Powered by

Home Hindi

Loksabha Election: किन मुद्दों पर होगी होशंगाबाद की चुनावी जंग?

होशंगाबाद मध्यप्रदेश की बहुत ही महत्वपूर्ण सीट है। यहां 2014 और 2019 में कांग्रेस से भाजपा में गए राव उदयप्रताप सिंह जीते थे। इस बार यहां से भाजपा ने दर्शन सिंह चौधरी को मौका दिया है, वहीं कांग्रेस ने संजय शर्मा को उतारा है।

By Chandrapratap Tiwari
New Update
HOSHANGABAD Loksabha
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

Loksabha Election: होशंगाबाद मध्यप्रदेश की बहुत ही खास लोकसभा है। होशंगाबाद (Hoshangabad) को एक तरह से भाजपा का गढ़ माना जा सकता है। होशंगाबाद में 1989 के बाद से लगातार भाजपा ही जीती आ रही है। हालांकि 2009 में यहां से कांग्रेस के राव उदय प्रताप सिंह जीते थे, लेकिन बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। पिछले 2 चुनाव भी यहां से भाजपा ने ही जीते हैं। आइये जानते हैं होशंगाबाद का चुनावी माहौल और समझते हैं यहां की जनता के मुद्दे। 

क्या कहती है होशंगाबाद की डेमोग्राफी 

होशंगाबाद लोकसभा में नरसिंहपुर की, तेंदूखेड़ा, गाडरवाड़ा, और नरसिंहपुर विधानसभा शामिल हैं। वहीँ नर्मदापुरम की सिवनी-मालवा, नर्मदापुरम और सोहागपुर शामिल है।     

होशंगाबाद की लगभग 73 फ़ीसदी आबादी ग्रामीण है। होशंगाबाद में अनुसूचित जाति के मतदाता 16.6 फीसदी के करीब हैं, और अनुसूचित जनजाति के मतदाताओं का हिस्सा 12.5 फ़ीसदी है, और वहीं इस लोकसभा में मुस्लिम मतदाता 3.9 फीसदी हैं।   

कौन हैं आमने सामने 

होशंगाबाद से भाजपा के राव उदय प्रताप सिंह लगातार जीत हैं। हाल के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाया। फ़िलहाल वे मध्यप्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं। होशंगाबाद में उदयप्रताप के विकल्प के रूप में भाजपा ने दर्शन सिंह चौधरी को उतारा है। दर्शन वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। दर्शन किसान और मजदूर संगठनों में कार्यरत रहे हैं, और उनकी किसानों से नजदीकी भी है। होशंगाबाद एक कृषि बाहुल्य क्षेत्र है, और यहां से भाजपा ने दर्शन सिंह चौधरी को मौका दिया है।

होशंगाबाद  से कांग्रेस ने संजय शर्मा को मौका दिया है। संजय शर्मा तेंदूखेड़ा से दो बार विधायक रह चुके हैं। संजय शर्मा ने 2013 का विधानसभा चुनाव भाजपा से लड़ा और जीता था, लेकिन 2018 में वे कांग्रेस आ गए और वहां से भी जीते। हाल के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें तेंदूखेड़ा से मौका दिया था लेकिन वे अपनमा चुनाव हार गए। अब एक बार फिर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संजय शर्मा को मौका दिया है। 

क्या हैं होशंगाबाद की जनता के मुद्दे 

होशंगाबाद क्षेत्र को नर्मदा का वरदान प्राप्त है। यहां की धरती काफी उपजाऊ है, और यह इलाका कृषि प्रधान है। इन सब के अलावा यह पचमढ़ी जैसा हिल स्टेशन है और ढेर सारे घाट हैं। कुल मिलाकर यहां पर्यटन और कृषि दोनों के लिए ही भरपूर पोटेंशियल है, लेकिन अभी तक उसे पूरी तरह से भुनाया नहीं जा सका है। जनवरी के महीने में ही सरकार द्वारा, सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व के पास मटकुली गांव टूरिस्ट पॉइंट की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय लिया गया है, साथ ही यहां हवाई पट्टी के निर्माण की भी बात हो रही है। 

हालांकि यह क्षेत्र कृषि प्रधान है, लेकिन यहां के किसान भी व्यवस्था से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। जून 2023 में नरसिंहपुर के किसानों ने आरोप लगाया था कि कृषि उपज मंडियों का प्रबंधन सही ढंग से नहीं हो रहा है। ऐन सीजन में बिक्री के समय ही नरसिंहपुर 4 की कृषि उपमंडियां बंद कर दी गईं थी, जिसके चलते किसानों को मजबूरन आधे पौने दाम में अपनी उपज बेचनी पड़ी थी। ये स्थिति सुधरी नहीं है, क्यूंकि एक महीने पहले ही भारतीय किसान संघ ने नरसिंहपुर में कलेक्ट्रेट के सामने धरना दिया था और अपनी 9 सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा था।   

होशंगाबाद क्षेत्र का बड़ा मुद्दा रोजगार है। हालांकि ये इलाका कृषि प्रधान है, फिर भी युवाओं को रोजगार की दरकार रहती ही है। इस क्षेत्र में सीमित रोजगार के विकल्प एक बड़ी समस्या हैं। क्षेत्र में उद्योग सीमित हैं, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में बाहर का रुख करना पड़ता है। होशंगाबाद में तकनीकी शिखा के विकल्प भी नहीं है, हालांकि नरसिंहपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज पूरे क्षेत्र में नहीं है। 

क्षेत्र में आपदा प्रबंधन का और जल प्रबंधन का स्तर भी सही नहीं है। बारिश के दिनों में हर साल खबर आती है कि नर्मदा का पानी लोगों के घरों में घुसने लगा है। 5 साल पहले की ही खबर है कि दूषित नालों के पानी के मिलने से होशंगाबाद में नर्मदा के जल का स्वच्छता का स्तर ऐ ग्रेड से गिरकर बी ग्रेड पर पहुंच गया था।         

यूं तो पूरा क्षेत्र ही नर्मदा को मां का दर्जा देता है, लेकिन इसी क्षेत्र में नर्मदा के प्रदुषण में कोई कसार नहीं छोड़ी गई है। एनजीटी के समक्ष 6 जनवरी नरसिंहपुर जिले में नर्मदा में प्रदूषण का मामला गया था। एनजीटी ने पाया की नर्मदा में बड़ी मात्रा में केमिकल और बायोमेडिकल कचरा छोड़ा जा रहा है। इससे न सिर्फ नर्मदा का स्वछता स्तर गिर रहा बल्कि निवासियों को गंभीर बीमारियां भी हो रही हैं। इससे पहले सितंबर के महीने में भी एनजीटी के सामने नर्मदा से संबंधित मामला गया था जहां अनट्रीटेड सीवेज के नर्मदा में मिलने से जल की गुणवत्ता प्रभावित हो रही थी। इन खबरों का संकेत साफ़ है की होशंगाबाद क्षेत्र में नर्मदा नदी की स्वच्छता को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।      

होशंगाबाद में चुनाव में 26 अप्रैल को यानि दूसरे चरण में होने हैं। यहां की कुछ समस्याएं है जो जस की तस बनी हुई हैं, मसलन नर्मदा की सफाई, लेकिन क्या ये विषय मुख्यधारा की चर्चा में जगह बना पाते है, या धरातल में ही पड़े रह जाते हैं, ये वक्त के साथ ही पता लगेगा।

यह भी पढ़ें

पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुकट्विटरइंस्टाग्रामयूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी जटिल शब्दावली सरल भाषा में समझने के लिए पढ़िए हमारी क्लाईमेट ग्लॉसरी