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जात-पात की ज़द में उत्तराखंड की नई पीढ़ी भी

caste based discrimination in Uttarakhand

पूरे भारत की तरह ही उत्तराखंड का समाज भी जात पात में बंटा हुआ है, लोग एक साथ रहते तो हैं लेकिन जाति देखकर भेदभाव भी करते हैं।

उत्तराखंड पुलिस के डेटा पर अगर नज़र डालें तो पता चलता है कि पिछले तीन साल में राज्य में एससी एसटी क्मयूनिटी के खिलाफ अपराधों में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

साल 2019 में जहां 100 ऐस मामले रजिस्टर हुए तो वहीं 2021 में 135 मामले सामने आए। सबसे अधिक मामले हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनिताल में दर्ज किए गए।

बैजनाथ जो भगवान शिव का धाम है, वहां के आसपास के गांवों की महिलाएं बताती हैं कि उंची जाति के लोग उनके हाथ का छुआ खाना नहीं खाते, या यूं कहें की हमारे हाथ का बना हुआ, न ही वो हमारे घर आते हैं। मंदिरों में तो हमें प्रवेश मिलता है लेकिन जब तक हम मंदिरों में पूजा करते हैं, तब तक ब्राह्मण और ठाकुर समाज के लोग मंदिर में नहीं प्रवेश करते। वो हमारे जाने के बाद ही अपनी पूजा करते हैं।

महिलाएं बताती हैं कि उन्हें बुरा लगता है जब उनके साथ इस तरह से भेदभाव होता है, वो जब अपने साथ करने वाले उंची जाति के लोगों से इस बारे में शिकायत करती हैं तो उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं होता। नई पीड़ी में थोड़ा बदलाव ज़रुर है, लेकिन बच्चों के मां-बाप अपने बच्चों को छोटी जाति के बच्चों के घरों पर बर्थडे पार्टी तक में नहीं भेजते।

हाल ही में चंपावत के दलित भोजनमाता विवाद की पूरे देश में चर्चा हुई थी, इसमें स्कूल के बच्चों ने एक दलित भोजनमाता के हाथ का बना मिड डे मील खाने से इंकार कर दिया था। ऊंची जाती के लोगों ने स्कूल प्रशासन पर दलित भोजन माता को हटाने के लिए दबाव भी बनाया था।

इस विवाद के बाद एक जो बात सामने आई वो यह थी की राज्य में जातिगत भेदभाव जड़ों तक फैला हुआ है।

चौरसू गांव की संगीता बताती है कि हमारे यहां कोई कार्यक्रम होता है तो ऊंची जाती के लोग उसमें भाग तो लेते हैं लेकिन कुछ खाते पीते नहीं है। हमारे बच्चे भी उंजी जाति के बच्चों के घर नहीं जाते क्योंकि वो देखते हैं कैसे भेदभाव होता हैं। कुछ बच्चे जो बाहर पढ़ते लिखते हैं वो इस तरह का भेदभाव नहीं करते लेकिन उनके मां बाप उन्हें हमारे यहां आने से रोकते हैं।

बबीता बताती हैं कि पुराने ज़माने के लोग ज्यादा भेदभाव करते हैं। नई पीड़ी के लोगों में थोड़ी समझ आई है।

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Author

  • Pallav Jain is co-founder of Ground Report and an independent journalist and visual storyteller based in Madhya Pradesh. He did his PG Diploma in Radio and TV journalism from IIMC 2015-16.