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दिल्ली में बाईक टैक्सी पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया?

दिल्ली सरकार ने एप बेस्ड एग्रीगेटर्स जैसे ओला, ऊबर, रैपिडो द्वारा चलाई जा रही बाईक टैक्सी सर्विस पर प्रतिबंध लगा दिया है।

By Pallav Jain
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दिल्ली सरकार ने एप बेस्ड एग्रीगेटर्स जैसे ओला, ऊबर, रैपिडो द्वारा चलाई जा रही बाईक टैक्सी सर्विस पर प्रतिबंध लगा दिया है। महामारी के बाद राजधानी दिल्ली और आसपास के रीजन में बाईक टैक्सी काफी लोकप्रिय हो गई थी। सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से बाईक टैक्सी चलाकर एक्सट्रा पैसे कमाने वाले राईडर्स प्रभावित होंगे।

क्यों लिया गया फैसला?

ट्रांस्पोर्ट मिनिस्ट्री के मुताबिक पर्सनल बाईक को टैक्सी की तरह चलाना मोटर वहीकल एक्ट 1988 का उल्लंघन है। मौजूदा नियमों में बाईक को टैक्सी की तरह सड़क पर चलाने का प्रावधान नहीं है।

मोटर वहीकल एक्ट 1988 में कैब सर्विस के लिए कुछ नियम निर्धारित किये गए हैं-

  • जैसे कैब सर्विस के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होता है और येलो नंबर प्लेट लगानी होती है,
  • पुलिस वैरिफिकेशन होता है जिसके बाद पीएसवी बैड्ज दिया जाता है,
  • ड्राईवर का व्यवहारिक सेशन होता है,
  • महिलाओं के सेफ्टी के लिए पैनिक बटन लगाना बेहद ज़रुरी होता है।

बाईक टैक्सी में यह कुछ भी उपलब्ध नहीं है।

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नियमों का उल्लंघन करने वालों पर शुरुवात में शो कॉज़ नोटिस के साथ 5 हज़ार रुपए और दूसरी बार उल्लंघन पर 10 हज़ार का जुर्माना लगाया जाएगा। एप बेस्ड कैब एग्रीगेटर्स द्वारा बाईक टैक्सी सर्विस न रोकने पर 1 लाख का जुर्मना लगाया जाएगा।

ट्रांस्पोर्ट मिनिस्टर कैलाश गहलोत ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि एप बेस्ड एग्रीगेटर्स के लिए जल्द नए नियम लागू किए जाएंगे।

बाईक टैक्सी के फायदे?

पैंडेमिक के बाद बाईक टैक्सी एनसीआर रीजन में काफी लोकप्रिय हुई थी। क्योंकि यह कैब और ऑटो के तुलना में सस्ती है। अगर एक व्यक्ति को 8 किलोमीटर का सफर करना है तो कैब और ऑटो से उसका 150 तक का बिल बनता है, वहीं बाईक टैक्सी में वो यही सफर 80-90 रुपए में कर सकता है। एक व्यक्ति के लिए बाईक टैक्सी न सिर्फ किफायती है, बल्कि दिल्ली के ट्रैफिक और तंग गलियों में इससे आना जाना आसान भी है।

बाईक टैक्सी कई लोगों के लिए एक्सट्रा पैसे कमाने का भी ज़रिया बनी। कई लोग ऊबर, ओला और रैपिडो पर अपनी बाईक को टैक्सी की तरह रजिस्टर कर पार्ट टाईम यह काम करते हैं, जिससे उन्हें महीने में 10-30 हज़ार रुपए तक की कमाई हो जाती है। कई लोग अपने ऑफिस के रुट में पैसेंजर लेते हैं और कुछ एक्सट्रा पैसे कमा लेते हैं।

ऐसे लोगों के लिए सरकार द्वारा लिया गया फैसला एक झटके की तरह है।

कई बाईक टैक्सी चालकों का कहना है कि राईडर्स पर जुर्माना लगाना ठीक नहीं है, सरकार को इन एप्स पर कार्रवाई करनी चाहिए।

क्या है बाईक टैक्सी के खतरे?

  • बाईक टैक्सी में सेफ्टी का सबसे ज्यादा खतरा है। क्योंकि इन राईडर्स का पुलिस वैरिफिकेशन नहीं होता, ऐसे में किसी घटना के होने के बाद राईडर को ट्रेस करना मुश्किल हो सकता है।
  • महिलाओं के लिए बाईक टैक्सी सेफ नहीं है, इसमें पैनिक बटन जैसी सुविधा नहीं है।
  • टैक्सी की तरह चलने वाली बाईक्स की पहचान करना संभव नहीं है।

आने वाले समय में सरकार बाईक टैक्सी के लिए नियम बना सकती है, जिससे इनको रेगुलेट कर पाना आसान होगा।

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