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#SaveNandini : कैसे कर्नाटक में अमूल की एंट्री से खतरे में पड़ गई है नंदिनी?

Nandini vs amul which is better

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की अपनी मिल्क ब्रांड नंदिनी को बचाने के लिए लोग सोशल मीडिया पर #SaveNandini कैंपेन चला रहे हैं। दरअसल गुजरात की अमूल जल्द ही कर्नाटक के मार्केट में एंटर करने वाली है, जिससे लोगों को लग रहा है कि अमूल कर्नाटक की नंदिनी को बर्बाद कर देगी और उसका मार्केट कैप्चर कर लेगी।

हाल ही में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह मांड्या जिले में एक मैगा डेयरी प्रोजेक्ट के उद्घाटन में पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा कि अगर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन और गुजरात की अमूल साथ मिलकर काम करें तो यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कर्नाटक के हर गांव में एक प्राथमिक डेयरी स्थापित हो जाएगी। अमूल कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को तकनीकी मदद कर सकता है।

#SaveNandini कैंपेन

हालांकि विपक्षी पार्टियों का कहना है कि अमित शाह गुजरात की अमूल को कर्नाटक में लाकर नंदिनी #SaveNandini को खत्म करना चाहते हैं। आने वाले समय में अमूल मार्केट कैप्चर कर लेगी और राज्य की अपनी दुग्ध सहकारी समिति खत्म हो जाएगी।

लोगों ने भी सोशल मीडिया पर शंका ज़ाहिर करते हुए लिखा है कि “अमित शाह कन्नड़ लोगों से बिज़नेस छीन कर गुजरातियों को देना चाहते हैं।”

बैंग्लोर के होस्टलर्स ने कसम खाई है कि वो केवल कन्नड मिल्क ब्रैंड नंदिनी का ही इस्तेमाल करेंगे। ऐसे कई तरह से लोग #SaveNandini का हिस्सा बन रहे हैं।

‘3 साल में 2 लाख डेयरी स्थापित की जाएंगी’

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगले 3 सालों में देश भर में ग्रामीण स्तर पर 2 लाख डेयरी स्थापित की जाएंगी। देश भर के किसानों को वाईट रिवॉल्यूशन से जोड़ा जाएगा। इससे भारत मिल्क सेक्टर में दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बन जाएगा।

माना जा रहा है कि देश के अलग अलग राज्यों में स्थित दुग्ध संघों को एक छत के नीचे लाने की सरकार योजना बना रही है। कुछ लोगों का मानना है कि ‘इसे राज्यों के दुग्ध संघ स्वीकार नहीं करेंगे’, तो कुछ लोगों का कहना है कि ‘यह एक अच्छा कदम होगा क्योंकि अभी अलग अलग दुग्ध संघ अलग अलग तरीके से काम कर रहे हैं, दूध का रेट भी काफी अलग-अलग होता है, ऐसे में वन नेशन वन मिल्क फेडरेशन काफी फायदेमंद हो सकती है।’

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) देश की दूसरी सबसे बड़ी मिल्क कॉर्पोरेशन है

आपको बता दें कि कर्नाटक उन राज्यों में से एक है जहां की सहकारी दुग्ध समिति बहुत अच्छा काम कर रही हैं। यहां पर 15,120 गांव स्तरीय कॉपरेटिव डेयरी हैं, 26 लाख से ज्यादा किसान इन दुग्ध डेयरी से जुड़े हुए हैं। पिछले 47 सालों में कर्नाटक के डेयरी सेक्टर ने काफी प्रगति की है।

साल 1975 में जहां प्रति दिन 66 हज़ार किलोलीटर दूध कर्नाटक में प्रोसेस होता था वही अब बढ़कर 82 लाख किलोलीटर प्रतिदिन चुका है। सालाना टर्नोवर 4 करोड़ से बढ़कर 25 हज़ार करोड़ हो गया है।

कर्नाटक मिल्क फेडरेशन के पूर्व डायरेक्टर ए एस प्रेमनाथ ने साउथ फर्स्ट को बताया है कि ‘देश में डेयरी सेक्टर में एक अघोषित नियम है कि कोई भी मेजर डेयरी फर्म दूसरे डेयरी कॉर्पोरेश ने मार्केट को प्रभावित नहीं करती। हालांकि इसमें कुछ अपवाद ज़रुर हैं।’

अमूल बन गया है नैशनल मिल्क ब्रैंड

आपको बता दें कि अमूल गुजरात से निकलकर देश भर में अपनी छाप छोड़ रही है, यह अब एक राज्य की नहीं बल्की नैशनल मिल्क ब्रांड बन चुकी है।

गुजरात के अलावा पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में अमूल अपने फार्मर कोऑपरेटिव स्थापित कर चुकी है। इससे अमूल का मिल्क वॉल्यूम 20 फीसदी बढ़ा है और किसानों को अपने दूध के ज्यादा पैसे मिलने लगे हैं।

अमूल के अलावा मदर डेयरी भी उत्तर भारतीय राज्यों में विस्तार कर रही है।

सारी नज़रें अब देश के दूसरे सबसे बड़े दुग्ध संघ कर्नाटक मिल्क फेडरेशन पर है, अभी तक केएमएफ द्वारा दूसरे राज्यों से मिल्क प्रोक्योर करने का प्रस्ताव नहीं आया है।

#SaveNandini कैंपेन बताता है कि किस तरह से कर्नाटक में अमूल की राह आसान नहीं होगी।

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Author

  • Pallav Jain is co-founder of Ground Report and an independent journalist and visual storyteller based in Madhya Pradesh. He did his PG Diploma in Radio and TV journalism from IIMC 2015-16.