है।

(NFHS-5) किस राज्य की महिलाएँ हैं सबसे ज्यादा फिट?

डब्ल्यूएच आर यानि वजन कद के साथ कूल्हे और कमर का अनुपात, इसको ध्यान में रखकर फिटनेस का आंकलन फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (Obesity family heath survey 5) में किया गया है। इसके अनुसार मध्य प्रदेश में यह अनुपात सबसे कम 40 फीसदी मध्यप्रदेश की महिलाओं में पाया गया जिन्हें सबसे फिट माना गया वहीं जम्मू कश्मीर की महिलाओं को सबसे अनफिट पाया गया जिनका डब्ल्यूएचआर 88 फीसदी निकला है।

मध्य प्रदेश के पुरुष भी बाकि राज्यों की तुलना में फिट हैं, वहीं दिल्ली और पंजाब की महिलाओँ में सबसे ज्यादा मोटापा (Obesity family heath survey 5) पाया गया है।

(NFHS-5) कुछ और इंट्रेस्टिंग पॉईंट्स

गांवों में 21 फीसदी महिलाएं फिट हैं तो शहरों में केवल 13 फीसदी
शहरों में 33 फीसदी महिलाएँ ओवरवेट हैं, गांवों में 20 फीसदी
15-19 साल की 40 फीसदी युवतियां फिट हैं, तो वहीं उम्र बढ़ने के बाद फिटनेस घट जाती है।
40-49 के आयु वर्ग में सिर्फ 9 फीसदी महिलाएँ फिट पाई गईं।

इस बार जो हेल्थ सर्वे (Obesity family heath survey 5) किया गया उसमें डब्लूएचओ के तय मानकों का ध्यान रखा गया जिसमें कमर का आकार भी नापा गया। कमर का आकार बढ़ने से कई तरह की परेशानियां पैदा होती हैं। इससे इंसूलिन रैजिस्टेंस पैदा होता है जिससे खतरनाक हार्मोंस इकट्ठा होने लगते हैं। गुड कॉलेस्ट्रॉल बैड कॉलेस्ट्रॉल में बदलने लग जाता है, ब्लड प्रेशर बढ़ता है जिससे सीधे दिल पर असर होता है।

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