cracks in varanasi ghats

वाराणसी में गंगा किनारे धंसने लगी है ज़मीन, यह है कारण

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  • Post published:February 12, 2023


वाराणसी में प्रमुख घांटों के नीचे की ज़मीन खोखली हो रही है, कई सीढ़ियों और प्लैटफॉर्मस के दरकने की खबर है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाया तो गंगा किनारे बसे कई ऐतिहासिक मंदिर ज़मींदोज़ हो जाएंगे।

क्या है वजह?

दरअसल गंगा नदी की तेज़ धार की वजह से ज़मीन का कटाव हो रहा है। गंगा वाराणसी में पूर्व दिशा में रेत जमा करती है। इससे गंगा के दाहिने तरफ सैंड आईलैंड बन रहा है। इस आईलैंड की वजह से पानी का सारा दबाव घांटों पर पड़ रहा है। गंगा नदी के दूसरे छोर पर रेतत खनन पर रोक लगा दी गई है।

दूसरा कारण है कि यह एक सिसमिक ज़ोन है, फॉल्ट लाईन्स गंगा रिवर बेसिन को क्रॉस करती हैं जिसकी वजह से यहां टेक्टोनिक एक्टीविटीज़ होती रहती हैं। कई बार यहां भूकंप के हल्के झटके भी महसूस किए गए हैं।  ऐसे में सॉईल इरोज़न को अगर नहीं रोका गया तो, भूकंप का हल्का झटका भी भविष्य में वाराणसी को भारी पड़ सकता है। 

तीसरा कारण गंगा नदी का वाराणसी में चंद्राकार भी है। इसकी वजह से वाराणसी तरफ वाल हिस्से में नदी की धार तेज़ होती है।

साथ ही गंगा में कटान, सिल्टेशन, और रेत डिपोज़िशन को लेकर न कोई रिसर्च है न ही कोई काम किया गया है। पिछले 5-10 सालों में गंगा नदी की धार से घाटों को कितना नुकसान हुआ इसपर रीसर्च करवाना ज़रुरी है।

अभी तक भदैनी सिंधिया,  पंचगंगा, राजघाट पर स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहां स्नान करना भी हादसे को आमंत्रण देना है। वहीं चेतसिंह, हनुमान घाट के नीचे कटान साफ देखा जा सकता है। प्रभूघाट, चौकी घाट, मानमंदिर, मणिकर्णिका और पंचगंगा घाटों पर सीढ़ियों एवं प्लैटफॉर्म के हिस्से धंसने लगे हैं।

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