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‘’श्रद्धा की लाश के टुकड़ों पर TRP तलाशने वालों को गिद्ध कहा जाएगा, पत्रकार नहीं’’

Indian Media : ‘’लाश के टुकड़ों पर TRP तलाशने वालों को गिद्ध कहा जाएगा, पत्रकार नहीं’’ श्रद्धा के दोस्त को दौड़ा रही मीडिया

By Ground report
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Indian Media

Opinion : देश की राजधानी दिल्ली (Delhi) के छतरपुर इलाक़े में ख़ौफनाक तरीक़े से की गई एक लड़की की हत्या ने पूरी इंसानियत को हिला डाला। दिल्ली पुलिस ने जब इस हत्याकांड का ख़ुलासा किया तो लोग दहल उठे। लिव-इन पाटर्नर आफ़ताब पूनावाला (Aftab Poonawala) नाम के एक लड़के ने अपनी पार्टनर श्रद्धा वॉल्कर (Shraddha) का क़त्ल कर उसकी लाश के 35 टुकड़े कर फ्रीज़र में रखे। फिर एक-एक कर उनको जंगल में फेंक दिया। लेकिन देश की मीडिया (Indian Media) ने पहले तो घटना को पूरी तरह से धर्म विशेष से जोड़कर सांप्रदायिक रूप दिया। फिर TRP की भूख में न्यूज़ चैनलों ने अपने पत्रकारों को गिद्धों की तरह लाश के टुकड़ों पर रिपोर्टिंग करने का फरमान दे डाला।

ये पत्रकार नहीं, TRP के भूखे गिद्ध हैं

लोकतंत्र के ‘चौथे पिलर’ का ख़िताब रखने वाली पत्रकारिता और पत्रकार अपने सवालों से सरकार गिरा देने की शक्ति रखता है। जब पत्रकार अपनी क़लम को चलाने बढ़ता है। तब नेता, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या फ़िर देश की सरकार, पत्रकार के सवालों से सब भी गिर जाए करते हैं। ये कोई लफ़्फाज़ी बातें नहीं हैं।

अंग्रेज़ों की हुकूमत को हिलाने के लिय तलवार,तीर या भाले नहीं बल्कि अख़बार निकाले गए। सवाल पूछकर जान गंवाने वाले पत्रकारों की एक लंबी फेहरिस्त है। लेकिन भारत में मौजूदा समय की पत्रकारिता और पत्रकारों का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम में भारत (Indian Media)  150 वें स्थान पर है, साल 2021 में 142 वें स्थान पर था।

दिल्ली में दिल दहला देने वाली इस घटना को लेकर पहले तो देश की मीडिया (Indian Media) ने घटना का सहारा लेकर सांप्रदायिकता का ज़हर फैलाया। फिर संवेदनाओं को संपादक के जूतों के नीचे रखकर एक रेडीमेड डमी लेकर दिल्ली के उसी जंगल में पहुंच गए। जहां आफ़ताब ने श्रद्धा के शराीर के टुकड़े फेंके थे।

आधा दर्जन पत्रकारों (गिद्ध) ने ‘’खोजी पत्रकारिता’’ के नाम पर तमाशा करना शुरू कर दिया। जिसमें सवाल कम सनसनी ज़्यादा। पत्रकारिता के “एथिक्स’’ का रेप कर डाला। TRP की भूख के लिय श्रद्धा के लाश के चुकड़ों को ढूंढा जाने लगा। ऐसी-ऐसी हरकते की जाने लगी कि इतनी संवेदनशील घटना सीरियल जैसी लगने लगी।

श्रद्धा के दोस्त को दौड़ा रही मीडिया

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। कई पत्रकारों ने वीडियो को शेयर कर लिखा है, ‘’देखिए मीडिया कैसे श्रद्धा के दोस्त को दौड़ा रही है।‘’ वीडियो में एक लड़का मीडिया को देखकर तेज़ रफ्तार से भागता दिख रहा है। मीडिया (Indian Media) के कैमरे उसके पीछे दौड़ रहे हैं।

इस भागा-दौड़ी को देखकर ऐसा लगा रहा है कि पुलिस किसी बड़े अपराधी को पकड़ने के लिय दौड़ रही हो। ऐसा क्यों हुआ ? ऐसा इस लिय हुआ की श्रद्धा का दोस्त जानता है कि इस देश के पत्रकार, पत्रकार नहीं बल्कि गिद्ध हैं, जो मुझे अपनी TRP की भूख को पूरा करने के लिय नोच खाएंगे। इस लिय वो अपनी जान बचाकर भाग रहा है।

इस देश का मीडिया (Indian Media) अब लोकतंत्र का चौथा पिलर नहीं बल्कि मौजूदा सरकार का वो दरबारी है, जो मालिक के हुक्म को ठुकराएगा तो देश विरोधी, हिंदू विरोधी,आतंकी और मुस्लिम परस्त जैसे तमग़ों से नवाज़ा जाएगा। मीडिया ने इस हत्याकांड को पहले लव जिहाद का रूप दे डाला। फ़िर देश के पूरे अल्पसंख्यक समुदाए को ऐसी हत्या करने वाला बता डाला।

न्यूज़ रूम में बैठै सरकारी दरबारियों ने ऐसा सांपद्रायिक माहौल बनाया कि जैसे बहुसंख्यक समुदाए को इस देश के अल्पसंख्यक समुदाए का नरसंहार कर देना चाहिए। जी हां, इस देश का मीडिया नरसंहार के लिय देश के बहुसंख्यक समुदाए को पिछले कई सालों से उकसा रहा है। इस देश की अखंडता के लिय आने वाले समय में यह ख़तरनाक साबित होगा।

क्या है आफ़ताब और श्रद्धा का मामला ?

  • आपको बता दें दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, श्रद्धा महाराष्ट्र के पालघर की रहने वाली थी और मुंबई के एक कॉल सेंटर में जॉब करती थी। आरोपी आफ़ताब और श्रद्धा मुंबई में काम के दौरान क़रीब आए थे। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के नज़दीक आते चले गए। लड़की के परिवार को दोनों के रिश्ते के बारे में पता चल गया।
  • लड़की का परिवार इस बात से ख़ासा नाराज़ हुआ और श्रद्धा (Shraddha) को आफ़ताब से दूर रहने को कहा। लेकिन लड़की ने परिवार वालों की बात न मानते हुए आफ़ताब के दिल्ली आ गई। NDTV ने पुलिस सूत्रों के हवाले से ख़बर की है कि आफताब श्रद्धा से एक डेटिंग ऐप के ज़रिए मिला था।
  • पुलिस को आफ़ताब द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, 18 मई की रात आफताब और श्रद्धा का शादी करने को लेकर झगड़ा हुआ। दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि गुस्से में आफताब ने श्रद्धा का गला तब तक दबाए रखा जब तक वो मर नहीं गई। इसके बाद आफ़ताब लाश को ठिकाने लगाने की सोचने लगता है।
  • अगले दिन वो मार्केट से बड़ा वाला फ्रिज खरीदकर लाता है। साथ में एक बड़ी आरी भी। फिर बाथरूम में बैठकर लाश के छोटे-छोटे टुकड़े कर देता है। बदबू न आए इस लिय वो बीच-बीच में पूरे घर में परफ्यूम डालता रहा। श्रद्धा की लाश के 35 टुकड़े कर वो फ्रिज में रख देता है। फिर रोज़ उन टुकड़ों को पैदल ही महरौली के जंगल में जाकर फेंक देता। पुलिस द्वारा मामले के खुलासे के बाद यह घटना चर्चा का केंद्र बन गई।

यह पत्रकार नेहाल रिज़वी के निजि विचार है। संस्थान ने इसे केवल पब्लिश किया है।

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