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श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान मधु कांकरिया को मिला

मधु कांकरिया का जन्म कलकत्ता में 23 मार्च, 1957 को हुआ। उनके सात उपन्यास और बारह कहानी संग्रह प्रकाशित हैं। उपन्यासों में ‘पत्ताखोर’,...

By Aditya Sachan
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श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान मधु कांकरिया को मिला

उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको द्वारा वर्ष 2023 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ कथाकार सुश्री मधु कांकरिया को प्रदान किया गया। उन्हें यह सम्मान दिनांक 30 सितम्बर, 2023 को नई दिल्ली के एन सी यू आई सभागार में आयोजित एक समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी एवं मृदुला गर्ग ने प्रदान किया।

मधु कांकरिया का जन्म कलकत्ता में 23 मार्च, 1957 को हुआ। उनके सात उपन्यास और बारह कहानी संग्रह प्रकाशित हैं। उपन्यासों में ‘पत्ताखोर’, ‘सेज पर संस्कृत’, ‘सूखते चिनार’, ‘ढलती साँझ का सूरज’ चर्चित रहे हैं।  ‘बीतते हुए’, ‘...और अन्त में ईशु’, ‘चिड़िया ऐसे मरती है’, ‘भरी दोपहरी के अँधेरे’, ‘युद्ध और बुद्ध’, ‘जलकुम्भी’, ‘नंदीग्राम के चूहे’ आदि उनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं। ‘बादलों में बारूद’ नाम से उन्होंने यात्रा वृत्तांत भी लिखा है। तेलुगू, मराठी सहित कई भाषाओं में उनकी रचनाओं के अनुवाद हुए हैं। मानवीय त्रासदी के विविध पहलुओं की बारीक अभिव्यक्ति मधु कांकरिया के रचनाकर्म की विशिष्ट पहचान है। मानव कल्याण की भावना के साथ पिछले दो दशकों से वे लगातार लिख रही हैं। अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया है।

वरिष्ठ साहित्यकार प्रो असग़र वजाहत की अध्यक्षता वाली निर्णायक समिति ने सुश्री मधु कांकरिया का चयन हाशिये का समाज, भारत के बदलते यथार्थ पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया। निर्णायक मंडल में श्री मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, डॉ. अनामिका, श्री प्रियदर्शन, श्री रवींद्र त्रिपाठी एवं श्री उत्कर्ष शुक्ल शामिल थे।

मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान प्रतिवर्ष किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षों को मुखरित किया गया हो। इससे पहले श्री विद्यासागर नौटियाल, श्री शेखर जोशी, श्री संजीव, श्री मिथिलेश्वर, श्री अष्टभुजा शुक्ल, श्री कमलाकान्त त्रिपाठी, श्री रामदेव धुरंधर, श्री रामधारी सिंह दिवाकर, श्री महेश कटारे, श्री रणेंद्र, श्री शिवमूर्ति और श्री जयनंदन को यह पुरस्कार मिला है। सम्मानित साहित्यकार को एक प्रतीक चिह्न, प्रशस्ति पत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि का चेक दिया जाता है।

अपने संदेश में इफको के प्रबंध निदेशक डॉ॰ उदय शंकर अवस्थी ने सुश्री मधु कांकरिया को बधाई देते हुए कहा कि मधु कांकरिया जी गहरे सामाजिक सरोकारों की रचनाकार हैं। उन्होंने वेश्या जीवन से लेकर युवाओं में बढ़ रही नशाखोरी तक के व्यापक और चिंतनीय विषयों पर कुशलता के साथ अपनी लेखनी चलाया है। डॉ. अवस्थी ने मधु जी के रचनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि अपने कथा संसार में उन्होंने समय के क्रूर यथार्थ को पकड़ने की कोशिश की है। उन्होंने कहा की इफको 35,000 सहकारी समितियों से बनी एक संस्था है जो सदैव किसानों के हित के लिए कार्यरत है, केवल किसान ही नहीं बल्कि भूमि और वातावरण का भी चिंतन करती है।

रसीयनिक खाद के नकारात्मक परिणामों के बारे में आभास कराने के साथ साथ उन्होंने नैनो उर्वरकों के विशेषताओं के बारे में भी बताया। अवस्थी जी ने श्रीलाल शुक्ल साहित्य सम्मान के बारे में बताया के कैसे विशेष तौर से वह उन लोगों को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है जो किसानों, देहात और भूमि को अपने साहित्य में समेलित करते हैं और उनका उल्लेख करते हैं। सबको संदेश देते हुए वह बोले देश में साहित्य को जीवित रखने के लिए हर परिवार को प्रतिवर्ष कम से कम एक पुस्तक खरीदने का प्रण करना चाहिए उससे साहित्यकारों को ही लाभ नहीं होगा बल्कि पुस्तक हमारे जीवन में सकारात्मकता भी लाएगी। 

सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष प्रो असगर वजाहत ने चयन प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी। सम्मान चयन समिति सदस्य श्री प्रियदर्शन ने प्रशस्ति पाठ किया और मधु कांकरिया जी की रचनाधर्मिता पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार डॉ. विश्वनाथ त्रिपाठी ने सुश्री मधु कांकरिया को सम्मानित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए उनके लेखन को अत्यंत महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि शोधपरक लेखन के जरिए समाज के यथार्थ को मुखरित करने का जो काम मधु कांकरिया जी ने किया है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।

श्रीमती मधु कांकरिया पुरस्कार ग्रहण करते हुए अपनी प्रसन्नता को व्यक्त करते हुए कहा की वह पुरस्कार पाकर अभिभूत है। इफको और प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी का धन्यवाद करते हुए कहा की साहित्य विरोधी युग में साहित्य को जीवित रखने में इफको की विशेष भूमिका है जो अगली आने वाली पीड़ियाँ याद रखेंगी। दिल्ली की नाट्य मंडली ‘थर्ड बेल आर्ट एण्ड कल्चरल सोसायटी’ के कलाकारों ने विजय श्रीवास्तव निर्देशित श्रीलाल शुक्ल की रचना पर आधारित नाटक ‘एक चोर की कहानी’ का मंचन किया। इस अवसर पर खेती-किसानी एवं हास्य रस पर केंद्रित कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। कवि सम्मेलन में अष्टभुजा शुक्ल, अनामिका अनु, इब्बार रब्बी, सरिता शर्मा, अनिल अग्रवंशी, सुरेश अवस्थी ने अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया। समारोह में किसान, शिक्षक, छात्र सहित बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमी शरीक हुए।