उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सख़्त फैसले लेने में ज़रा भी देर नहीं लगाती। किसी प्रशासनिक अधिकारी पर ऐक्शन लेना हो या फिर अन्य कोई फैसला। क़ानून व्यव्स्था पर योगी सरकार कड़ा रुख दिखाती रही है। इसी कड़ी में योगी सरकार ने करीब 900 सरकारी वकीलों को बर्खास्त कर एक सख्त संदेश दे दिया है। सराकर के इस सख्त कार्रवाई के बाद लखनऊ से दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है।
- उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक बार फिर सख्त कार्रवाई कर सख्त संदेश दे दिया है। यूपी सरकार ने 841 राज्य विधि अधिकारियों यानी सरकारी वकीलों को बर्खास्त कर दिया है।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट में नियुक्त किए गए सरकारी वकीलों की सेवाएं खत्म कर दी गई हैं। इस फैसले के बाद प्रयागराज से लेकर लखनऊ तक हाहाकार मच गया है।
- इलाहाबाद हाई कोर्ट की प्रधान पीठ से 505 राज्य विधि अधिकारी निकाले गए। वहीं, हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से 336 सरकारी वकीलों को भी निकाल दिया गया।
- वकीलों को निकालने का ये आदेश यूपी सरकार के विधि एवं न्याय विभाग के विशेष सचिव निकुंज मित्तल की तरफ से आदेश जारी किया गया है।
- सरकार ने वकीलों को हटाने के कुछ समय बाद ही 586 राज्य विधि अधिकारी यानी सरकारी वकीलों की नियुक्ति भी कर दी है। विधि एवं न्याय विभाग के विशेष सचिव निकुंज मित्तल की तरफ से ये नियुक्ति आदेश जारी किया गया है। साथ ही बताया गया कि जल्द ही अन्य पदों को भी भर दिया जाएगा।
क्यों हटाए गए सरकारी वकील ?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, योगी सरकार ने कार्रवाई करते हुए जिन वकीलों को हटाया है। उन सब की नियुक्तियां सपा-बसपा सरकारों में की गई थीं। सरकार के मुताबिक इन नियुक्तियों में भ्रष्टाचार किया गया था। सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के पास उत्तर प्रदेश में इस वक्त कानून मंत्रालय का भी प्रभार है।
सरकार ने समीक्षा बैठक की। इसके बाद सख्त फैसला लिया। न्याय विभाग की तरफ से इन सभी 900 अधिवक्ताओं को बर्खास्त कर दिया गया।
आपको बता दें कि हर पांच साल पर सरकारी वकीलों को लेकर आदेश जारी होते हैं। सरकार कुछ सरकारी वकीलों को हटाती है। जिसके बाद नए वकीलों को मौका मिलता है।
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