Ground Report | News Desk
कोरोनावायरस (Coronavirus) ने दुनिया के बड़े से बड़े देश को तबाह कर के रख दिया है। अब यह वायरस दुनिया के गरीब देशों में पैर पसार रहा है। अगर इसे जल्द नहीं रोका गया तो दुनिया बहुत बड़ी तबाही देखेगी जिसका असर सदियों तक देखा जाएगा। दुनिया के तमाम देश इस समय कोरोनावायरस का वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) तैयार करने में जुटे हुए हैं। लेकिन अभी तक किसी को सफलता नहीं मिली है। इटली और इज़रायल ने दावा किया है लेकिन अभी तक इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं दी गई है।
इज़रायल ने कृतृिम एंटीबॉडी (Israel Antibody) विकसित किये हैं। यह वैक्सीन नहीं है। इस समय हमें वैक्सीन के साथ-साथ एंटीबॉडी की सख्त आव्श्यक्ता है। इसके लिए आपको दोनों के बीच अंतर समझना होगा।
क्या होती है वैक्सीन?
वैक्सीन यानी टीक उपचार नहीं है। वह रोग की रोकथाम करता है। वैक्सीन खुद वायरस को नहीं मारती वह हमारे शरीर को ट्रेनिंग देती है। फिर हमारा इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ता है। टीके का असर संक्रमण होने से पहले होता है। इसलिए वैक्सीन स्वस्थ्य व्यक्ति को दी जाती है। जैसे हम बच्चों को पोलियो की दवा पिलाते हैं। यह हमें रोग से लड़ने के लिए प्रतिरोधात्मक क्षमता प्रदान करती है। कोरोनावायरस का टीका बन जाएगा तो हम उस आबादी को बचा सकते हैं जो अभी कोरोना संक्रमित नहीं हुई है। लेकिन वैक्सीन का असर पहले से संक्रमित व्यक्ति के इलाज में नहीं हो सकता। उसे ठीक करने के लिए हमें एंटीबॉडी की ज़रुरत होगा।
क्या होती है एंटीबॉडी?
एंटीबॉडी शरीर खुद बनाता है। संक्रमण होने के बाद वायरस से लड़ने के लिए शरीर में एंटीबॉडी बनते हैं जो वायरस से लड़ते हैंं। यह वैक्सीन लगाने के बाद शरीर पहले से एंटीबॉडी तैयार रखता है। लेकिन क्योंकि कोरोनावायरस नया है इसलिए इसके एंटीबॉडी अभी हमारे शरीर में नहीं है। जो मरीज़ कोरोनावायर से ठीक हो चुके होते हैं। उनके शरीर में एंटीबॉडी बन चुके होते हैं। जिसका इस्तेमाल हम प्लाज़्मा थेरैपी में कर रहे हैं। स्वस्थ्य मरीज़ के शरीर से प्लाज़मा निकालकार संक्रमित को दिया जाता है ताकि वह भी एंटीबॉडी बना सके। लेकिन प्लाज़मा थेरैपी को सुरक्षित नहीं माना जाता क्योंकि इसमें प्लाज़मा देने पर एंटीबॉडी के साथ और भी दूसरे कैमिकल शरीर में चले जाते हैं जो घातक साबित हो सकते हैं। इसलिए लैब में बनाए गए एंटीबॉडी ज़्यादा सुरक्षित समझे जाते हैं। ऐसा ही एंटीबॉडी इज़रायल ने लैब में तैयार किया है। जिसका पेटेंट लेने के बाद बड़ी मात्रा में उत्पादन शुरु होगा। कोरोना मरीज़ों को ठीक करने के लिए अभी सबसे पहले हमें एंटीबॉडी की ही ज़रुरत है।
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