विचार। सूरज पांडे। आमतौर पर बॉलिवुड मूवीज को मैं हमेशा हल्के में लेता हूं लेकिन जनवरी 2017 में जब मैंने Mary Kom मूवी देखी तो मैं अलग ही दुनिया में पहुंच गया। इससे पहले सिर्फ द लेजेंड ऑफ भगत सिंह ऐसी मूवी थी जिसे देखते हुए सीन दर सीन मेरी आंखें नम होती थीं। मैं प्रियंका चोपड़ा या उनकी एक्टिंग का फैन नहीं हूं लेकिन मेरी कॉम मूवी देखते वक्त लगभग हर सीन पर मैं रो रहा था। एक-एक फ्रेम पर मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे। पता नहीं ये प्रियंका चोपड़ा की एक्टिंग थी या फिर मुझे पर्दे पर प्रियंका नहीं मेरी कॉम ही दिख रही थीं।
छह बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुकी मेरी कॉम की तिरंगे वाली फोटो सभी को अच्छी लगती है लेकिन इस फोटो को खिंचवाने के पीछे के उनके संघर्ष पर कम ही लोग बात करते हैं। सरकारें गर्व से मेरी कॉम को देश का गौरव, भारत की बेटी जैसे बड़े-बड़े विशेषणों से नवाजती हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं करना चाहतीं जिससे मेरी कॉम या उनके बाद आ रहे स्पोर्ट्स पर्संस के लिए राह आसान हो सके।

मुझे नहीं पता कि मेरी कॉम मूवी में मेरी बनी प्रियंका चोपड़ा को उस सेक्रेटरी के आगे बेबस रोते हुए देखकर कितने लोगों को गुस्सा आया था लेकिन उस सीन पर मेरी आंखें भरी थीं और मुट्ठियां गुस्से से तनी थीं। इतना गुस्सा था कि जनवरी की ठंड में भी मैं पसीने-पसीने हो गया था। खेल से जुड़े होने के नाते मुझे एसोसिएशंस की कार्यप्रणाली के बारे में अच्छे से पता है लेकिन मैंने अभी तक अपने सामने किसी खिलाड़ी को इस तरह बेइज्जत होते नहीं देखा था।
फिल्म ही सही लेकिन जिस तरीके से सिर्फ अपने अहं के लिए वह सेक्रेटरी मेरी कॉम को नीचा दिखा रहा था उससे मुझे बेहद गुस्सा आया। लेकिन यह गुस्सा किस काम का? कुछ बदलना तो मेरे बस में है नहीं और जिनके बस में है उन्हें हिंदू-मुस्लिम के अलावा किसी चीज में इंट्रेस्ट ही नहीं है।
A proud moment for Indian sports.
Congratulations to Mary Kom for winning a Gold in the Women’s World Boxing Championships. The diligence with which she’s pursued sports and excelled at the world stage is extremely inspiring. Her win is truly special. @MangteC
— Narendra Modi (@narendramodi) November 24, 2018
जिस देश में स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी के लिए युवा खेलों की दुनिया में आते हों। खेलों की दुनिया में आने के बाद कभी किसी मैदान पर ना उतरे बाबुओं के आगे-पीछे दौड़कर टुच्ची सी नौकरी को अपने जीवन का हासिल मान लेते हों उस देश में बार-बार वापसी कर 35 साल की उम्र में बॉक्सिंग जैसे खेल में- जहां युवा खून ही चलता है, अपने से एक दशक से भी ज्यादा छोटी लड़की को हराकर वर्ल्ड चैंपियन बनना सिर्फ मेरी कॉम के बस की ही बात है।
‘Magnificent Mary’ 🥊 strikes again at the women's World Boxing Championships final in New Delhi 🇮🇳.https://t.co/YfZiSy4Rp3
— Olympic Channel (@olympicchannel) November 22, 2018
जहां खेल मंत्री सिर्फ नाम के लिए बनाया जाता हो- सर्बानंद सोनोवाल खेल मंत्री रहते हुए असम चुनावों में पूरी शिद्दत से लगे थे तो वहीं विजय गोयल मेजर ध्यानचंद के नाम पर बने स्टेडियम में हॉकी टीम के मैच के दिन बड़ी-बड़ी स्क्रीन पर क्रिकेट मैच का सीधा प्रसारण कर रहे थे। ऐसे देश में रहते हुए, हमारे तिरंगे को छह बार दुनिया में सबसे ऊंचा फहराने के लिए शुक्रिया चुनग्नीजांग मेरी कॉम मांगटे (मैग्नीफिसेंट मेरी).