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Churhat Vidhansabha: इस बार आम आदमी पार्टी की वजह से त्रिकोणीय मुकाबला

चुरहट (Churhat Vidhansabha) सीधी की या कहा जाए तो विंध्य की बहुत ही महत्वपूर्ण सीट रही है, पर इससे ज्यादा यह कांग्रेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण व मजबूत सीट रही है

By Ground report
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चुरहट (Churhat Vidhansabha) सीधी की या कहा जाए तो विंध्य की बहुत ही महत्वपूर्ण सीट रही है, पर इससे ज्यादा यह कांग्रेस के लिए सबसे महत्वपूर्ण व मजबूत सीट रही है, पर पिछले चुनाव में कांग्रेस का यह गढ़ ढह गया था।

सीधी जहां के दरी के शिल्प ख्यात हैं वही सीधी यहां के दिग्गज नेताओं के लिए प्रसिद्ध है इसी सीधी  के चुरहट से अर्जुन सिंह एवं इसी सीधी के चुरहट से चंद्र प्रताप तिवारी जैसे दो दिग्गज नेता भी इस क्षेत्र की प्रसिद्ध का कारण बने जिनमें से एक वन मंत्री बना तो दूसरा मुख्यमंत्री और केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्री एवं कांग्रेस का अध्यक्ष रहा।  

पर यह सब इतिहास है और वर्तमान कुछ भिन्न है, वर्तमान में सीधी के दोनों प्रमुख उम्मीदवार अपने साथ एक पॉलिटिकल लैगेसी कैरी करते हैं जो कि कई मायनों में विशाल है मसलन कांग्रेस के प्रत्याशी अजय सिंह राहुल खुद 1998 से 2013 तक लगातार यहां से चुनाव जीते इससे पहले 1977 से 1991 तक लगातार अर्जुन सिंह यहां से विधायक का चुनाव जीते बस 1993 का अपवाद छोड़ दें तो 1977 के बाद से यहां कांग्रेस ही जीती है वहीं दूसरी ओर शारदेंदु  तिवारी के दादाजी चंद्र प्रताप तिवारी मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता थे जो प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और कांग्रेस से चुनाव लड़े व जीते। 

चुरहट से 2023 में प्रत्याशी

  • बीजेपी - शरदेन्दु तिवारी 
  • कांग्रेस - अजय सिंह राहुल 
  • आप - अनेंद्र मिश्रा राजन

पर अब खेल सिर्फ यहां दो दलों का नहीं रह गया है पिछले वर्ष के नगर पंचायत के चुनाव में आम आदमी पार्टी का सिंगरोली से रानी अग्रवाल का  महापौर पद के लिए जीता जाना और इस वर्ष आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में अनेन्द्र  मिश्रा राजन को टिकट दिया गया है तो उन्हें भी नकारा नहीं जा सकता है वह भी एक पोटेंशियल प्रत्याशी है, जो कि इस सीट के मुकाबले को एक त्रिकोणीय संघर्ष का रूप देता है एवं इसे और भी रोचक बना देता है। 

अगर बात करें चुरहट विधानसभा के डेमोग्राफी की तो यह मुख्यतः एक ग्रामीण सीट है जिसका लगभग 90-91 प्रतिशत  ग्रामीण आबादी का का है यहां वोटरों की संख्या लगभग 2,28,000 है अनुसूचित जाति के लगभग साढे 13 परसेंट अनुसूचित जनजाति के लगभग 21 प्रतिशत पर यहां की डेमोग्राफी में पिछड़ा वर्ग जिसमें मुख्यतः कुर्मी है उनका लगभग 70,000 वोट है जो की एक बहुत बड़ा फैक्टर है परंतु यहां का जातीय समीकरण अन्य जगह से थोड़ा सा भिन्न है क्योंकि यहां ब्राह्मण और ठाकुर का संघर्ष भी एक कारक है। अगर देखा जाए तो बरहट, भीतारी, चोरगड़ी आदि पंचायतों में भाजपा की मजबूत पकड़ है वही बरिगमा, डिहुली, मऊ, रामनगर आदि पर कांग्रेस बेहतर मानी जाती है। 

अभी तक लगातार 1977 से 2013 कांग्रेस की लगातार यात्रा अजेय थी लेकिन 2018 के नतीजे ने यह सिद्ध कर दिया की राजनीति में कोई अजेय नहीं होता और इस चुनाव का आकलन इतना भी स्पष्ट और आसान नहीं है। 

Churhat Vidhansabha में विकास के मुद्दे

बीजेपी की पिछली जीत एवं कांग्रेस की पिछली हार का बड़ा कारण यहां पर विकास की सीमितता एवं आवश्यक सुविधाएं जैसे कि परिवहन के लिए बेहतर सड़क इत्यादि का अभाव था यहां की सड़क बहुत ही खराब थी जो की अजय सिंह की पिछली हार का प्रमुख कारण थी और अजय सिंह का इस स्थिति के लिए जवाब यही था कि वह कांग्रेस के विधायक थे और केंद्र में और राज्य में भाजपा की सरकार ने उन्हें पर्याप्त सहयोग नहीं दिया परंतु जनता इस जवाब से संतुष्ट नहीं हो पाई, सड़क पानी जैसे अन्य विकास के मुद्दों पर लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को चुना हालांकि कांग्रेस को लेकर थोड़ी सी एंटीइनकम्बेंसी भी एक फैक्टर था जो लगलगभग 3 दशक से ऊपर एक ही परिवार के शाशन के कारन बनना स्वाभाविक भी है। 

परंतु भाजपा के आने के बाद यहां सड़क तो बन गई पर लोगों का कहना है कि सड़क बनना बस विकास नहीं होता वहां पर अभी उतना विकास नहीं हुआ है जितना अपेक्षित था इसके अतिरिक्त चुरहट में डालडा की फैक्ट्री का बंद होना भी एक बड़ा कारण है जिससे व्यापारी वर्ग में नाराजगी है और हो सकता है इस बार शायद राज्य में और केंद्र में भाजपा की लंबी सत्ता से बनी एंटी इनकंबेंसी कांग्रेस को लाभ दे जाए। 

क्या होंगे नतीजे?

हालांकि यह अंदाजा लगा पाना की इस बार किसकी नैया पार होगी कठिन है पर यह स्पष्ट तौर पर जमीन में दिखाई देता है कि यदि 2018 में जनता कांग्रेस के शासन से नाराज थी तो 2018 के बाद हुए परिवर्तन के बाद भाजपा के विधायक से भी वह बहुत संतुष्ट नहीं है और इन सब में आम आदमी पार्टी का बढ़ता हुआ बेस और लोकप्रियता हासिल करना इस संघर्ष को एक त्रिकोणीय रूप दे देता है, बाकी यह चुरहट की जनता पर है कि वह किस पर भरोसा जताती है।

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