Powered by

Home Hindi

मध्यप्रदेश में अब किसी मंदिर पर सरकारी नियंत्रण नहीं, शिवराज सरकार ने दी स्वतंत्रता

By Pallav Jain
New Update
मध्यप्रदेश में अब किसी मंदिर पर सरकारी नियंत्रण नहीं, शिवराज सरकार ने दी स्वतंत्रता

देश भर की सरकारों ने जो काम नहीं कर पाया वह काम मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने कर दिया। देशभर में पिछले कई सालों से हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर करने की मांग उठ रही है, भारत में लगभग चार लाख से अधिक मंदिर अभी भी सरकारों के नियंत्रण में है| इन मंदिरों की मुक्ति के लिए सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक, अनेकसंगठनों द्वारा मांग उठाई जा रही है| यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच चुका है|

यह मांग विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल सहित देश के ब्राह्मण समाज के द्वारा लंबे समय से उठाई जा रही थी| इस बात को संज्ञान लेकर भगवान परशुराम जयंती के दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा यह घोषणा की कि अब प्रदेश के किसी भी मंदिर पर सरकारी नियंत्रण नहीं होगा|यही नहीं घोषणा करते हुए सीएम शिवराज ने कहा मंदिरों से लगी हुई किसी भी भूमि की नीलामी अब जिला कलेक्टरों के द्वारा नहीं की जाएगी उस जमीन को मंदिर के पुजारी ही नीलाम करेंगे ।

मंदिरों से सरकार के नियंत्रण हटने के क्या है मायने?

दरअसल भारत गणराज्य की लोकतंत्र व्यवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को अपने विवेक से किसी भी धर्म को मानने और धर्म के प्रचार करने की आजादी है । इसके मुताबिक भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और धर्मनिरपेक्ष देश में धर्म और सरकार का आपस में कोई कनेक्शन नहीं होना चाहिए लेकिन आज भी देश के चार लाख से ज्यादा हिंदू मंदिरों पर सरकार का अधिकार है । इसी अधिकार के तहत सरकार यह तय करती है कि मंदिरों की पूजा पद्धति कैसे होगी मंदिरों का देखरेख कैसे होगा और तो और इन मंदिरों में समाज के द्वारा दिए जाने वाले दान के पैसे का उपयोग कैसे होगा यह बात भी सरकार ही तय करती है । ताज्जुब की बात यह है कि यह नियम केवल देश के हिंदू मंदिरों में ही लागू होता है इस प्रकार का कोई भी कानून इस्लाम और ईसाइयत के लिए नहीं बना हुआ है|

जिसके कारण मस्जिदों में जो दान जकात या अन्य माध्यम से आता था उसका उपयोग मस्जिदों के द्वारा इस्लाम का प्रचार प्रसार करने के लिए किया जाता था ठीक इसी प्रकार ईसाई गिरजा घरों में अभी आने वाले दान का उपयोग मिशनरी संस्थाओं के द्वारा ईसाइयत को फैलाने के लिए किया जाता है । इस सब के बावजूद भी हिंदू समाज को यह अधिकार कदापि नहीं था कि वह अपने मंदिरों में आने वाले दान का उपयोग धर्म के प्रचार प्रसार या धर्म को बढ़ावा देने के लिए कर सके ।

क्या है शिवराज सरकार का फैसला ?

अब अगर मध्य प्रदेश की बात की जाए तो सीएम शिवराज सिंह चौहान के द्वारा भोपाल में आयोजित परशुराम जयंती के कार्यक्रम में घोषणा करते हुए कहा था| जिन भी मंदिरों के पास 10 एकड़ से ज्यादा जमीन है, उस जमीन की नीलामी जिला कलेक्टरों के द्वारा नहीं बल्कि मंदिर के पुजारियों के द्वारा की जाएगी| इस नीलामी में कलेक्टर या सरकार की किसी भी प्रकार की कोई दखलंदाजी नहीं होगी सीएम शिवराज ने ना केवल यह बात मंच से घोषणा के रूप में कही बल्कि चंद ही दिनों में मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट मीटिंग आयोजित कर के इस फैसले पर कैबिनेट के द्वारा मुहर भी लगा दी गई|

हिंदू रीति-रिवाजों को प्रभावित करता था यह फैसला

सरकार के द्वारा लिया गया यह फैसला किसी भी आम व्यक्ति को हल्का या फिर छोटा मोटा फैसला लग सकता है लेकिन असलियत में यह कदम बेहद सराहनीय है क्योंकि सरकार के द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद हमारे हिंदू मंदिरों में पूजा पद्धति को तय करने के लिए सरकार है| अब किसी भी मंदिर या ट्रस्ट को बाध्य नहीं कर सकते| इससे पहले जब मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण रहता था तब अनेक अनेक प्रकार के दबावों के कारण सरकारों ने मंदिर में होने वाली पूजा पद्धति को भी बदल दिया| उदाहरण के तौर पर 12ज्योतिर्लिंगों में से एक सबसे महत्वपूर्ण ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर के रूप में प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित है यहां बाबा महाकाल की पूजा कभी एक विशेष प्रकार था पहले बाबा महाकाल की भस्म आरती भस्म की रात से की जाती थी लेकिन जब इस बात पर विभिन्न वामपंथी संगठनों और एजेंडाबाज एनजीओ के द्वारा एतराज जताया और सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दे दी जिसके बाद मंदिर समिति को आरती करने की पद्धति भी बदलनी पड़ी और बाद में भस्म से होने वाली है आरती कपिल गाय के गोबर से बने कंडो से होने लगी ।

अगर हम बात करें पुराने जमाने की तो मंदिर केवल पूजा या उपासना का स्थान मात्र नहीं थे मंदिर अपने आप में एक स्वतंत्र सोशल हब हुआ करते थे मंदिर समितियों के द्वारा अपनी धर्मशालाएं चलाई जाती थी भंडारे आयोजित कराए जाते थे मंदिरों के द्वारा समाज के लिए कुआं खुदवाने जलाशय बनाने का भी काम किया जाता था लेकिन जब से मंदिरों के ऊपर सरकार का नियंत्रण हो गया है तब से यह सब क्रियाकलाप बंद हो चुके हैं । और यही एक बड़ा कारण है कि मंदिरों में चलने वाले गुरुकुल के माध्यम से मिलने वाली धार्मिक शिक्षा धीरे-धीरे बंद होने लगी । अब जब एमपी की शिवराज सरकार के द्वारा यह फैसला लिया गया है उसके बाद से एक बार फिर मंदिर अपने नियम और कायदे बनाने के लिए स्वतंत्र होंगे इसके साथ साथ हिंदू धर्म हिंदू शिक्षा और हिंदुत्व के प्रचार को भी गति मिलेगी मध्य प्रदेश की सरकार के द्वारा लिए गए इस फैसले को न केवल प्रदेश की जनता या सामाजिक संगठनों के द्वारा सराहा जा रहा है बल्कि सीएम शिवराज के इस फैसले को देश में भी एक आइडियल फैसला बताया जा रहा है ।