सिंधु बॉर्डर पर भले आपको किसान खाते पीते दिख रहे हों लेकिन वो कितना बड़ा नुकसान झेल रहे हैं इसका अंदाजा आपको नहीं है।
फसल खेत में खड़ी है और खाद का इंजतार कर रही है। पंजाब में रेल नेटवर्क बंद पड़ा है जिसके चलते खाद के दामों में भारी उछाल है । पंजाब में एक बोरी यूरिया (45 किलो) की कीमत 265 रुपये से बढ़कर 350 रुपये तक पहुंच गई है। यही हाल DAP (डाई अमोनियम फास्फेट) का है 1150 की बोरी में भी अच्छा खासा उछाल है।
गेंहू की फसल में किसानों को एक एकड़ में करीब तीन से चार बोरी यूरिया चाहिए जो नहीं मिल रहा। पंजाब के किसानों को हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान से यूरिया और डीएपी लाना पड़ रहा है ।
इतना ही नहीं किसानों को परेशान करने का सरकारी खेल भी शुरू हो चुका है । नेशनल फर्टिलाइजर के पंजाब में दो प्लांट है। एक नांगल में और दूसरा भठिंड़ा में।
इन प्लांट से आसानी से यूरिया पंजाब के किसानों को सड़क मार्ग से दिया जा सकता है लेकिन नहीं… किसानों को परेशान करने के लिए यहां का यूरिया हरियाणा और हिमाचल को भेजा जा रहा है, पंजाब को नहीं दिया जा रहा।
सुबह जालंधर के एक फर्टिलाइजर डीलर से बात हुई। भाई साहब बता रहे थे कि पिछले ढाई महीने में उन्हें सिर्फ 150 बोरी यूरिया की मिली हैं डिस्ट्रबियूटर से। जबकि इतने समय में वे 2000 यूरिया की बोरिया बेच देते थे।
अगर यूरिया खेत में समय से नहीं पहुंचेगा और महंगा खरीदना पड़ेगा तो पंजाब के किसानों को कई करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ेगा। बावजूद इसके पंजाब का किसान डटा हुआ है क्योंकि दांव पर एक सीजन की फसल नही बल्कि आने वाली नस्लों की जिंदगी भी लगी हुई है।
Abhinav Goel की रिपोर्ट
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