रुस की स्टेट ओन गैस कंपनी गैज़प्रॉम ने Bulgaria और Poland को गैस सप्लाई रोक दी है। यह फैसला इन देशों द्वारा गैस का पेमेंट रूबल में न किए जाने की वजह से लिया है। Bulgaria ने आरोप लगाया है कि रुस गैस को अब हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है और युरोपीय देशों को आर्थिक रुप से तोड़ने का प्रयास कर रहा है।
युक्रेन में छिड़े युद्ध के बाद से यूएस समेत तमाम युरोपियन देशों ने रुस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन रुस ने युरोपीय देशों को गैस सप्लाई जारी रखी। बस एक शर्त इसमें रखी गई की केवल उन्हीं देशों को गैस सप्लाई होगी जो रूबल में पेमेंट करेंगे।
रुसी स्टेट ओन्ड एनर्जी कंपनी गैज़प्रॉम ने कहा कि Poland और Bulgaria की गैस सप्लाई तब तक बंद रहेगी जब तक वो पूरा पेमेंट रुबल में नहीं करते।
युरोपीय देशों की 41 फीसदी गैस की मांग रुस पूरी करता है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा जर्मनी और इटली का है। युद्ध की वजह से सभी देशों ने विकल्प तलाशने शुरु कर दिए हैं। लेकिन अचानक से बाधित हुई गैस सप्लाई से बड़ा संकट गहरा सकता है।
रुस गैस सप्लाई बंद करने की टैक्टिक का इस्तेमाल उन देशों पर दबाव बनाने के लिए कर सकता है जो यु्क्रेन की मदद कर रहे हैं।
यूएस और यूके पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यूएस रुस से गैस नहीं लेता और यूके का केवल 5 फीसदी गैस सप्लाई रुस से होता है।
क्या हैं विकल्प?
युरोप रुस के बजाए अब कतर, अल्जीरिया और नाईजीरिया से गैस सप्लाई के रास्ते तलाश रहा है। पर यहां पर मांग के हिसाब से प्रोडक्शन बढ़ाना अचानक से आसान नहीं होगा।
यूएस ने युरोपीय देशों को साल के अंत तक 15 बिलियन क्यूबिक मीटर लिक्वीफाईड नैचुरल गैस भेजने के लिए हां कहा है।
अगली सर्दी तक करना होगा इंतेज़ाम
गैस की सबसे ज्यादा ज़रुरत सर्दियों के मौसम में घर को गर्म करने के लिए होती है। ऐसे में अगर अगली सर्दी तक गैस का पर्याप्त इंतज़ाम नहीं हुआ तो युरोपीय देशों को सर्दियां बहुत महंगी पड़ जाएगी। इतनी जल्दी रिन्यूएबल सोर्सेस पर भी स्विच नहीं कर सकते क्योंकि इसमें एनर्जी बनने में समय और खर्च बहुत ज्यादा है। ऐसे में हो सकता है कि जर्मनी और इटली की तरह बाकि देश भी इमरजेंसी में वापस कोल पावर प्लांट को शुरु कर दें जो काफी समय से ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बंद कर दिये गए थे।
युरोप ने 2030 तक का एक प्लान तैयार किया है जिसके तहत रुसी गैस पर निर्भरता को पूरी तरह खत्म किया जा सकेगा। इसके लिए हीटिंग के लिए गैस की ज़रुरत को कम किया जाएगा और नए सोर्सेस का इस्तेमाल होगा, साथ ही गैस सप्लाई अन्य देशों से शुरु की जाएगी।
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